अलग "भील" राज्य की मांग ने जोर पकड़ा, हजारों आदिवासियों ने की मेगा रैली
Bhil Pradesh Demand: आदिवासी जन राजस्थान के 12, गुजरात के 14, मध्य प्रदेश के 13 और महाराष्ट्र के 6 जिलों को मिलाकर 'भील' या आदिवासी राज्य की स्थापना की मांग कर रहे हैं।
Bhil Pradesh Demand: अलग 'भील प्रदेश' या आदिवासी राज्य बनाने की मांग जोर पकड़ती जा रही है। इस मांग को लेकर राजस्थान, मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के हजारों आदिवासियों ने बांसवाड़ा के मानगढ़ धाम में एक मेगा रैली की है। आदिवासी चाहते हैं कि देश के 4 राज्यों के 49 जिलों को मिलाकर एक नया राज्य बनाया जाए और इस मांग को लेकर वे जल्द ही राष्ट्रपति और पीएम से मिलने के लिए एक प्रतिनिधिमंडल भेजेंगे।
मानगढ़ में हुआ जुटान
राजस्थान के बांसवाड़ा जिले में इस विशाल आदिवासी रैली के लिए मध्य प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र के आदिवासी मानगढ़ धाम पहुंचे। मानगढ़ को आदिवासियों का पवित्र स्थान माना जाता है। भील समुदाय के सबसे बड़े संगठन आदिवासी समुदाय के 35 संगठनों द्वारा बुलाई गई इस मेगा रैली में आदिवासी समुदाय के कई सांसद और विधायक भी शामिल हुए।
क्या है डिमांड
आदिवासी जन राजस्थान के 12, गुजरात के 14, मध्य प्रदेश के 13 और महाराष्ट्र के 6 जिलों को मिलाकर 'भील' या आदिवासी राज्य की स्थापना की मांग कर रहे हैं।
मानगढ़ धाम में आदिवासी नेताओं द्वारा आयोजित विशाल जनसभा को संबोधित करते हुए नवनिर्वाचित सांसद राजकुमार रोत ने कहा कि भील राज्य की मांग लंबे समय से चली आ रही है और भारतीय आदिवासी पार्टी (बीएपी) इस मुद्दे को पूरे जोर-शोर से उठा रही है। बीएपी नेता राजकुमार रोत ने कहा, "भील राज्य की मांग कोई नई बात नहीं है। बीएपी लंबे समय से इस मांग को मजबूती से उठा रही है। महारैली के बाद एक प्रतिनिधिमंडल राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से मिलकर भील राज्य की स्थापना का प्रस्ताव रखेगा।"
उन्होंने कहा कि “1913 में मानगढ़ में 1,500 से अधिक आदिवासियों का बलिदान सिर्फ भक्ति आंदोलन के लिए नहीं था, बल्कि भील प्रांत की मांग के लिए था।” आसपुर से बीएपी विधायक उमेश मीना और धारियावाड़ विधायक थावरचंद भील ने ‘भील राज्य’ के नारे लिखी टी-शर्ट पहनकर रैली में भाग लिया।
मानगढ़ नरसंहार
मानगढ़ नरसंहार 17 नवंबर 1913 को हुआ था, जब ब्रिटिश राज के सैनिकों ने भील विद्रोह के अंत में गोविंदगिरी बंजारा के गढ़ पर हमला किया था। यह राजस्थान के मानगढ़ पहाड़ियों में एक पहाड़ी पर हुआ था। मारे गए भील, बंजारा की संख्या के बारे में कोई सटीक आंकड़े नहीं हैं, लेकिन माना जाता है कि 1,500 बंजारा आदिवासी मारे गए थे।