चमकी बुखार पर यूपी सरकार की बड़ी जीत, रामबाण बना CM योगी का फार्मूला

बिहार में चमकी बुखार (एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी एईएस) से बच्‍चों की मौतों के बाद एक बार फिर हड़कंप मचा हुआ है। यही वजह है कि यूपी और बिहार के एईएस प्रभावित इलाकों में एहतियात बरती जा रही है।

Update: 2019-06-17 04:51 GMT

नई दिल्ली: बिहार में चमकी बुखार (एक्यूट इन्सेफेलाइटिस सिंड्रोम यानी एईएस) से बच्‍चों की मौतों के बाद एक बार फिर हड़कंप मचा हुआ है। यही वजह है कि यूपी और बिहार के एईएस प्रभावित इलाकों में एहतियात बरती जा रही है। वहीं गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में यूपी, बिहार और नेपाल से आने वाले इंसेफेलाइटिस प्रभावित बच्‍चों के लिए सीएम योगी आदित्‍यनाथ के 'पशेंट ऑडिट फार्मूला' एक वरदान साबित हुआ है।

साल 2018 से यूपी के सीएम योगी आदित्‍यनाथ ने पेशेंट ऑडिट फार्मूला और पेशंट केयर फार्मूला लागू किया था। इस फार्मूले से यहां भर्ती होने वाले मरीजों और मौतों का आंकड़ा काफी कम हो गया है।

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इस बात की तस्दीक खुद गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल डॉ. गणेश कुमार कर रहे हैं। डॉ. गणेश कुमार ने बताया कि इस फार्मूले से यहां भर्ती होने वाले मरीजों और मौतों का आंकड़ों में काफी कमी आई है। डॉ. गणेश कुमार बताते हैं कि पिछले साल मई तक 168 मरीज आए थे, जिसमें 57 की मौत हो गई थी। इस साल 2019 में 78 मरीजों में से 15 बच्‍चों को मौत हुई हैं।

उन्होंने बताया कि जापानी इंसेफेलाइटिस के टीकाकरण के कारण इसके मरीजों की संख्‍या में काफी कमी आई है,क्‍योंकि इसका मुख्य कारण शहर से लेकर गांव तक जागरूकता अभियान के जरिए इस बीमारी से बचाव की जानकारी दी गई।

बीआरडी मेडिकल कालेज के प्रिंसिपल कहते हैं कि सीएम योगी आदित्‍यनाथ यहां के सांसद रहे हैं, वे भली-भांति यहां से परिचित रहे हैं। उन्‍होंने काफी काम किया है। गांव-गांव में शौचालय बनने और दस्‍तक अभियान की अहम भूमिका है। इसने लोगों को जागरूकता आई है।

इंसेफेलाइटिस जैसी बीमारी दो साल में यूपी में घटकर आधी और गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कालेज में महज सात फीसदी रह गई है। योगी सरकार के निर्देश पर दस्‍तक अभियान की शुरुआत अप्रैल माह शुरू होते ही कर दी गई। वहीं जिलाधिकारी के साथ विभिन्‍न विभागों के अधिकारी भी इंसेफेलाइटिस की रोकथाम के लिए रैलियां निकाली गई। इन रैलियों में शामिल हुए।

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ऐसा पहली बार हुआ जब इंसेफेलाइटिस के बुखार पर वार के लिए स्‍लोगन के साथ स्‍वास्‍थ्‍य विभाग के साथ पांच अन्‍य विभागों की टीम भी एकजुट थी। चिकित्‍सा शिक्षा, महिला कल्‍याण, बाल विकास, पंचायती राज और नगर निगम की टीमों ने मिलकर लगातार पेयजल, स्‍वच्‍छता, टीकाकारण और जागरूकता के ऐसे कार्यक्रम चलाए, जिसका असर अस्‍पताल से लेकर गांवों तक महसूस होने लगा।

सीएम योगी की सकारात्‍मक सोच का नतीजा ये रहा कि चार दशक से पूर्वांचल में अपना पांव पसारी इस बीमारी में उनके फार्मूले ने चमत्कार करने का काम किया।

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