राम मंदिर के बाद बाबरी विध्वंस केस पर जल्द आयेगा फैसला

6 दिसम्बर 1992 केा अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढांचा गिराये जाने के मामले में लखनऊ की एक विशेष अदालत में चल रहे आपराधिक केस में अप्रैल 2020 तक फैसला आ सकता है।

Update: 2019-11-09 14:10 GMT

लखनऊ: 6 दिसम्बर 1992 केा अयोध्या में बाबरी मस्जिद ढांचा गिराये जाने के मामले में लखनऊ की एक विशेष अदालत में चल रहे आपराधिक केस में अप्रैल 2020 तक फैसला आ सकता है।

इस केस में दिसम्बर अंत तक परीक्षण की कार्यवाही पूरी हेा सकती है । केस में पूर्व उप प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवानी, मुरली मनेाहर जोशी, कल्याण सिंह, उमा भारती, विनय कटियार सहित कुल 32 लोगों के खिलाफ सीबीआई अपने अभियोजन के गवाहेां केा पेश कर रही है। इस समय कल्याण के खिलाफ गवाहों को पेश किया जा रहा है। अब तक सीबीआई लगभग 337 अभियेाजन साक्ष्यिों केा पेश कर चुकी है।

सुप्रीम केार्ट के 19 अप्रैल 2017 के आदेश पर केस की सुनवायी दिन प्रतिदिन के आधार पर चल रही है। उस समय सुप्रीम कोर्ट ने विशेष अदालत को देा साल में परीक्षण की कार्यवाही पूरी करने का आदेश दिया था किन्तु दिन प्रतिदिन कार्यवाही चलने के बावजूद सुनवायी पूरी नहीं हो पायी।

जिस पर विशेष अदालत की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने 19 जुलाई 2019 को विशेष अदालत को केस में फैसला सुनाने के लिए नौ महीने का और वक्त दे दिया और साथ ही यह भी कहा था कि छः महीने के भीतर गवाहों को पेश करने की कार्यवाही पूरी कर ली जाये।

1992 में घटी घटना के बाद थाना रामजन्म भूमि पर मुकदमें दर्ज हुए थे जिनकी विवेचना बाद में सीबीआई ने की।

आरोपत्र आने के बाद कुल 48 लेागेा पर आरेाप तय हुआ। इनमें से अब केवल 32 लेाग जीवित बचे हैं। इस केस में आरोपित रहे शिव सेना प्रमुख बाबा साहेब ठाकरे, मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के गुरू महंत अवैद्यनाथ, विश्व हिन्दू परिषद के पूर्व अध्यक्ष विष्णु हरि डालमिया एवं रामजन्म भूमि न्यास के महंत श्री रामचंद्र दास परमहंस सहित कुल 16 लेाग दिवंगत हो चुके हैं।

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