आर्मी चीफ बोले- स्मार्टफोन के दौर में जवानों को सोशल मीडिया से दूर रखना मुश्किल
नई दिल्ली: आर्मी में जवानों-अधिकारियों के सोशल मीडिया के इस्तेमाल को लेकर अक्सर पाबंदियों की बात कही जाती है, लेकिन आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने साफ किया है कि सोशल मीडिया या स्मार्ट फोन के इस्तेमाल पर ब्लैंकेट बैन नहीं हो सकता है। उन्होंने कहा कि जवानों को स्मार्ट फोन इस्तेमाल करने से मना करने की बजाय, उन्हें इसके सेफ इस्तेमाल के बारे में बताया जाएगा। आर्मी इस पर भी विचार कर रही है कि किस तरह सोशल मीडिया का पूरा इस्तेमाल किया जा सके जिससे सोशल मीडिया का इस्तेमाल कर विरोधी जो भ्रम फैला रहे हैं उसे काउंटर किया जा सके। इसके लिए आर्मी के भीतर एक अलग संगठन बनाने की कवायद भी चल रही है।
बनेगा अलग संगठन
आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने कहा कि सोशल मीडिया चिंता का विषय बन गया है हमारे विरोधी सोशल मीडिया का भरपूर इस्तेमाल कर रहे हैं। हमको भी तकनीक इस्तेमाल कर उन्हें काउंटर करना पड़ेगा और सोशल मीडिया को अपने एडवांटेज के लिए इस्तेमाल करना होगा, अपने जवानों और अफसरों को एजुकेट करना होगा। इसीलिए हम एक ऑर्गनाइजेशन क्रिएट कर रहे हैं जिससे हम सोशल मीडिया को भरपूर तरीके से अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर सकें।
सूत्रों के मुताबिक आर्मी के भीतर इस पर स्टडी चल रही है कि इंफर्मेशन वॉरफेयर और पब्लिक इंफर्मेशन डायरेक्टरेट को मिलाकर क्या एक डायरेक्टरेट बनाया जा सकता है। अभी यह दोनों अलग अलग काम करते हैं। सूत्रों के मुताबिक इन दोनों को एक किया जा सकता है जिसे मेजर जनरल या इससे ऊपर के रैंक के ऑफिसर हेड करेंगे।
आर्मी रीस्ट्रक्चरिंग को लेकर चल रही स्टडी के बारे में पूछने पर आर्मी चीफ ने एनबीटी की उस खबर की पुष्टि की जिसमें बताया था कि अक्टूबर में होने वाली आर्मी कमांडर्स कॉन्फ्रेंस में स्टडी की प्राथमिक रिपोर्ट सामने आ जाएगी और इस साल के अंत तक फाइनल सिफारिशें सामने आएंगी और अगले साल से उन पर काम होगा। आर्मी चीफ ने कहा कि दिसंबर में स्टडी की फाइनल रिपोर्ट आ जाएगी और अगले साल से उन्हें लागू करना शुरू कर दिया जाएगा।
चेक और बैलेंस जरूरी
आर्मी चीफ ने कहा कि जवानों-अफसरों से सिर्फ यह कह देने से काम नहीं चलेगा कि सोशल मीडिया में न जाएं। बेहतर यह है कि उन्हें उसके सेफ इस्तेमाल के बारे में बताया जाए। चेक और बैलेंस बनाया जाए और फिर ऑर्डर पास किया जाए। आर्मी चीफ ने कहा कि हमने आर्मी के भीतर 'अरमान' नाम से एक ऐप डिवेलप की है जिसका इस्तेमाल सभी जवान और अधिकारी कर सकते हैं। इसकी शुरुआत भी हो गई है। इससे वह अपनी हर दिक्कत अधिकारियों तक पहुंचा सकते हैं और जानकारी ले सकते हैं। गेस्ट हाउस बुक कर सकते हैं या कैंटीन की कोई जानकारी ले सकते हैं। जनरल रावत ने कहा कि अगर स्मार्ट फोन ही इस्तेमाल नहीं करेंगे तो फिर ऐप कैसे इस्तेमाल होगा।
ऑपरेशन में शामिल जवानों के साथ है फौज
सशस्त्र सेना विशेषाधिकार कानून (अफस्पा) वाले इलाकों में सेना के जवानों- अधिकारियों पर प्राथमिकी दर्ज ना हो, इसके लिए कई जवानों- अधिकारियों ने सुप्रीम कोर्ट में पिटिशन दायर की है। इस संबंध में पूछने पर आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने कहा कि आर्म्ड फोर्स और सरकार उन जवानों अफसरों के साथ है जो जम्मू-कश्मीर, नॉर्थ ईस्ट और कहीं भी आतंकवाद से या इंसरजेंसी से लड़ रहे हैं और ऑपरेशन में शामिल हैं। जनरल रावत ने कहा कि सरकार और आर्मी, ऑफिसर्स के साथ खड़ी है और उन्हें हर तरीके से सहयोग कर रही है। क्योंकि मामला कोर्ट में है इसलिए मैं ज्यादा कुछ नहीं कहूंगा।
ये भी पढ़ें...कश्मीर के लोग आतंकवाद से थक चुके हैं : सेना प्रमुख बिपिन रावत