गृह मंत्रालय ने निर्धारित किए असम में विदेशी न्यायाधिकरणों के तौर तरीके
मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि असम में हाल ही में विदेशी न्यायाधिकरण को उन लोगों से संबंधित किसी भी मामले का फैसला देने के लिए एक आदेश जारी किया गया था, जिनके नाम चार महीने के लिए एनआरसी की अंतिम सूची से बाहर किए जा सकते हैं।
नयी दिल्ली: गृह मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि उसने राष्ट्रीय नागरिक पंजी (एनआरसी) के खिलाफ दायर किए गए दावों और आपत्तियों से असंतुष्ट लोगों द्वारा दायर की गई अपील को तय करने के लिए असम में विदेशी न्यायाधिकरणों के लिए तौर-तरीके निर्धारित किए हैं।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा है कि असम में हाल ही में विदेशी न्यायाधिकरण को उन लोगों से संबंधित किसी भी मामले का फैसला देने के लिए एक आदेश जारी किया गया था, जिनके नाम चार महीने के लिए एनआरसी की अंतिम सूची से बाहर किए जा सकते हैं।
बयान में कहा गया है, "चूंकि पंजी का काम केवल असम में चल रहा है, इसलिए, 30 मई, 2019 को जारी किया गया उक्त आदेश सभी व्यावहारिक उद्देश्यों के लिए केवल असम में लागू है।"
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केंद्र सरकार ने विदेशी (न्यायाधिकरण) आदेश, 1964 को विदेशी अधिनियम,1946 की धारा तीन के तहत जारी किया था। यह पूरे देश में लागू है। साल 2013 में विदेशी (न्यायाधिकरण),1964 में बड़े संशोधन किए गए।
अंतिम संशोधन मई में जारी हुआ था। ये सभी आदेश पूरे देश में लागू हैं और किसी भी राज्य के लिए विशिष्ट नहीं हैं।
इसमें आगे कहा गया है, "इसलिए, इस संबंध में मई 2019 के नवीनतम संशोधन में कुछ भी नया नहीं है।"
मई 2019 का संशोधन केवल एनआरसी के खिलाफ दायर किए दावों और आपत्तियों के परिणामों से संतुष्ट नहीं होने वाले लोगों की अपील पर फैसला करने के लिए न्यायाधिकरण के तौर-तरीकों की व्याख्या करता है।
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जब एनआरसी का मसौदा 30 जुलाई, 2018 को प्रकाशित हुआ, तो उसमें से 40.7 लाख लोगों के नाम शामिल नहीं होने को लेकर भारी विवाद हुआ।
अंतिम एनआरसी, असम के नागरिकों की सूची, 31 जुलाई को प्रकाशित की जाएगी।
(भाषा)