Supreme Court: CAA के खिलाफ SC पहुंचे असदुद्दीन ओवैसी, तत्काल रोक लगाने की मांग की

Supreme Court: दायर याचिका में ओवैसी ने सुप्रीम कोर्ट से नागरिकता संशोधन कानून को लागू करने पर रोक लगाने की मांग की है।

Report :  Neel Mani Lal
Update: 2024-03-16 07:33 GMT

सुप्रीम कोर्ट पहुंचे ओवैसी (सोशल मीडिया)

CAA: आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के कार्यान्वयन के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। उनका यह कदम ऐसे वक्त में आया है जब कई प्रभावशाली मुस्लिम लोग इस कानून के समर्थन में सामने आए हैं। ओवैसी ने उन 1.5 लाख मुसलमानों के भविष्य पर भी सवाल उठाया, जिन्हें कथित तौर पर असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) सूची से बाहर कर दिया गया था।

क्या दी दलील?

अपनी याचिका में ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने कहा है कि जब तक मामला कोर्ट में है तब तक लंबित अवधि के दौरान नागरिकता अधिनियम, 1955 (क्योंकि यह नागरिकता (संशोधन) अधिनियम, 2019 द्वारा संशोधित है) की धारा 6 बी के तहत नागरिकता का दर्जा देने की मांग करने वाले किसी भी आवेदन पर सरकार द्वारा विचार या कार्रवाई नहीं की जा सकती है। ओवैसी का तर्क है कि मोदी सरकार का कानून संविधान के खिलाफ है। उन्होंने कहा है कि “चार साल पहले मोदी सरकार द्वारा बनाया गया यह कानून संविधान के खिलाफ है। आप धर्म के आधार पर कानून नहीं बना सकते। इस पर सुप्रीम कोर्ट के कई फैसले हैं। सीएए समानता के अधिकार के खिलाफ है।''

इससे पहले 13 मार्च को असदुद्दीन ओवैसी (Asaduddin Owaisi) ने कहा था, ''अब जब नियम बन गए हैं तो हम सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर करेंगे। हम इस मुद्दे को अदालत में उठाने का प्रयास करेंगे।” ओवैसी ने यह भी कहा कि उन्होंने पहले सीएए पर स्टे के लिए सुप्रीम कोर्ट में मामला दायर किया था, लेकिन जब सुनवाई हुई, तो सरकार ने जवाब में कहा था कि अभी तक नियम तैयार नहीं किए गए हैं।

हैदराबाद में 15 मार्च को एक सार्वजनिक बैठक को संबोधित करते हुए, ओवैसी ने असम में 1.5 लाख मुसलमानों के भविष्य पर सवाल उठाया, जिन्हें कथित तौर पर राज्य में सीएए लागू होने के बाद असम में राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (एनआरसी) सूची से बाहर कर दिया गया था। ओवैसी ने कहा, ''असम के सीएम हिमंत बिस्वा सरमा ने कहा है कि राज्य में आयोजित एनआरसी में सूचीबद्ध नहीं किए गए 12 लाख हिंदुओं को सीएए के तहत भारतीय नागरिकता दी जाएगी। लेकिन डेढ़ लाख मुसलमानों का क्या होगा?”

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