पटना: लोकसभा चुनाव के लिए बनते माहौल के बीच बिहार सरकार ने जनता का मूड समझते हुए शराबबंदी के सख्त कानून में ढील दी है। शराब पीते पकड़े जाने पर गैरजमानती गिरफ्तारी और 10 साल तक की सजा के प्रावधान में बदलाव का फैसला राज्य कैबिनेट की बैठक में आने से अब बिहार से सटे राज्यों- उत्तर प्रदेश, झारखंड और पश्चिम बंगाल के लोगों को भी राहत मिलेगी। बिहार में शराबबंदी के सख्त प्रावधान लागू होने के बाद से बिहार की सीमा में शराब पीकर या पीते हुए दाखिल हुए कई लोग पुलिस के हत्थे चढ़ चुके थे। दिल्ली से कोलकाता की यात्रा के बीच ट्रेन से नशे की हालत में गिरफ्तारी की खबरें भी कई बार सामने आई थीं।
प्रावधानों में फेरबदल से घटेगी परेशानी
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की अध्यक्षता में ११ जुलाई को कैबिनेट की बैठक में संशोधन विधेयक के प्रारूप को मंजूरी दी गई। कैबिनेट के फैसले ने बड़ी राहत दी है कि पहली बार शराब पीते धरे जाने पर अब 50 हजार जुर्माना या तीन महीने की सजा ही होगी। ऐसी हालत में गिरफ्तारी पहले गैर-जमानती थी, जिसे अब जमानती में बदल दिया गया है।
बिहार मद्यनिषेध व उत्पाद (संशोधन) विधेयक 2018 के प्रारूप की मंजूरी से वह सख्ती भी खत्म हो गई है, जिसमें शराब पीते पकड़ाते ही 10 साल तक की सजा का डर सामने होता था। अब ट्रेन में यात्रा के दौरान बिहार की सीमा में पकड़े जाने पर 10 साल की सजा के लिए गैर-जमानती गिरफ्तारी का संकट भी खत्म हो गया है।
सामूहिक-संस्थागत सजा का प्रावधान हटा
ताजा प्रारूप के अनुसार अगर किसी होटल या प्रतिष्ठान में कोई शराब पीते पकड़ा गया तो उसी कमरे को सील किया जाएगा, जिसमें शराब मिलेगी। पहले पूरे परिसर को जब्त करने का नियम बनाया गया था। वाहनों को लेकर भी यही प्रावधान था। पशु वाहन से शराब पकड़े जाने पर पशुओं को भी जब्त करने का प्रावधान था। अब वाहन या पशुओं की जब्ती का प्रावधान खत्म कर दिया गया है। संशोधन के बाद नए कानून में किसी गांव- मुहल्ले पर सामूहिक जुर्माने के प्रावधान को भी खत्म कर दिया गया है। शराबबंदी कानून के तहत पुलिस की पुष्टि के बाद डीएम को सामूहिक जुर्माना लगाने का अधिकार दे दिया गया था, जिसके बाद हर कार्रवाई पर बवाल हो रहा था।
पारिवारिक संकट खत्म
सख्त शराबबंदी कानून लागू होने के बाद एक बड़ी मुसीबत उस प्रावधान से भी थी, जिसके तहत किसी व्यक्ति के शराब पीते पकड़े जाने पर परिवार में 18 साल से अधिक उम्र के सभी लोगों को पकडऩे की व्यवस्था दी गई थी। अब यह सामूहिक गिरफ्तारी नहीं होगी। नए प्रावधान के तहत सिर्फ पीने वाले को ही पकड़ा जाएगा। इसी तरह, मकान मालिक की जानकारी के बगैर शराब का अवैध भंडारण पाए जाने पर सिर्फ उसी किराएदार पर कार्रवाई होगी। मकान जब्त नहीं होगा। संशोधन से पहले मकान मालिक को भी 8 साल की सजा का प्रावधान था। नए नियम में मकान मालिक को पूरी राहत नहीं मिली है। अगर यह साबित हो जाता है कि उसे वहां शराब पीने या भंडारण की जानकारी है तो जानकारी छिपाने के आरोप में अधिकतम दो वर्ष की सजा की व्यवस्था रखी गई है।
नहीं सुधरने वालों पर सख्ती बढ़ाई गई
संशोधन उन लोगों के लिए मुसीबत बनकर सामने आया है, जो शराबबंदी कानून के बावजूद सुधरने को तैयार नहीं हैं। शराबबंदी कानून के तहत मिलावटी या अवैध शराब बेचने वालों पर 10 साल सजा और एक लाख जुर्माना का प्रावधान था, जिसे अब उम्रकैद में बदल दिया गया है। जुर्माना राशि भी बढ़ाकर 10 लाख रुपए कर दी गई है। इसके साथ ही, शराब पीकर हुड़दंग, घर पर शराब पार्टी करने या इसमें मदद करने पर उम्रकैद का प्रावधान किया गया है। घर या प्रतिष्ठान में शराबियों का जमावड़ा करने पर भी यही सजा होगी। ऐसे मामलों में दो लाख रुपए तक का जुर्माना का प्रावधान भी रहेगा।
चर्चा में रही थी दूल्हे की गिरफ्तारी
शराबबंदी के बाद शराब छिपाने के एक से बढ़ कर ठिकाने तो सामने आए ही, एक खबर पूरे देश में चर्चा में रही थी। इसमें दिल्ली से कोलकाता शादी के लिए जा रहा एक दूल्हा बिहार की सीमा में गिरफ्तार कर लिया गया था। शराब के नशे में वह ट्रेन में सवार था। शराबबंदी के सख्त कानून के मद्देनजर बिहार की सीमा में उसकी गिरफ्तारी पर ठीकठाक बवाल हुआ था। पुराने प्रावधान के कारण बिहार पुलिस के जवानों की सीमावर्ती जिलों में मनमानी बढ़ गई थी। नशे की हालत में बिहार की सीमा में आने वाले अन्य प्रदेश के लोगों को पकड़े जाने की खबरें बार-बार आ रही थीं।