Rajasthan: गहलोत के खिलाफ जंग में अलग-थलग पड़ते जा रहे सचिन पायलट, आलाकमान भी नहीं कर रहा सुनवाई, सियासी राह हुई मुश्किल
Rajasthan Politics: मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ सचिन पायलट की आवाज धीरे-धीरे कमजोर पड़ती जा रही है। आलाकमान की ओर से भी पायलट की मांगों को लेकर कोई सुनवाई नहीं की जा रही है।
Rajasthan Politics: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ बागी तेवर दिखाने वाले राज्य के पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के सामने विकल्प अब सीमित होते जा रहे हैं। राज्य की पूर्ववर्ती वसुंधरा राजे सरकार के कार्यकाल के भ्रष्टाचार की जांच की मांग को लेकर अनशन के बाद उनकी पांच दिवसीय पदयात्रा भी समाप्त हो चुकी है। अब उन्होंने नई चेतावनी देते हुए कहा है कि भ्रष्टाचार के मामलों की जांच सहित उनकी तीन मांगों को पूरा नहीं किया गया तो वे पूरे राज्य में आंदोलन छेड़ेंगे। अपनी तीन मांगों को पूरा करने के लिए पायलट ने 15 दिनों का वक्त दिया है।
जानकार सूत्रों का कहना है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के खिलाफ सचिन पायलट की आवाज धीरे-धीरे कमजोर पड़ती जा रही है। आलाकमान की ओर से भी पायलट की मांगों को लेकर कोई सुनवाई नहीं की जा रही है। ऐसे में पायलट की आगे की सियासी राह मुश्किल होती जा रही है। राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने हैं और इस कारण पायलट के पास अपने विकल्पों के लिए ज्यादा वक्त भी नहीं बचा है।
अब पायलट ने रखीं तीन मांगें
पायलट ने अपनी पांच दिवसीय जन संघर्ष पदयात्रा के समापन के मौके पर सोमवार को जनसभा को संबोधित करते हुए 15 दिनों के भीतर अपनी मांगों को पूरा करने पर जोर दिया। इस दौरान उन्होंने अपनी तीन प्रमुख मांगों का जिक्र किया। पायलट ने कहा कि राजस्थान लोक सेवा आयोग को भंग करके पूरे तंत्र का पुनर्गठन किया जाना चाहिए ताकि नियुक्तियों में पारदर्शिता का माहौल बना रहे।
अपनी दूसरी मांग के तहत उन्होंने कहा कि पेपर लीक होने से प्रभावित नौजवानों को उचित आर्थिक मुआवजा दिया जाना चाहिए। पायलट ने कहा कि मेरी तीसरी मांग यह है कि पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के कार्यकाल के दौरान हुए भ्रष्टाचार के मामलों की उच्चस्तरीय जांच कराई जाए।
पूरे प्रदेश में आंदोलन छेड़ने की चेतावनी
अपनी मांगों को पूरा कराने के लिए राज्य सरकार और कांग्रेस हाईकमान पर दबाव की रणनीति के तहत सचिन पायलट ने एक और बड़ा ऐलान किया। उन्होंने कहा कि पहले मैंने गांधीवादी तरीके से एकदिवसीय अनशन किया और उसके बाद पांच दिनों की जन संघर्ष पदयात्रा निकाली है। अब अगर मेरी मांगों पर इस महीने के आखिर तक कोई कार्रवाई नहीं की गई तो मैं पूरे प्रदेश में आंदोलन करूंगा।
उन्होंने कहा कि हम शहरों और गांवों सभी इलाकों के लोगों को साथ लेकर चलेंगे और उन्हें न्याय दिलाएंगे। उन्होंने कहा कि मैं किसी पद पर रहूं या ना रहूं मगर आखिरी सांस तक राजस्थान के लोगों के हकों की लड़ाई लड़ता रहूंगा। इस दौरान उन्होंने यह भी कहा कि हमारी निष्ठा और ईमानदारी पर कोई विरोधी भी उंगली नहीं उठा सकता।
आखिर क्यों मुश्किल हो रही पायलट की सियासी राह
वैसे राजस्थान कांग्रेस की राजनीति को नजदीक से देखने वालों का मानना है कि पायलट धीरे-धीरे अलग-थलग पड़ते जा रहे हैं। कांग्रेस हाईकमान के तेवर से साफ है कि अशोक गहलोत आगे भी मुख्यमंत्री पद पर बने रहेंगे और यह संभावना जताई जा रही है कि राजस्थान में कांग्रेस उनकी अगुवाई में ही विधानसभा चुनाव में उतरेगी। सचिन पायलट ने लंबे समय से गहलोत के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है मगर कांग्रेस आलाकमान की ओर से उनकी मांगों पर कोई सुनवाई नहीं की जा रही है।
अब माना जा रहा है कि पायलट के नए अल्टीमेटम का भी कोई खास असर नहीं पड़ने वाला है। ऐसे में पायलट की आगे की सियासी राह लगातार मुश्किल होती जा रही है। राजस्थान में इस साल के अंत में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और ऐसे में पायलट के सामने विकल्प भी सीमित होते जा रहे हैं।
नहीं दूर हो रही पायलट की नाराजगी
हालांकि मीडिया से बातचीत के दौरान पायलट हमेशा इस बात पर जोर देते रहे हैं कि वे कांग्रेस में हैं और आगे भी कांग्रेस में ही बने रहेंगे। पायलट के आगे चलकर किसी दूसरे सियासी दल का दामन थामने की अटकलें भी लगाई जाती रही हैं। हालांकि पायलट खुद इन अटकलों को खारिज करते रहे हैं। उनका कहना है कि मैंने कभी झूठ की सियासत नहीं की है और आगे चलकर भी मैं अपने स्टैंड पर कायम रहूंगा।
2018 के विधानसभा चुनाव में राजस्थान में कांग्रेस को मिली जीत में पायलट का महत्वपूर्ण योगदान माना जाता रहा है मगर पार्टी हाईकमान ने मुख्यमंत्री पद पर गहलोत को बिठाया था। पायलट पिछले पांच वर्षों से असंतुष्ट चल रहे हैं मगर उनकी नाराजगी दूर करने की दिशा में कोई ठोस कदम अभी तक नहीं उठाया गया है।
पायलट के अगले कदम पर सबकी निगाहें
जन संघर्ष पदयात्रा के बाद अब उन्होंने अपनी तीन मांगों को लेकर गहलोत सरकार को 15 दिनों का अल्टीमेटम दिया है। अब यह देखने वाली बात होगी कि अगर गहलोत सरकार की ओर से इन मांगों पर गौर नहीं फरमाया गया तो पायलट आगे क्या रुख अपनाते हैं। वैसे आरएलपी के नेता हनुमान बेनीवाल बार-बार यह बयान दे रहे हैं कि पायलट को नई राजनीतिक पार्टी बनानी चाहिए और हम पायलट की नई पार्टी से गठबंधन करने के लिए तैयार हैं।
पायलट ने अभी तक अपनी भावी रणनीति को लेकर पत्ते नहीं खोले हैं और ऐसे में राजस्थान का सियासी माहौल दिलचस्प बना हुआ है। कांग्रेस में चल रहे इस आंतरिक संघर्ष को भाजपा भुनाने की कोशिश में जुटी हुई है। दूसरी ओर कर्नाटक में मिली जीत के बाद कांग्रेस आलाकमान की ओर से राजस्थान संकट को लेकर कदम उठाए जाने की संभावना जताई जा रही है।