गणतंत्र दिवस परेड: इस बार आसियान देशों के प्रमुख होंगे विशिष्ट अतिथि
गणतंत्र दिवस इस बार कई मामलों में खास होने जा रहा है। जिसमें दस आसियान देशों के राष्ट्राध्यक्ष विशिष्ट अतिथि की भूमिका में रहेंगे।
नई दिल्ली: गणतंत्र दिवस इस बार कई मामलों में खास होने जा रहा है। जिसमें दस आसियान देशों के राष्ट्राध्यक्ष विशिष्ट अतिथि की भूमिका में रहेंगे।
जान लीजिए कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस की परेड के दौरान मंच पर सभी दस आसियान देशों के प्रमुख विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल होंगे। आसियान के सदस्य देशों में लाओस, कंबोडिया, ब्रुनेई, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यांमार, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और वियतनाम शामिल हैं।
इसके पहले 26 जनवरी 1950 को भारत के प्रथम गणतंत्र दिवस पर दक्षिण-पूर्व एशिया की प्रमुख हस्ती सुकर्णो मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे थे। इस बार फिर इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो के साथ आसियान के अन्य सदस्य देशों के राष्ट्राध्यक्ष भी मंच की शोभा बढ़ाएंगे। इस बार की 26 जनवरी युगों युगों तक याद रखी जाएगी क्योंकि पहली बार आसियान देशों के इतने राष्ट्राध्यक्ष एक साथ गणतंत्र दिवस परेड में भारत की सैन्य ताकत और सामाजिक विविधता की झलक देखेंगे। मजे की बात यह है कि इसके पहले कभी भी हमारे गणतंत्र दिवस पर दो से ज्यादा राष्ट्राध्यक्ष एक साथ नहीं आए हैं। वास्तव में इतने राष्ट्राध्यक्षों का एक साथ जुटना प्रधानमंत्री मोदी की एक बड़ी उपलब्धि है।
इतने सारे अतिथियों की मौजूदगी को देखते हुए राजपथ पर व्यापक प्रबंध किये जा रहे हैं ताकि सभी राष्ट्राध्यक्ष बैठ सकें। इन राष्ट्राध्यक्षों में म्यांमार की स्टेट काउंसलर आंग सान सू की, इंडोनेशिया के प्रेसिडेंट जोको विडोडो, सिंगापुर के पीएम ली हसिएन लूंग, मलेशिया के पीएम नजीब रजाक, थाइलैंड के पीएम प्रयुत चान-ओ-छा, वियतनाम के पीएम न्गुयेन शुयान फुक, फिलीपींस के राष्ट्रपति रोड्रिगो ड्यूटेरेटे, कम्बोडिया के पीएम हुन सेन, लाओस के पीएम थोंगलाउन, सिसाउलिथ और ब्रूनेई के सुल्तान हसनल बोल्किया शामिल हैं।
अनेकता में एकता को प्रदर्शित करने के लिए गणतंत्र दिवस परेड में भारतीय सैनिक तिरंगे के साथ 10 आसियान देशों का भी झंडा लिए रहेंगे। 90 मिनट के परेड के दौरान कुल 23 झांकियों में से दो झांकियां आसियान देशों पर रहेंगी। इस बार गणतंत्र दिवस की परेड में ब्रह्मोस सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल, आकाश मिसाइल का प्रदर्शन किया जाएगा। पहली बार बीएसएफ की महिला टुकड़ी मोटरसाइकिलों पर करतब दिखाएगी।
आसियान सम्मेलन कुछ खास बातें
-आसियान सदस्य देशों का विश्वास है कि समुदाय की स्थापना से क्षेत्र में शांति और सुरक्षा मजबूत होगी।
-समुदाय की स्थापना से एक जीवंत, प्रतियोगी और एकीकृत तथा समावेशी समुदाय का निर्माण होगा जिससे एकता और साझा पहचान की मजबूत भावना होगी।
-ब्लुप्रिंट 2025 के अनुसार, यदि वर्ष 2025 तक आसियान को एक एकीकृत आर्थिक समुदाय बनाने का निर्धारित लक्ष्य हासिल कर लिया गया तो यह विश्व में एक बड़े संघ के रूप में उभरेगा और यूरोपीय संघ से कहीं बड़ा और प्रभावशाली संघ साबित होगा।
-वर्तमान में आसियान देशों का सकल क्षेत्रफल 4.4 मिलियन वर्ग किलोमीटर तथा सम्मिलित आबादी लगभग 622 मिलियन है जो विश्व जनसंख्या का लगभग 8.8 प्रतिशत है।
-2.5 ट्रिलियन डॉलर के सकल घरेलू उत्पाद के साथ यह क्षेत्र विश्व की 7वीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है।
-आसियान आर्थिक समुदाय एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था तथा भारत का चौथा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है।
-वर्ष 2014 में आसियान का सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि दर 4.6 प्रतिशत रही।
-वर्ष 2014 में आसियान क्षेत्र में 136 बिलियन डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश हुआ जो वैश्विक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का 11 प्रतिशत है।
-आसियान आर्थिक समुदाय के अस्तित्व में आने से सदस्य देशों के मध्य आपसी व्यापार में और भी गति पकड़ेगी जिससे सदस्य देशों की अर्थव्यवस्था में तेजी आएगी।
-सदस्य देशों के बीच वस्तुओं, कुशलश्रम, और पूंजी के मुक्त आवागमन का रास्ता खुलेगा।
-भारत के ‘लुक ईस्ट पॉलिसी’ के बाद ‘एक्ट ईस्ट पॉलिसी’ अपनाने से आसियान देशों से भारत का संबंध-सहयोग भी बेहतर हुआ है।