दार्जिलिंग : पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को चुनौती देते हुए गोरखालैंड जनमुक्ति मोर्चा (जीजेएम) के अध्यक्ष बिमल गुरुंग ने शुक्रवार को उत्तरी बंगाल के पहाड़ी इलाकों में जारी प्रदर्शन को तेज करने की घोषणा की और अपने समुदाय के पुनरुत्थान के लिए मृत्युर्पयत संघर्ष का संकल्प लिया।
समर्थकों की तालियों की गड़गड़ाहट के बीच जीजेएम के अध्यक्ष ने कहा, "मैं सबसे आग्रह करना चाहता हूं कि वे गोरखालैंड आंदोलन में दिल से हिस्सा लें। शरीर में खून का एक-एक कतरा रहने तक मैं अपने समुदाय के पुनरुत्थान के लिए संघर्ष करूंगा।"
दार्जिलिंग के पाटलेबास इलाके में 15 जून को पुलिस कार्रवाई के बाद से ही गुरुंग छिपे हुए थे, जिसके बाद शुक्रवार को सामने आए तथा उन्होंने जोर दिया कि घाटी में अनिश्चिकालीन बंद जारी रहेगा।
उन्होंने कहा, "बंद अनिश्चितकाल तक जारी रहेगा। कोई नहीं जानता कि यह कब खत्म होगा। ऐसे वक्त में कोई छूट नहीं दी जाएगी।"
दार्जिलिंग आंदोलन में आतंकवादियों की संलिप्तता के मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के दावे पर चुटकी लेते हुए गुरुंग ने कहा कि आतंकवादी और बम के कारखाने बंगाल के मैदानी इलाकों में हैं, पहाड़ी इलाकों में नहीं।
गुरुं ग ने कहा, "उनसे पूछा जाना चाहिए कि आतंकवादी और बम के कारखाने कहां पाए गए? दक्षिण बंगाल में या दार्जिलिंग में?"
उन्होंने कहा, "हावड़ा और मालदा में दंगे हुए, जबकि पहाड़ी इलाकों में ऐसी एक भी घटना नहीं घटी।"
गोरखालैंड क्षेत्रीय प्रशासन (जीटीए) से जीजेएम के 43 नेताओं के इस्तीफे की घोषणा करते हुए गुरुं ग ने कहा कि इस वक्त जीटीए का ताजा चुनाव नहीं होगा और उन्होंने संकल्प लिया कि अगर इसकी प्रक्रिया शुरू की गई, तो उसे बाधित किया जाएगा।
गोरखा नेता ने बोर्ड के खिलाफ प्रतीकात्मक विरोध के रूप में जीटीए विनियमन अधिनियम के दस्तावेजों को 27 जून को लोगों के समक्ष जलाने की घोषणा की। उन्होंने यह भी घोषणा की कि जीजेएम-प्रायोजित सर्वदलीय बैठक 24 जून की जगह 29 जून को होगी।