Joshimath Sinking: जोशीमठ में जमीन धंसने से बद्रीनाथ यात्रा पर भी संकट, उत्तराखंड सरकार तैयारियों में जुटी
Joshimath Sinking: बद्रीनाथ जाने के लिए जोशीमठ को ही एकमात्र रास्ता माना जाता है मगर जोशीमठ में कई स्थानों को खतरे का क्षेत्र माना जा रहा है।
Joshimath Sinking: जोशीमठ में जमीन धंसने और मकानों में दरारें पड़ने की घटनाओं के कारण बद्रीनाथ की यात्रा पर भी संकट के बादल मंडराने लगे हैं। इस संकट के कारण इस बार भगवान बद्रीनाथ की यात्रा को लेकर लोगों की चिंताएं बढ़ने लगी हैं। बद्रीनाथ जाने के लिए जोशीमठ को ही एकमात्र रास्ता माना जाता है मगर जोशीमठ में कई स्थानों को खतरे का क्षेत्र माना जा रहा है। ऐसे में भगवान बद्रीनाथ की यात्रा को लेकर सवाल उठने लगे हैं।
दूसरी ओर उत्तराखंड सरकार की ओर से दावा किया गया है कि चारधाम यात्रा की शुरुआत से पहले जोशीमठ क्षेत्र और बद्रीनाथ जाने वाले मार्ग को पूरी तरह दुरुस्त कर लिया जाएगा। सरकार का कहना है कि यात्रा में किसी भी प्रकार की अड़चन नहीं आएगी और यात्रा को सुचारू रूप से संचालित किया जाएगा।
तीर्थयात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी
उत्तराखंड में चार धाम की यात्रा का काफी धार्मिक महत्व माना जाता है और इसके साथ ही यह यात्रा आर्थिक नजरिए से भी राज्य के लिए काफी महत्वपूर्ण मानी जाती है। चार धाम यात्रा के जरिए उत्तराखंड सरकार को बड़ा राजस्व हासिल होता है मगर इस बार बद्रीनाथ यात्रा को लेकर सवाल उठ रहे हैं। अगर पुराने आंकड़ों पर गौर फरमाया जाए तो 2016 में 6.5 लाख तीर्थयात्री बद्रीनाथ गए थे। वहीं 2017 में यह संख्या बढ़कर 9.2 लाख पर पहुंच गई थी।
2018 में 10.4 लाख और 2019 में 12.4 लाख लोगों ने बद्रीनाथ की यात्रा की थी। कोरोना महामारी के कारण 2020 और 2021 में कम यात्री बद्रीनाथ की यात्रा पर पहुंचे थे। कोरोना महामारी का असर कम होने के बाद 2022 में यह संख्या बढ़कर 17.6 लाख पर पहुंच गई थी। इससे समझा जा सकता है कि काफी संख्या में लोग भगवान बद्रीनाथ का दर्शन करने के लिए पहुंचते रहे हैं।
उत्तराखंड सरकार का बड़ा दावा
जोशीमठ में जमीन धंसने के कारण कई इलाके असुरक्षित माने जा रहे हैं। क्षेत्र में दरारें लगातार चौड़ी होने की शिकायतें मिल रही हैं। बद्रीनाथ की यात्रा शुरू होने में अब सिर्फ तीन महीने से थोड़ा अधिक समय बचा है। ऐसे में सरकार के पास यात्रा की तैयारियों को लेकर ज्यादा वक्त नहीं बचा है। वैसे राज्य सरकार की ओर से यात्रा शुरू होने से पहले सारी व्यवस्था दुरुस्त कर लेने का दावा किया गया है। सरकार का कहना है कि यात्रा को किसी भी सूरत में प्रभावित नहीं होने दिया जाएगा।
आपदा प्रबंधन और पुनर्वास सचिव डॉ रंजीत कुमार सिन्हा ने कहा कि जोशीमठ से आगे बद्रीनाथ जाने वाले कुछ मार्ग अवश्य प्रभावित हुए हैं,लेकिन इन मार्गों को दुरुस्त करने का काम काफी तेजी से किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि अभी यात्रा की शुरुआत में काफी वक्त बचा है और यात्रा शुरू होने से पहले सारी व्यवस्था दुरुस्त कर ली जाएगी। उन्होंने कहा कि बारिश होने की स्थिति में सर्वेक्षण आदि कामों में थोड़ा वक्त लग सकता है मगर लोगों की सुरक्षा के लिए पुख्ता प्रबंध किए गए हैं।
इसलिए बढ़ी सरकार की परेशानी
वैसे हाल के वर्षों में तीर्थयात्रियों की संख्या में बढ़ोतरी ने स्थानीय प्रशासन और राज्य सरकार की दिक्कत बढ़ा दी है। यात्रियों की संख्या बढ़ने के साथ वाहनों की संख्या में भी बढ़ोतरी होती है जिससे सड़कों पर दबाव बढ़ता है। यात्रियों के साथ वाहनों का बढ़ता दबाव जोशीमठ के लिए और ज्यादा खतरनाक हो सकता है। अब सबकी निगाहें इस बात पर लगी हुई है कि राज्य सरकार अपने दावे को पूरा करने में कहां तक कामयाब हो पाती है।