Ram Mandir: प्राण प्रतिष्ठा के जरिए भाजपा अपने मकसद में कामयाब, 2024 की जंग में दावा हुआ मजबूत, विपक्ष ने खो दिया बड़ा मौका

Ram Mandir: प्राण प्रतिष्ठा के इस कार्यक्रम की का बड़ा सियासी असर पड़ने की संभावना जताई जा रही है। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इस भव्य आयोजन के जरिए भाजपा अपने मकसद में कामयाब होती दिखी।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2024-01-23 09:42 IST

PM Modi (photo: social media )

Ram Mandir: अयोध्या में सोमवार को आयोजित भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के सिलसिले में पूरा देश राममय नजर आया। पूरे देश में राम नाम की जबर्दस्त धूम दिखाई दी। अयोध्या न पहुंच पाने वाले करोड़ों लोगों ने भी विभिन्न माध्यमों के जरिए प्राण प्रतिष्ठा समारोह का लाइव प्रसारण देखा। प्राण प्रतिष्ठा के बाद सोमवार की रात पूरे देश में दीपोत्सव भी मनाया गया। घर-घर भगवान राम की पूजा की गई और घरों को दीपों से खूबसूरत अंदाज में सजाया गया।

प्राण प्रतिष्ठा के इस कार्यक्रम की का बड़ा सियासी असर पड़ने की संभावना जताई जा रही है। लोकसभा चुनाव से ठीक पहले इस भव्य आयोजन के जरिए भाजपा अपने मकसद में कामयाब होती दिखी। सियासी जानकारों का मानना है कि इस कार्यक्रम से साफ हो गया है कि 2024 की सियासी जंग में अब भाजपा का दावा काफी मजबूत हो गया है। विपक्ष के अधिकांश बड़े नेता निमंत्रण के बावजूद इस कार्यक्रम में हिस्सा लेने के लिए नहीं पहुंचे। माना जा रहा है कि उन्होंने एक बड़ा मौका गंवा दिया है और इसकी उन्हें बड़ी सियासी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

भाजपा को अब राम नाम का बड़ा सहारा

दरअसल विपक्षी दलों की ओर से पहले से ही यह आरोप लगाया जा रहा था कि भाजपा इस कार्यक्रम के जरिए अपना राजनीतिक एजेंडा सेट करने की कोशिश में जुटी हुई है। जानकारों का कहना है कि विपक्षी दलों का यह आरोप पूरी तरह निराधार नहीं है क्योंकि इस आयोजन की टाइमिंग काफी महत्वपूर्ण है। भगवान रामलला की इस प्राण प्रतिष्ठा के बाद अब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी व्यापक चुनावी अभियान शुरू करने वाले हैं।

भाजपा ने अभी तक अयोध्या के कार्यक्रम को भव्य तरीके से आयोजित करने पर फोकस कर रखा था और अब भाजपा इस कार्यक्रम के जरिए अपनी चुनावी संभावनाओं को धार देने की कोशिश में जुटेगी। भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम को समाज के सभी वर्गों का समर्थन मिला है।

देश के लगभग सभी घरों में इस मुद्दे की गूंज सुनाई पड़ी। सोशल मीडिया पर भी यह मुद्दा पूरी तरह छाया रहा। सोमवार को हर जगह मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान राम की ही चर्चा रही। अभी कई दिनों तक ऐसा ही दौर दिखने की संभावना है।


हिंदुत्व के मुद्दे को मिलेगी और मजबूती

2024 के लोकसभा चुनाव में अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है। ऐसे में माना जा रहा है कि राम मंदिर का मुद्दा भाजपा के हिंदुत्व के नैरेटिव को और मजबूती प्रदान करेगा। सियासी जानकारों का कहना है कि भाजपा इस मुद्दे को भुनाने की पूरी कोशिश करेगी जिसके लिए उसने लंबे समय तक संघर्ष किया है। विपक्षी दलों के नेताओं की ओर से उठाए जाने वाले महंगाई और बेरोजगारी जैसे मुद्दों की धार राम मंदिर और केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाओं के आगे कुंद पड़ सकती है।

राम मंदिर के सियासी असर को इसी बात से समझा जा सकता है की प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम के दौरान रामभद्राचार्य ने यहां तक कह डाला कि भाजपा अगले लोकसभा चुनाव के दौरान करीब 350 सीटें जीत सकती है।


चुनावी सभाओं में गूंजेगा यह मुद्दा

भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के बाद भाजपा नेताओं की ओर से अपनी चुनावी सभाओं में यह मुद्दा जोर-शोर से उठाया जाएगा। इसमें कोई संदेह नहीं कि इसके जरिए भाजपा अपनी चुनावी संभावनाओं को मजबूत बनाने की कोशिश करेगी। उत्तर प्रदेश समेत अन्य हिंदी भाषी राज्यों में राम मंदिर के मुद्दे का बड़ा असर पड़ सकता है। उत्तर प्रदेश में लोकसभा की 80 सीटें हैं और इन सीटों पर अब भाजपा को चुनौती देना विपक्ष के लिए और मुश्किल होगा।


विपक्षी दलों ने कर दी बड़ी सियासी चूक

जानकारों को यह भी कहना है कि प्रमुख विपक्षी दलों की ओर से प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम में हिस्सा न लेना बड़ी सियासी चूक साबित हो सकती है। दरअसल राम मंदिर ट्रस्ट की ओर से विपक्ष के लगभग सभी बड़े नेताओं को इस आयोजन का निमंत्रण भेजा गया था मगर विपक्षी नेताओं ने इसे भाजपा का राजनीतिक एजेंडा बताते हुए कार्यक्रम से दूरी बना ली। कई दलों के नेताओं ने सीधे तौर पर आमंत्रण ठुकरा दिया तो कई दलों के नेताओं ने व्यस्तता के बहाने अयोध्या से दूरी बना ली।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, सोनिया गांधी और अधीर रंजन चौधरी को न्योता मिला तो उन्होंने अयोध्या जाने से मना कर दिया। दूसरी ओर हिमाचल प्रदेश सरकार में मंत्री विक्रमादित्य सिंह प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम में शामिल हुए। कर्नाटक सरकार में मंत्री और कांग्रेस नेता रामलिंगा रेड्डी ने बेंगलुरु के मारुति मंदिर में लोगों को मिठाइयां बांटीं।

वरिष्ठ नेता कर्ण सिंह ने तो यहां तक कहा था कि समारोह में जाने से गुरेज नहीं करना चाहिए। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आचार्य प्रमोद कृष्णम ने तो अयोध्या से दूरी बनाने के फैसले को पार्टी की बड़ी भूल तक बताया।


अब भाजपा को जवाब देना होगा मुश्किल

अब लोकसभा चुनाव के प्रचार के दौरान भाजपा की ओर से इस मुद्दे को जोर-जोर से उठाए जाने पर विपक्षी नेताओं को कोई जवाब नहीं सूझेगा। जानकारों का कहना है कि यदि विपक्षी नेताओं ने अयोध्या के कार्यक्रम में हिस्सा लिया होता तो भाजपा इस मुद्दे पर ज्यादा आक्रामक नहीं हो पाती मगर उन्होंने इस कार्यक्रम से दूरी बनाकर भाजपा को हमला करने का बड़ा मौका दे दिया है।

भाजपा नेतृत्व इस मौके के इंतजार में था और विपक्ष ने जाने-अनजाने उसे यह मौका मुहैया करा दिया है। आने वाले दिनों में इस मुद्दे के गूंज काफी जोर-जोर से सुनाई देगी। भाजपा इस मुद्दे का बड़ा सियासी फायदा उठाने से नहीं चूकेगी जबकि दूसरी ओर विपक्ष को बड़े सियासी नुकसान की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।

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