Bharat Jodo Yatra: भारत जोड़ो यात्रा से बदली राहुल गांधी की छवि,अब होगी असली परीक्षा,भाजपा के खिलाफ दिखाना होगा दम

Bharat Jodo Yatra: यात्रा की शुरुआत पिछले साल 7 सितंबर को कन्याकुमारी से हुई थी। 3570 किलोमीटर चलने के बाद आज यात्रा का समापन हो गया।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2023-01-30 18:17 IST

Bharat Jodo Yatra changed Rahul Gandhi image (Social Media)

Bharat Jodo Yatra: कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी की अगुवाई में कन्याकुमारी से निकली भारत जोड़ो यात्रा सोमवार को कश्मीर के श्रीनगर में समाप्त हो गई। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी ने 12 राज्यों और दो केंद्र शासित प्रदेशों को कवर किया है। यात्रा की शुरुआत पिछले साल 7 सितंबर को कन्याकुमारी से हुई थी। 3570 किलोमीटर चलने के बाद आज यात्रा का समापन हो गया। कांग्रेस के इस बड़े कार्यक्रम से पार्टी को कितना सियासी फायदा होगा,यह तो आने वाला वक्त बताएगा मगर इस यात्रा के जरिए राहुल गांधी अपनी छवि बदलने में जरूर कामयाब रहे हैं। इस यात्रा के दौरान राहुल गांधी एक परिपक्व और गंभीर नेता की छवि बनाने में कामयाब हुए हैं।

कई राज्यों में यात्रा को व्यापक जनसमर्थन हासिल हुआ है। यात्रा के दौरान कुछ विपक्षी दलों ने राहुल गांधी का साथ दिया तो कई विपक्षी दलों ने कन्नी भी काट ली। सियासी जानकारों का मानना है कि इसे यात्रा के जरिए राहुल गांधी पार्टी पदाधिकारियों,कार्यकर्ताओं और संगठन को सक्रिय बनाने में तो कामयाब हुए हैं मगर इसे चुनावी कामयाबी में बदलना आसान नहीं होगा। आने वाले दिनों में भाजपा के खिलाफ सियासी जोरआजमाइश में उन्हें पूरी ताकत लगानी होगी।

भाजपा और संघ पर लगातार हमलावर दिखे राहुल

कांग्रेस की ओर से दावा किया जा रहा है कि इस यात्रा का मकसद आगामी चुनावों में पार्टी की स्थिति को मजबूत बनाना नहीं बल्कि देश से नफरत की भावना को खत्म करते हुए देश को एक साथ लाने का था। यात्रा के दौरान अपने भाषणों के दौरान राहुल गांधी ने भी इस बात को प्रमुखता से कहा कि वे नफरत के माहौल को खत्म करने और प्यार बांटने के लिए निकले हैं।

पूरी यात्रा के दौरान अपने भाषणों में राहुल गांधी ने भाजपा और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के खिलाफ जमकर हमला बोला। उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा और संघ की ओर से महत्वपूर्ण संस्थानों पर कब्जा किया जा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भी लगातार अपने निशाने पर रखा।

वे लगातार पीएम मोदी पर दो बड़े उद्योगपतियों अंबानी और अडानी को फायदा पहुंचाने का आरोप लगाते रहे। भीषण ठंड में यात्रा के दौरान राहुल गांधी लगातार टी-शर्ट पहने रहे और इस पूरी यात्रा के दौरान उनकी टी-शर्ट भी हमेशा चर्चा में बनी रहे। सोशल मीडिया पर भी उनकी टीशर्ट की खासी चर्चा रही।

चुनावों में होगी राहुल की अग्निपरीक्षा

यात्रा के दौरान मिले जनसमर्थन से राहुल गांधी और कांग्रेस नेता उत्साहित दिख रहे हैं मगर आने वाले दिनों में उनकी असली परीक्षा होगी। पूर्वोत्तर के तीन राज्यों में चुनावी बिसात बिछी चुकी है और जल्द ही कई और राज्यों में विधानसभा चुनाव होने हैं। इस साल देश के नौ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के लिए भाजपा जोरदार तैयारियों में जुटी हुई है और ऐसे में आने वाले दिनों में राहुल गांधी की बड़ी सियासी अग्निपरीक्षा होनी है।

चुनाव आयोग की ओर से यदि तैयारियां पूरी कर ली गईं तो जम्मू-कश्मीर दसवां चुनावी राज्य हो सकता है। राहुल गांधी की यात्रा को जम्मू-कश्मीर में नेशनल कांफ्रेंस के नेता डॉक्टर फारुख अब्दुल्ला और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी के मुखिया महबूबा मुफ्ती का समर्थन मिला है। माना जा रहा है कि जम्मू-कश्मीर के विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस इन दलों के साथ गठबंधन करके भाजपा को मजबूत चुनौती देने में कामयाब हो सकती है।

इन राज्यों में दिखाना होगा दम

त्रिपुरा, मेघालय और नागालैंड में विधानसभा चुनाव के बाद कांग्रेस को कई अन्य राज्यों में अपनी ताकत दिखानी होगी। कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश जैसे राज्य कांग्रेस के लिए काफी अहम माने जा रहे हैं। मौजूदा समय में राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस की सरकारें हैं जबकि मध्य प्रदेश में भी कांग्रेस मजबूत स्थिति में है। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस से सत्ता छीनने के लिए भाजपा के शीर्ष नेताओं ने सक्रियता बढ़ा दी है। मध्यप्रदेश में कमलनाथ ने कांग्रेस की ओर से अकेले मोर्चा संभाल रखा है जबकि दूसरी ओर भाजपा कांग्रेस का रास्ता रोकने के लिए पूरी ताकत लगाने की तैयारी में जुटी हुई है। कर्नाटक में भी कांग्रेस और भाजपा के बीच कड़े मुकाबले की उम्मीद जताई जा रही है।

सियासी जानकारों का मानना है कि चुनावी राज्यों में राहुल गांधी की असली अग्निपरीक्षा होगी। यदि कांग्रेस को इन चुनावों में कामयाबी मिली तो निश्चित रूप से इसे भारत जोड़ो यात्रा से मिली कामयाबी से जोड़कर देखा जाएगा। यदि कांग्रेस विधानसभा चुनावों में भाजपा को मजबूत चुनौती देने में कामयाब नहीं हो सकी तो निश्चित रूप से भारत जोड़ो यात्रा पर सवाल उठाए जाएंगे।

मिशन 2024 भी कांग्रेस के लिए अहम

देश में 2014 और 2019 में हुए लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में भाजपा ने अपनी ताकत दिखाई थी। भाजपा की ओर से मिशन 2024 की तैयारियां भी शुरू कर दी गई हैं। ऐसे में कांग्रेस के लिए अगला लोकसभा चुनाव भी काफी महत्वपूर्ण होगा। कांग्रेस को भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कई विपक्षी दलों का समर्थन हासिल हुआ तो कई प्रमुख विपक्षी दलों ने कांग्रेस से किनारा भी कर लिया। ऐसे में 2024 की सियासी जंग में है विपक्षी एकजुटता को लेकर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं।

तमिलनाडु में भारत जोड़ो यात्रा के दौरान राहुल गांधी को द्रमुक के मुखिया और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन का समर्थन हासिल हुआ था। इसके साथ ही महाराष्ट्र में कांग्रेस के सहयोगी दलों शिवसेना और एनसीपी ने भी यात्रा को समर्थन दिया था। हालांकि उत्तर प्रदेश में कांग्रेस के आमंत्रण के बावजूद समाजवादी पार्टी,बहुजन समाज पार्टी और राष्ट्रीय लोकदल ने यात्रा में शामिल होने से इनकार कर दिया था।

इन दलों के नेताओं ने पूर्व निर्धारित कार्यक्रमों की व्यस्तता बताकर भारत जोड़ो यात्रा से किनारा कर लिया था। जम्मू कश्मीर में कांग्रेस की यात्रा को दो बड़े सियासी दलों का समर्थन मिला। नेशनल कांफ्रेंस के नेता डॉक्टर फारूक अब्दुल्ला,उनके बेटे उमर अब्दुल्ला और पीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती ने यात्रा को देश में नफरत का माहौल खत्म करने के लिए उपयोगी बताते हुए इसमें हिस्सा भी लिया।

विपक्ष की खींचतान पड़ सकती है भारी

वैसे समापन कार्यक्रम में कांग्रेस की ओर से न्योता दिए जाने के बावजूद ममता बनर्जी,अखिलेश यादव, तेजस्वी यादव और नीतीश कुमार जैसे नेताओं के न पहुंचने पर सवाल भी खड़े हो रहे हैं। माना जा रहा है कि विपक्ष में पीएम पद के चेहरे को लेकर गुत्थी उलझी हुई है और इस गुत्थी को सुलझाना भी आसान नहीं होगा। तेलंगाना के मुख्यमंत्री के चंद्रशेखर राव ने पिछले दिनों बड़ी रैली का आयोजन किया था मगर इस रैली में है कांग्रेस को आमंत्रित नहीं किया था।

सियासी जानकारों का मानना है कि केसीआर गैर कांग्रेसी और गैर भाजपाई विपक्षी गठबंधन बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में विपक्ष के बीच खींचतान तेज होने की संभावना जताई जा रही है जिसका भाजपा को बड़ा सियासी फायदा हो सकता है।

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