Bihar Caste Census: जाति जनगणना से INDIA गठबंधन को मिली ताकत, कांग्रेस की आक्रामक रणनीति से भाजपा की मुश्किलें बढ़ीं

Bihar Caste Census: देश के पांच राज्यों में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और उसके बाद अगले साल लोकसभा चुनाव पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं। सियासी जानकारों का मानना है कि चुनाव से पहले जारी की गई इस रिपोर्ट ने चुनावी एजेंडा भी सेट कर दिया है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update:2023-10-03 11:34 IST

INDIA alliance (photo: social media ) 

Bihar Caste Census: बिहार सरकार ने सोमवार को बहुप्रतीक्षित जाति जनगणना के आंकड़े जारी कर दिए। इन आंकड़ों के मुताबिक राज्य की कुल आबादी में करीब 63 फ़ीसदी लोग अति पिछड़ा व पिछड़ा वर्ग के हैं। जातिगत सर्वेक्षण के आंकड़े जारी करने वाला बिहार देश का पहला राज्य बन गया है। बिहार में अगर किसी एक जाति की बात की जाए तो यादवों की आबादी सबसे ज्यादा 14.26 फीसदी है। नीतीश सरकार की ओर से जाति जनगणना के आंकड़े जारी किए जाने के बाद देश की सियासत भी गरमा गई है।

विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया की ओर से लगातार पूरे देश में जातिगत आधार पर गणना कराने की मांग की जा रही है। बिहार सरकार की ओर से जाति गणना के आंकड़े जारी किए जाने के बाद इंडिया गठबंधन को भी नई ताकत मिली है और मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इस मुद्दे पर आक्रामक रणनीति अपनाकर भाजपा की मुश्किलें बढ़ा दी हैं।

देश के पांच राज्यों में जल्द ही विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और उसके बाद अगले साल लोकसभा चुनाव पर सबकी निगाहें लगी हुई हैं। सियासी जानकारों का मानना है कि चुनाव से पहले जारी की गई इस रिपोर्ट ने चुनावी एजेंडा भी सेट कर दिया है। अब चुनाव के दौरान ओबीसी का मुद्दा काफी महत्वपूर्ण हो गया है।

क्षेत्रीय दलों के साथ कांग्रेस भी मैदान में उतरी

जाति जनगणना के मुद्दे पर राजद, जदयू और समाजवादी पार्टी जैसे क्षेत्रीय दलों के साथ ही कांग्रेस भी खुलकर बैटिंग करने लगी है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी सभाओं के दौरान इस मुद्दे को जोर-शोर से उठा रहे हैं। उनका करना है कि पूरे देश में जातिगत आधार पर गणना कराकर उसके आंकड़े जारी किए जाने चाहिए ताकि विभिन्न जातियों के लोगों को उनकी संख्या के हिसाब से लाभ पहुंचाया जा सके।

नीतीश सरकार की ओर से जाति गणना के आंकड़े जारी किए जाने के बाद राहुल गांधी ने अपनी पोस्ट में कहा कि बिहार सरकार के आंकड़ों से साफ हो गया है कि राज्य में ओबीसी, एससी और एसटी की आबादी करीब 84 फ़ीसदी है। उन्होंने आंकड़ों के आधार पर केंद्र सरकार पर तीखा हमला भी बोला।

राहुल गांधी ने महिला आरक्षण बिल पर संसद में चर्चा के दौरान 90 सचिवों में से केवल तीन के ओबीसी से जुड़े होने का मुद्दा उठाया था। उन्होंने फिर यह मुद्दा उठाते हुए केंद्र की मोदी सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि ओबीसी सचिव भारत का सिर्फ पांच फीसदी बजट संभालते हैं।

विभिन्न राज्यों में जातिगत जनगणना का वादा

दरअसल जाति जनगणना के मुद्दे पर कांग्रेस की आक्रामक रणनीति भाजपा की मुश्किलें बढ़ा रही है। पार्टी की ओर से मध्य प्रदेश में सरकार बनने पर जातिगत आधार पर जनगणना कराने का वादा किया गया है। पार्टी का कहना है कि सरकार बनने के बाद इसी आधार पर नीतियां बनाकर विभिन्न जातियों से जुड़े लोगों के कल्याण का प्रयास किया जाएगा। राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना जैसे अन्य चुनावी राज्यों में भी पार्टी की ओर से इस तरह का वादा किया जा रहा है।

कर्नाटक में कांग्रेस के चुनाव जीतने के बाद मुख्यमंत्री बने सिद्धारमैया ने भी जाति जनगणना के प्रति प्रतिबद्धता जताई है। उनका कहना है कि राज्य सरकार ने 2015 की पिछड़ा वर्ग आयोग की जातिवार सामाजिक-आर्थिक रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है और सरकार आगे चलकर इस रिपोर्ट के आधार पर विभिन्न जातियों से जुड़े लोगों के उत्थान की नीतियां बनाएगी।

भाजपा के वोट बैंक में सेंधमारी की आशंका

2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान भाजपा को मिली बड़ी जीत के पीछे ओबीसी मतदाताओं के समर्थन की बड़ी भूमिका मानी गई थी। 2019 के चुनाव के संबंध में एक रिपोर्ट के मुताबिक उस समय भाजपा को रसूख वाली जातियों से जुड़े करीब 40 फ़ीसदी ओबीसी मतदाताओं का समर्थन हासिल हुआ था जबकि कमजोर ओबीसी जातियां का 48 फ़ीसदी समर्थन भाजपा के पक्ष में गया था। इस समर्थन के दम पर ही भाजपा दिल्ली की सत्ता पर अपना कब्जा बनाए रखने में कामयाब हुई थी।

अब 2024 की जंग से पहले विपक्षी दलों के गठबंधन इंडिया ने जाति जनगणना को अपना चुनावी मुद्दा बना लिया है। पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान भी यह मुद्दा काफी तेजी पकड़ चुका है। ऐसे में माना जा रहा है कि इंडिया गठबंधन भाजपा के ओबीसी वोट बैंक में तगड़ी सेंधमारी कर सकता है। इसी कारण भाजपा की सियासी मुश्किलें बढ़ना तय माना जा रहा है।

पीएम मोदी ने दिया विपक्ष को जवाब

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता जयराम रमेश का कहना है कि सामाजिक न्याय के लिए जाति जनगणना जरूरी है। इसके जरिए ही पिछड़े वर्ग के लोगों के साथ वास्तविक न्याय किया जा सकता है। दूसरी ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को ग्वालियर की जनसभा में कहा कि विकास विरोधी लोग पहले ही गरीबों की भावनाओं से खेलते थे और आज भी वे यही खेल खेलने में जुटे हुए हैं। ये लोग तब भी जात-पात के नाम पर लोगों को बांटते थे और आज भी वे यही पाप कर रहे हैं।

हालांकि पीएम मोदी ने जाति जनगणना के मुद्दे पर खुलकर कुछ नहीं कहा मगर उन्होंने इशारों में विपक्षी दलों को विकास विरोधी बताते हुए कहा कि आज यह लोग देश को बांटने में जुटे हुए हैं और एक परिवार का गौरवगान जारी रखे हुए हैं। पीएम मोदी का यह हमला भाजपा की बढ़ती मुश्किलों का बड़ा संकेत माना जा रहा है। अब सबकी निगाहें भाजपा के जवाबी कदम पर लगी हुई हैं।

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