बालाकोट हवाई हमला एक संदेश था- रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह

बालाकोट हवाई हमलों में भारत द्वारा दर्शायी गई जबरदस्त प्रतिक्रिया में नियंत्रण रेखा से पार अनेक सिद्धांतों को दोबारा लिखने के लिए मजबूर किया और यह बताया कि शत्रु को भविष्य में ऐसा दुस्साहस करने के लिए सौ बार सोचना होगा।

Update:2020-02-28 21:39 IST

नई दिल्ली: 2016 की सर्जिकल स्ट्राइक और 2019 के बालाकोट हवाई हमले केवल सैन्य हमले ही नहीं थे बल्कि शत्रु के लिए एक मजबूत संदेश थे कि सीमा पार से आतंकवादी बुनियादी ढांचे का भारत के खिलाफ सस्तीक जंग छेड़ने के लिए एक सुरक्षित शरण स्थील के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जा सकता है।

यह बात रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज बालाकोट हवाई हमले की पहली वर्षगांठ के अवसर पर ‘सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज’ द्वारा आयोजित ‘युद्ध नहीं, शांति नहीं परिदृश्या में वायु शक्ति’ नामक एक संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कही। देश की सेवा में सशस्त्र बलों के बलिदान का स्मररण करते हुए और पुलवामा हमले के शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उन्होंंने कहा कि देश शहीदों के बलिदान को कभी नहीं भूलेगा।

हमलों में भारत की रक्षा क्षमता का प्रदर्शन हुआ है

उन्होंने कहा कि बालाकोट हवाई हमलों में भारत द्वारा दर्शायी गई जबरदस्त प्रतिक्रिया में नियंत्रण रेखा से पार अनेक सिद्धांतों को दोबारा लिखने के लिए मजबूर किया और यह बताया कि शत्रु को भविष्य में ऐसा दुस्साहस करने के लिए सौ बार सोचना होगा। उन्होंने कहा कि इन हमलों में भारत की रक्षा क्षमता का प्रदर्शन हुआ है और आतंकवाद के खिलाफ अपनी रक्षा करने के अधिकार की पुष्टि हुई है।

पाकिस्तान को अभी बहुत कुछ करना है: राजनाथ सिंह

राजनाथ सिंह ने बालाकोट हवाई हमले को सैन्यद सटीकता और प्रभाव की एक विलक्षण घटना के रूप में वर्णन करते हुए कहा कि आतंकवाद के विरूद्ध हमारा दृष्टिकोण नैदानिक सैन्यक कार्रवाई और परिपक्वा तथा जिम्मेूदार राजनयिक पहुंच का न्याकयोचित संयोजन था। उन्होंने राष्ट्र को आश्वासन दिया कि सरकार भविष्यव में भी राष्ट्र सुरक्षा के लिए किसी भी खतरे का माकूल जवाब देगी। सरकार ने भविष्या में किसी भी खतरे से निपटने के लिए बड़े संरचनात्माक बदलाव शुरू किए हैं। उन्हों ने सभी हितधारकों से इन बदलावों को प्रभावी और कुशल बनाने में योगदान देने का अनुरोध किया।

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पाकिस्तान नकल और छल की पुरानी नीति जारी रखेगा

राजनाथ सिंह ने कहा कि आज दुनिया आतंकवाद के खिलाफ भारत के साथ कंधा से कंधा मिलाकर खड़ी है। सीमा पार आतंकवाद से निपटने के लिए सामूहिक राजनयिक और वित्तीकय दबाव के महत्वक पर जोर देते हुए उन्हों ने कहा कि हमने अभी हाल में पाकिस्तारन पर सामूहिक, राजनयिक और वित्तीकय दबाव के प्रभाव को देखा है। वीआईपी और नायकों की तरह सम्मा़न पाने वाले हाफिज़ सईद जैसे आतंकियों को जेल में डाला गया। हमने महसूस किया है कि जब तक पाकिस्ता न को जवाबदेह नहीं माना जाता है, यह कदम पर्याप्त नहीं हैं, क्योंकि पाकिस्तान नकल और छल की पुरानी नीति जारी रखेगा। इस दिशा में काम करने के सभी प्रयास किए जा रहे हैं।

राजनाथ सिंह ने संकर युद्ध को एक वास्तविकता की संज्ञा देते हुए इस युद्ध द्वारा उत्प न्न चुनौतियों से निपटने के लिए सैनिकों के प्रशिक्षण को पुनर्गठित करने की जरूरत पर जोर दिया। शंकर युद्ध के विभिन्न पहलुओं का उल्लेकख करते हुए उन्होंपने कहा कि ऐसे परिदृश्यि में कृत्रिम बुद्धिमत्ता, उच्चक गति वाले हथियार, अंतरिक्ष आधारित सेंसर्स उपकरण महत्वशपूर्ण प्रभाव डालेंगे। उन्हों ने नई प्रौद्योगिकियों को अपनाने और मौजूदा क्षमताओं का नवाचारी तरीकों से उपयोग करने की जरूरत पर जोर दिया।

कारगिल, उरी और पुलवामा हमलों में यह निष्ठान तेजी से देखने को मिली

इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाजफ जनरल विपिन रावत ने कहा कि विश्वअ में भू-राजनीति बदल रही है और भारत इस क्षेत्र में अनेक झड़पों का गवाह है। उन्हों ने हर समय भूमि, वायु और समुद्र में विश्वसनीय निष्ठा बनाए रखने का आह्वान किया। उन्होंनने कहा कि तीनों सेनाओं का किसी भी संभावित खतरे से निपटने के लिए मिलकर साथ-साथ काम करना चाहिए। विश्वसनीय निष्ठा, कठिन निर्णय लेते समय सैन्यम नेतृत्वउ और राजनीति वर्ग की इच्छाे से आती है। कारगिल, उरी और पुलवामा हमलों में यह निष्ठान तेजी से देखने को मिली।

वायुसेना प्रमुख, एयर चीफ मार्शल श्री आर के एस भदोरिया ने कहा कि 2019 में पाकिस्ता न के भीतर आतंकवादी प्रशिक्षण शिविरों पर हमला करने का साहसिक निर्णय लिया था। उन्होंने कहा कि उप-पारंपरिक परिदृश्ये में वायुसेना का उपयोग एक प्रमुख बदलाव था। उन्हों ने उत्पन्न- स्थिति से शीघ्रतापूर्वक निपटने के लिए किए गए राजनयिक और राजनीतिक प्रयासों की सराहना की।

भारतीय वायु सेना को नवीनतम प्रौद्योगिकी

सफल हवाई हमलों के कार्य में लगे विभिन्नन संगठनों में तालमेल की प्रशंसा करते हुए उन्होंमने कहा कि इस तरह के ठोस प्रयास किए गए कि इन हमलों में किसी नागरिक की मौत न हो। उन्होंकने हाल के दिनों में भारतीय वायु सेना को नवीनतम प्रौद्योगिकी से लैस करने के लिए राजनीतिक नेतृत्वा की सराहना की। बेहतर क्षमताओं को हासिल करने के संघर्ष में डेढ़ दशक से भी अधिक का समय लग गया। उन्होंकने स्विदेशी क्षमता निर्माण पर भी जोर दिया।

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इस सेमिनार में ‘युद्ध नहीं, शांति नहीं परिदृश्यग में’ शत्रु के खिलाफ राष्ट्री य इच्छा् शक्ति के प्रयोग के कारण आवश्यदक हुई परिस्थितियों में वायु शक्ति के उपयोग के बारे में ध्यान केंद्रित किया गया। रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव डॉ जी सतीश रेड्डी, सेंटर फॉर एयर पावर स्टडीज़ के निदेशक एयर मार्शल के के. नोहवार (सेवानिवृत्त), पूर्व वायुसेनाध्यक्ष, विद्वान, सेवारत और सेवानिवृत्त अधिकारी भी इस कार्यक्रम में शामिल हुए।

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