अनुच्छेद 370 से 12 कैदियों का कनेक्शन, बाहर होते तब होता भयानक बवाल
जम्मू-कश्मीर में मोदी सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 हटाएं जाने के बाद भी घाटी में शांति का माहौल बना हुआ है। किसी भी तरह के दंगे-फसाद या हंगामे की बात सामने नहीं आई है। यहां तक अनुच्छेद 370 हटाएं जाने के बाद किसी भी प्रकार का कोई नारा तक नहीं सुनाई दिया है।
नई दिल्ली : जम्मू-कश्मीर में मोदी सरकार द्वारा अनुच्छेद 370 हटाएं जाने के बाद भी घाटी में शांति का माहौल बना हुआ है। किसी भी तरह के दंगे-फसाद या हंगामे की बात सामने नहीं आई है। यहां तक अनुच्छेद 370 हटाएं जाने के बाद किसी भी प्रकार का कोई नारा तक नहीं सुनाई दिया है। जम्मू-कश्मीर में हुए बदलाव से विरोध की कोई आवाज नहीं आई है।
ये सब कोई आम बात नही है। यह सब पीएम नरेंद्र मोदी द्वारा ही मुमकिन हो सका है। पीएम मोदी ने हुर्रियत के एक स्टिंग वीडियो के सामने आने के बाद से ही सरकार ने यह कदम उठाया था। जिससे घाटी में शांति का माहौल बना हुआ है।
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सामने आया यह वीडियो
कश्मीर का ये वीडियो जब सामने आया तब एक नाम सुनाई दिया, वो है हुर्रियत। कश्मीर में चाहे पत्थरबाजी करानी हो, स्कूल-कॉलेज में आग लगवानी हो या कश्मीर बंद का ऐलान करना हो, इन सब कामों के पीछे हुर्रियत से जुड़े ये नाम यासीन मलिक, मसरत भट्ट आलम, ज़हूर बिट्टा कराटे, नईम खान, और आसिया अंद्राबी सहित 12 लोगों के नाम है।
जब देश के सामने स्टिंग ऑपरेशन का ये वीडियो सामने आया, जिसमें बिट्टा कराटे और नईम खान के साथ और भी कई लोग भारी रकम लेकर घाटी में पत्थरबाजी और स्कूलों में आगजनी कराने का सौदा कराते नजर आ रहे थे।
मोदी सरकार ने उठाया ये कदम
जैसे ही हुरियत नेताओं का ये वीडियो सामने आया वैसे ही मोदी सरकार सख्त हो गई। हुर्रियत नेताओं का टेरर फंडिंग मामले में कबूलनामा आते ही एनआईए ने देशभर में और कश्मीर छापेमारी शुरू कर दी थी।
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हालाकि यह छापेमारी अभी तक चल रही है। सौरभ शुक्ला नाम के एक शक्स को कुछ दिन पहले यूपी के प्रयागराज से गिरफ्तार किया गया था। एनआईए ने 2017 से हुर्रियत नेताओं को एक-एक कर जेल में डालना शुरू कर दिया था। आपको बता दें, इस समय हुर्रियत के 12 टॉप नेता तिहाड़ जेल में बंद हैं। मसरत भट्ट कोे सबसे बाद में जेल में बंद किया गया है।
घाटी में शांति बनाए रखने के लिए सरकार ये किया
ये माना जा रहा था कि अगर हुर्रियत नेताओं को कश्मीर की जेलों में बंद किया जाता तो ये लोग जेल से भी अपने गुर्गों को आदेश देकर कश्मीर में किसी भी तरह बवाल करा सकते थे। और अपने टेरर फंडिंग के नेटवर्क को चला सकते थे। इसलिए सभी को दिल्ली भेजकर तिहाड़ जेल में रखा गया है।
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और तो और कुछ समय पहले यासिन मलिक, नईम खान, बिट्टा कराटे, आसिया अंद्राबी को कश्मीर की जेलों में भेजने के लिए सरकार के पास बहुत से पत्र भी आए थे, लेकिन केंद्र सरकार ने कश्मीर में शांति बनाए रखने के लिए सारे पत्रों को खारिज कर दिया। आज यही कारण है कि घाटी में शांति बनी हुई है।