गैर बीजेपी, गैर कांग्रेस मोर्चे की सरकार बनने की उम्मीद: औवेसी
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन औवेसी ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि 2014 की तरह इस बार लोकसभा चुनाव में कोई मोदी लहर नहीं है तथा इस बार केंद्र में गैर-भाजपा और गैर कांग्रेस मोर्चे की सरकार बनेगी और एक क्षेत्रीय नेता प्रधानमंत्री के तौर पर उभरेगा।
हैदराबाद: ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के अध्यक्ष असदुद्दीन औवेसी ने बृहस्पतिवार को दावा किया कि 2014 की तरह इस बार लोकसभा चुनाव में कोई मोदी लहर नहीं है तथा इस बार केंद्र में गैर-भाजपा और गैर कांग्रेस मोर्चे की सरकार बनेगी और एक क्षेत्रीय नेता प्रधानमंत्री के तौर पर उभरेगा।
हैदराबाद संसदीय क्षेत्र से तीन बार सांसद चुने जा चुके औवेसी ने यह भी कहा कि इस लोकसभा चुनाव में सभी के लिए विकल्प खुले होंगे और 543 संसदीय सीटों में से लगभग हर सीट पर कड़ा मुकाबला होगा।
औवेसी ने पीटीआई को दिये साक्षात्कार में कहा, 'इस बार 2014 की तरह मोदी लहर नहीं है। सभी के लिए विकल्प खुले हैं और हैदराबाद समेत हर सीट पर कड़ा मुकाबला होगा।' इस बार भी हैदराबाद सीट से ही चुनाव लड़ रहे औवेसी ने कहा कि उनकी पार्टी ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन निश्चित ही गैर-कांग्रेसी और गैर-भाजपाई मोर्चे का हिस्सा है, जिसका नेतृत्व तेलंगाना राष्ट्र समिति के संस्थापक और मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव कर रहे हैं।
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औवेसी ने कहा कि यह मोर्चा भारत की राजनीतिक विविधता का प्रतिनिधित्व करने के लिए आवश्यक होगा और कई क्षेत्रीय नेता हैं जो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी तथा कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी की तुलना में अधिक सक्षम हैं। उन्होंने दावा किया कि "हताश" भाजपा "अपनी विफलताओं को छिपाने" के लिए चुनावी में राष्ट्रीय सुरक्षा का सहारा ले रही है, लेकिन लोग फिर से उसके 'जुमलों' (झूठे वादों) के चक्कर में नहीं पड़ेंगे और जिम्मेदारी से मतदान करेंगे।
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ओवैसी ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि 543 लोकसभा क्षेत्रों में से 100 में भाजपा और कांग्रेस के बीच सीधा मुकाबला है। लेकिन 320 से अधिक सीटों पर भाजपा, कांग्रेस और क्षेत्रीय दलों के बीच त्रिकोणीय लड़ाई है।
मुस्लिम समुदाय के राजनीतिक प्रतिनिधित्व की कमी पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि 2014 के आम चुनाव में भाजपा द्वारा जीती गई 280 सीटों में एक भी मुस्लिम सांसद नहीं था क्योंकि भाजपा केवल बहुसंख्यक समुदायों के प्रतिनिधित्व वाले लोकतंत्र को ही चलाना चाहती हैं।
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उन्होंने कहा, "अगर मैं मोदी के खिलाफ बात करता हूं तो इसका यह मतलब नहीं है कि मैं बहुसंख्यक समुदाय के खिलाफ हूं। मैं कभी बहुसंख्यक समुदाय के खिलाफ नहीं हूं। मैं भाजपा और आरएसएस के खिलाफ हूं और रहूंगा।"
भाषा