धर्म और जाति के राजनीतिक आंकड़ों में बिहार, जानिए समीकरण...
बिहार में 2010 के विधानसभा चुनाव के समय 47 सीटें ऐसी थीं जहां मुस्लिम वोटर निर्णायक स्थिति में थे। इन इलाक़ों में मुस्लिम आबादी 20 से 40 प्रतिशत या इससे अधिक थी।
नीलमणि लाल
लखनऊ। बिहार में 2010 के विधानसभा चुनाव के समय 47 सीटें ऐसी थीं जहां मुस्लिम वोटर निर्णायक स्थिति में थे। इन इलाक़ों में मुस्लिम आबादी 20 से 40 प्रतिशत या इससे भी अधिक थी। लेकिन 2020 के चुनाव में मुस्लिम बहुल विधानसभा क्षेत्रों की संख्या 50 हो गयी है। ये सभी ऐसे क्षेत्र हैं, जहां करीब 25 फीसद से ज्यादा मुस्लिम आबादी है। कई सीटों पर तो 40 से 69 फीसद तक मुस्लिम मतदाता हैं।
बिहार में अनुसूचित जातियों की हिस्सेदारी 10.4 करोड़
2011 की राष्ट्रीय जनगणना से संकेत मिलता है कि बिहार में अनुसूचित जातियों की हिस्सेदारी 10.4 करोड़ है यानी कुल आबादी का 16%। यह एक बड़ी संख्या है और राजनीतिक रूप से इसे कोई दल इग्नोर नहीं कर सकता। 2011 की जनगणना ने 23 दलित उप-जातियों में से 21 को महादलित के रूप में पहचाना है। महादलित समुदाय में शामिल उप-जातियां हैं - बंतर, बौरी, भोगता, भुईया, चौपाल, डाबर, डोम (धनगढ़), घासी, हललकोहर, हरि (मेहतर, भंगी), कंजर, कुरारीर, लालबेगी, मुसहर, नट, पान (स्वासी), राजवार, तुरी, ढोबी, चमार और पासवान (दुसाध)।
- बिहार में दलितों के साथ, चमार 25.3% हैं, पासवान (दुसाध) 36.9% और मुसाहर 13.9% हैं। पासवान जाति को शुरुआत में महादालित श्रेणी से बाहर कर दिया गया था और बाद में महादलित श्रेणी में खमेर शामिल किए गए थे।
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- आदिवासी (अनुसूचित जनजाति) बिहारी आबादी के लगभग 1.3% गठित हैं। इनमें गोंड, संथाल और थारू समुदाय शामिल हैं। बिहार में लगभग 130 अत्यंत पिछड़ा वर्ग जातियां हैं।
बिहार विधानसभा 2015
कुल सीटें – 243
पक्ष
जनता दल यूनाइटेड – 71
भारतीय जनता पार्टी – 52
लोक जनशक्ति पार्टी – 02
रालोसपा – 02
हम (यू) – 01
निर्दलीय – 04
विपक्ष
राष्ट्रीय जनता दल – 79
कांग्रेस – 27
सीपीआई एमएल – 03
(दो सीटें खाली हैं)
बिहार विधानसभा 2010
सीटें – 243
जनता दल यूनाइटेड – 115
भारतीय जनता पार्टी – 91
राष्ट्रीय जनता दल – 22
लोक जनशक्ति पार्टी – 03
कांग्रेस – 04
कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया – 01
झारखण्ड मुक्ति मोर्चा – 01
निर्दलीय – 06
इतिहास पर नजर
बिहार असेम्बली का गठन 2 मार्च, 1912 को हुआ था। पहले विधान परिषद गठित हुई जिसमें सिर्फ 43 सदस्य थे। 20 जनवरी, 1913 को विधान परिषद की पहली बैठक पटना कॉलेज के सेमिनार हॉल में हुई क्योंकि तब विधानमंडल का भवन नहीं बना था। इंडिया गवर्नमेंट एक्ट 1919 के तहत 29 दिसंबर 1920 को बिहार-उड़ीसा गवर्नर राज्य घोषित हुए।
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अब बिहार में दो सदनों की व्यवस्था की गई। परिषद की सदस्य संख्या 103 कर दी गई। तब वोट डालने का अधिकार अमीरों, संप्रदाय एवं वर्ग विशेष के प्रतिनिधियों तथा कुछ विशिष्ट व्यक्तियों तक ही सीमित था। हिन्दू और मुसलमानों के लिए अलग निर्वाचन की व्यवस्था थी। निर्वाचित सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्षों का था। 29 नवंबर और 16 दिसंबर, 1920 के बीच बिहार विधान परिषद के लिए प्रथम चुनाव संपन्न हुआ। गांधी के असहयोग आंदोलन के कारण आम जनता चुनाव से दूर रही।
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