महागठबंधन में दरार! नीतीश के इस्तीफे पर मोदी ने दी बधाई, BJP दे सकती है समर्थन!
बिहार में जारी राजनीतिक उठापटक के बीच बुधवार (26 जुलाई) को बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने राज्यपाल के एन त्रिपाठी को इस्तीफा सौंप दिया है
पटना: बिहार में जारी राजनीतिक उठापटक के बीच बुधवार (26 जुलाई) को बिहार के सीएम नीतीश कुमार ने राज्यपाल के एन त्रिपाठी को इस्तीफा सौंप दिया है। इसके बाद अब भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) अपने पत्ते खोल सकती है और वह नीतीश कुमार को समर्थन दे सकती है। बीजेपी और नीतीश कुमार की नजदीकियों को लेकर अब अटकलों का बाजार गर्म हो गया है।
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नीतीश ने अपने इस्तीफे का ठीकरा लालू यादव पर फोड़ते हुए यह साफ़ कर दिया कि जो कुछ भी बिहार के हित में होगा वह जरुर करेंगे। उन्होंने इशारों इशारों में यह कह दिया कि अगर बीजेपी समर्थन देती है, तो हम इंकार नहीं करेंगे।
उधर, बीजेपी ने कहा है कि आगे क्या होगा इसकी शुरुआत नीतीश कुमार को करनी है। पार्टी के वरिष्ठ नेता रविशंकर प्रसाद ने कहा कि नीतीश कुमार लंबे समय तक उनके साथ रहे हैं।
पीएम ने दी बधाई
सीएम नीतीश कुमार के इस्तीफे के बाद पीएम नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर उन्हें बधाई दी है।
नीतीश के इस्तीफे के बाद बिहार की 20 महीने पुरानी महागठबंधन की सरकार में दरार आ गई है। महागठबंधन में नीतीश की पार्टी जनता दल (युनाइटेड) के अलावा राष्ट्रीय जनता दल (राजद) और कांग्रेस शामिल थीं।
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राजद अध्यक्ष और पूर्व सीएम लालू प्रसाद के बेटे और डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव के खिलाफ भ्रष्टाचार के मामले में केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की छापेमारी के बाद उनके इस्तीफे की मांग उठी थी, जिसे लेकर महागठबंधन में दरारें पैदा हो गई थीं। तेजस्वी ने इस्तीफा देने से मना कर दिया था, जिससे यह दरार चौड़ी होती गई थीं।
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इस्तीफा देने के बाद क्या बोले नीतीश कुमार ?
नीतीश कुमार ने कहा कि जितना संभव हो सका, उन्होंने गठबंधन धर्म का पालन करने की कोशिश की, लेकिन बीते घटनाक्रम में जो चीजें सामने आईं उसमें काम करना मुश्किल हो गया था। नीतीश ने कहा, "मैंने इन 20 महीनों में जितना हो सका, सरकार चलाने की कोशिश की। लेकिन इस बीच जो हालात बने, जिस तरह की चीजें उभरकर सामने आईं, उसमें काम करना, नेतृत्व करना संभव नहीं रह गया था।"
भ्रष्टाचार के आरोपों से घिरे राष्ट्रीय जनता दल नेता तेजस्वी यादव प्रकरण पर नीतीश ने कहा, "हमने कभी किसी का इस्तीफा नहीं मांगा था, बल्कि उनका पक्ष मांगा था। तेजस्वी और लालू यादव से हमने कहा था कि जो भी आरोप लगे हैं, उसे लोगों के बीच साफ करें।"
नीतीश ने नोटबंदी और राष्ट्रपति चुनाव के दौरान अपनी पार्टी के पक्ष पर सवाल उठाए जाने का भी जिक्र किया। उन्होंने कहा, "हमने नोटबंदी का समर्थन किया, तब हम पर सवाल उठाए गए। हमारे बिहार के राज्यपाल राष्ट्रपति बनने वाले थे, हमने उनका समर्थन किया, तब भी हम पर सवाल उठाए गए। इस तरह काम करना मेरे स्वभाव के विपरीत है।" नीतीश ने कहा कि उन्होंने अंतरात्मा की आवाज पर अपना इस्तीफा दिया है।
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क्या बोले सुशील मोदी?
बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री और बीजेपी के वरिष्ठ नेता सुशील कुमार मोदी ने नीतीश कुमार के इस्तीफे का स्वागत करते हुए कहा कि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) किसी भी हाल में बिहार में मध्यावधि चुनाव के पक्ष में नहीं है। उन्होंने पटना में पत्रकारों से चर्चा करते हुए बुधवार को कहा कि नीतीश कुमार अपनी छवि के अनुरूप भ्रष्टाचार को लेकर नहीं झुके। उन्होंने कहा कि भाजपा उनके इस कदम का स्वागत करता है।
बीजेपी के सरकार बनाने से संबंधित एक प्रश्न पर उन्होंने कहा कि कोई विधायक बिहार में मध्यावधि चुनाव नहीं चाहता है। ऐसे में बीजेपी के विधानमंडल की बैठक में तीन लोगों की एक समिति बनाई गई है, जो बिहार में नए सियासी समीकरण और केंद्रीय नेतृत्व के बीच समन्वय स्थापित करेगा।
इस समिति में सुशील कुमार मोदी, प्रेम कुमार और प्रदेश अध्यक्ष नित्यानंद राय हैं। उन्होंने कहा कि कोई भी फैसला केंद्रीय नेतृत्व को लेना है।
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अब क्या हो सकता है ?
-राष्ट्रपति शासन लग सकता है।
-बीजेपी सरकार नीतीश को समर्थन देकर सरकार बचा सकती है।
-राज्यपाल विधानसभा भंग कर सकते हैं।
बिहार में कुल 243 सीटों वाली विधानसभा में इस समय भाजपा के 53 सदस्य हैं और उसके साथ उसके गठबंधन के पांच सदस्य हैं यानी बीजेपी नीत गठबंधन की ताकत कुल 58 सीटों की है।
इसके अलावा सत्ताधारी गठबंधन में नीतीश के जद यू के पास 71 विधायक हैं और लालू के राजद के 80 विधायक हैं। बहुमत के लिए जादुई आंकड़ा 122 का है। वहीं अगर पिछले विधानसभा चुनाव में प्राप्त वोटों के प्रतिशत की बात की जाए तो बीजेपी को सबसे ज्यादा 24.4 फीसदी वोट मिले थे।
वहीं नीतीश की पार्टी जदयू को 16.8 फीसदी वोट मिले थे। लालू की पार्टी को 18.4 फीसदी वोट मिला था और कांग्रेस का वोट प्रतिशत 6.7 फीसदी था।