Bharat Jodo Yatra: कांग्रेस का बड़ा सियासी मिशन, मोदी के मुकाबले राहुल को चेहरा बनाने की कोशिश
Bharat Jodo Yatra: कांग्रेस ने दिल्ली के रामलीला मैदान में महंगाई के खिलाफ हल्लाबोल रैली के बाद राहुल की दावेदारी को मजबूत बनाने के लिए यह दूसरा बड़ा अभियान छेड़ा है।
Bharat Jodo Yatra: 2024 के लोकसभा चुनाव में विपक्ष के चेहरे को लेकर उलझे सवाल के बीच कांग्रेस की भारत जोड़ो यात्रा को बड़ा सियासी मिशन माना जा रहा है। इसे 2024 की सियासी जंग में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ राहुल गांधी को चेहरा बनाने की कोशिशों के रूप में देखा जा रहा है। कांग्रेस के राजस्थान में हुए चिंतन शिविर में इस यात्रा को निकाले जाने का फैसला किया गया था और उसके बाद से ही लगातार पार्टी नेता इस यात्रा की तैयारियों में जुटे रहे हैं। कांग्रेस ने दिल्ली के रामलीला मैदान में महंगाई के खिलाफ हल्लाबोल रैली के बाद राहुल की दावेदारी को मजबूत बनाने के लिए यह दूसरा बड़ा अभियान छेड़ा है।
हालांकि विपक्षी दलों के बीच हुए चेहरे को लेकर ऐसा पेंच फंसा हुआ है कि इस सवाल का हल आसानी से निकलता नहीं दिख रहा है। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के दिल्ली मिशन में भी तस्वीर पूरी तरह साफ नहीं हो सकी है मगर इतना जरूर है कि राहुल की दावेदारी को कमजोर नहीं आंका जा सकता। इस यात्रा की शुरुआत के साथ ही कांग्रेस नेताओं ने राहुल के लिए सियासी पिच तैयार करने का काम शुरू कर दिया है।
राहुल का इमोशनल कार्ड
3570 किलोमीटर लंबी इस पद यात्रा की शुरुआत से पहले राहुल गांधी ने चेन्नई के नजदीक श्रीपेरंबदूर राजीव गांधी मेमोरियल पहुंचकर अपने पिता को श्रद्धांजलि दी। यात्रा की शुरुआत से पहले राहुल गांधी ने कहा कि नफरत और बंटवारे की राजनीति में मैंने अपने पिता को खो दिया मगर मैं अपने प्यारे देश को इसमें नहीं खोऊंगा। उन्होंने कहा कि प्यार नफरत को जीतने में कामयाब होगा और आशा डर को हरा देगी।
राहुल ने कहा कि हम सभी लोग दबाव के दौर में जी रहे हैं और हमारे सभी संस्थानों पर हमले किए जा रहे हैं। संसद में भी विपक्ष को बोलने की छूट नहीं है। ऐसे में सबको मिलकर लड़ाई लड़नी होगी।
यात्रा की शुरुआत के साथ ही कांग्रेस नेताओं ने राहुल की दावेदारी को मजबूत बनाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत, कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार और कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने राहुल के लिए सियासी पिच तैयार करने का काम बखूबी शुरू कर दिया है।
राहुल की दावेदारी को मजबूत बनाने की कोशिश
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि राहुल गांधी ने देश की एकता को बनाए रखने के लिए लड़ाई लड़ने का संकल्प कर लिया है। राहुल गांधी की अगुवाई में निकलने वाली भारत जोड़ो यात्रा का मकसद ही देश में नफरत के माहौल को खत्म करके लोगों के दिलों को आपस में जोड़ना है। उन्होंने कहा कि 12 राज्यों से निकलने वाली इस यात्रा का मकसद शांति और सद्भाव का संदेश देना है।
कर्नाटक प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष डीके शिवकुमार राहुल ने कहा कि राहुल गांधी ने देश को एकजुट बनाने का बीड़ा उठाया है। उन्होंने देश को जोड़ने की जो मुहिम शुरू की है, उसका बड़ा असर दिखेगा। उन्होंने कहा कि मौजूदा दौर में लोगों के दिल टूट रहे हैं और कांग्रेस का मकसद टूटे हुए दिलों को जोड़ना है।
कांग्रेस महासचिव जयराम रमेश ने कहा कि राहुल की अगुवाई में निकलने वाली यह यात्रा टर्निंग प्वाइंट साबित होगी। इस यात्रा के जरिए देश में एक नई शुरुआत की जा रही है। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शशि थरूर ने कहा कि इस यात्रा के जरिए भारत जोड़ो और कांग्रेस जोड़ो दोनों लक्ष्य साधे जा सकते हैं।
कांग्रेस नेताओं के बयानों का संकेत साफ
कांग्रेस नेताओं के इन बयानों से साफ हो गया है कि यह यात्रा पार्टी की सियासी मजबूती के साथ ही राहुल को विपक्ष के बड़े चेहरे के रूप में स्थापित करने की मुहिम का हिस्सा है। सियासी जानकारों का मानना है कि कांग्रेस में राहुल समर्थक खेमा उन्हें एक बार फिर पार्टी का अध्यक्ष बनाने की मुहिम में तेजी लाने की कोशिश में जुट गया है। कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव 17 अक्टूबर को प्रस्तावित है। इसके साथ ही 2024 की बड़ी सियासी जंग में राहुल के लिए सियासी पिच तैयार करने की कोशिश भी की जा रही है।
कन्याकुमारी से कश्मीर तक निकलने वाली इस यात्रा के केंद्रबिंदु राहुल गांधी ही होंगे। हाल के दिनों में राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखे हमलों की बौछार शुरू कर दी है। दिल्ली में हुई कांग्रेस की हल्लाबोल रैली में भी उन्होंने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर ही हमला किया था उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी प्रदेश में घृणा और नफरत का माहौल पैदा करने का बड़ा आरोप लगाया था। उन्होंने केंद्रीय एजेंसियों के दुरुपयोग का आरोप लगाते हुए यह भी कहा कि प्रधानमंत्री के खिलाफ बोलने वाले को 55 घंटे तक ईडी के ऑफिस में बैठना पड़ता है।
राहुल की दावेदारी की अनदेखी संभव नहीं
हाल के दिनों में राहुल गांधी पीएम मोदी और भाजपा के खिलाफ एकजुट होकर लड़ाई लड़ने पर जोर दे रहे हैं। हाल में उनकी विपक्ष के बड़े चेहरे और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से भी बात हुई है। इस बातचीत में समान विचारधारा वाले दलों के दोनों के बीच एकजुटता की बात पर सहमति बनी है मगर पीएम पद को लेकर चेहरे का सवाल अभी अनसुलझा है।
ऐसे में कांग्रेस राहुल को लेकर अपनी ओर से कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रही है। सियासी जानकारों का भी मानना है कि दिल्ली की सत्ता की लड़ाई में कांग्रेस की अनदेखी नहीं की जा सकती। क्षेत्रीय दलों को बढ़ाते दबाव के बावजूद राहुल की मजबूत दावेदारी से इनकार नहीं किया जा सकता।