पटना : बिहार के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने यहां सोमवार को कहा कि बिहार ने खादी के विकास के लिए हर संभव प्रयास कर इसे नई जिंदगी दी है। खादी सिर्फ एक वस्त्र नहीं, बल्कि एक विचार है, एक भावना है, जिससे स्वदेशी वस्तुओं और स्वदेश-प्रेम को बढ़ावा दिया जा सके। पटना में 'राष्ट्रीय खादी शिल्प महोत्सव-2018' के समापन समारोह में मलिक ने कहा कि राज्य सरकार ने 'बिहार खादी नीति' बनाने का जो निर्णय लिया है, उससे खादी वस्त्रों के उत्पादन, उसके तकनीकी एवं गुणवत्ता विकास, मार्केटिंग, ब्रांडिंग आदि में बेहतरी आएगी।
'चंपारण सत्याग्रह शताब्दी वर्ष' के तहत खादी महोत्सव के आयोजन के निर्णय को प्रशंसनीय बताते हुए राज्यपाल ने कहा कि वर्ष 1927 में पटना में ही राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने खादी के विषय में कहा था कि खादी सामाजिक सद्भावना को भी विकसित करने का एक महवपूर्ण जरिया है।
राज्यपाल ने आजादी की लड़ाई की चर्चा के दौरान गांधी के जीवन और दर्शन से जुड़े कई मार्मिक प्रसंगों को सुनाते हुए कहा कि गांधी का सत्य और अहिंसा का सिद्धांत आत्मबल से भरे एक तपोनिष्ठ साधक का सबसे सशक्त अस्त्र था, जिसके बल पर भारत को आजादी मिली। राज्यपाल ने कहा कि बिहार के चंपारण से गांधी को अंतर्राष्ट्रीय ख्याति मिली और वे 'महात्मा' को रूप में विख्यात हुए।
उन्होंने कहा कि भारत के स्वर्णिम इतिहास में बिहार का महवपूर्ण योगदान है। खादी के विकास में भागलपुर, मधुबनी सहित विभिन्न जिलों की काफी महवपूर्ण भूमिका रही है।
कार्यक्रम में गांधीवादी विचारक डॉ़ रजी अहमद ने कहा कि खादी आजादी की लड़ाई का प्रतीक है। पूर्व शिक्षा मंत्री राम लखन राम 'रमण' ने कहा कि बिहार बापू के सपनों को साकार करने और खादी विकास को लेकर सदैव तत्पर रहा है।
इस मौके पर राज्यपाल ने महोत्सव में उत्कृष्ट प्रदर्शन करनेवाले खादी से जुड़े उद्यमियों एवं शिल्पियों को पुरस्कृत भी किया।