जयंती विशेष: शास्त्री की एक अपील पर, भूखा रहा था देश
बताया जाता है उस दौर में लाल बहादुर शास्त्री देश से रूबरू हुए, उन्होंने जनता के सामने आकर लोगों से अपील की कि लोग हफ्ते में एक दिन एक वक्त का खाना छोड़ दें, जल्द ही ये दौर गुजर जाएगा, तब तक जनता से सहयोग की उम्मीद है।
दिल्ली: 2 अक्टूबर का दिन भारतीय जनमानस के लिए एक त्योहार की तरह होता है। 15 अगस्त, 26 जनवरी की भांति 2 अक्टूबर भी पूरे देश में हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है, कारण है कि 2 अक्टूबर 1869 के दिन महात्मा गांधी का जन्म हुआ था। आज पूरा देश गांधी जयन्ती मना रहा है।
लाल बहादुर शास्त्री जयन्ती...
आपको बताते चलें कि भारत के दूसरे प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की भी आज जयन्ती है, आज लाल बहादुर शास्त्री की 116वीं जयंती है। उन्हें उनकी सादगी, सरलता और जनता के साथ संवाद के लिए मिसाल माना जाता रहा है। पीएम मोदी समेत अनेक राजनेताओं ने लाल बहादुर शास्त्री को श्रद्धांजली अर्पित किया।
उनका जन्म उत्तर प्रदेश के मुगलसराय में 2 अक्टूबर 1904 को हुआ था। आइए आपको बताते हैं कि "शास्त्री जी" कैसे एक गरीब परिवार से एक प्रधानमंत्री तक का सफर तय किये, और कुछ उनसे जुड़े अनोखे किस्से....
ज्ञात हो कि स्वतंत्र भारत के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का आकस्मिक देहांत के बाद लाल बहादुर शास्त्री अगले प्रधानमंत्री बनाए गए थे। कहा जाता है कि ये संकटों का दौर था जब नेहरू जी के जाने के बाद देश को खराब आर्थिक स्थिति से उबारना था।
साथ ही विकट तब उत्पन्न हुई जब उस वक्त के दौरान साल 1965 में भारत पाकिस्तान के बीच युद्ध भी हो गया, देश का नेतृत्व लाल बहादुर शास्त्री कर रहे थे इसलिए उनकी जवाबदेही तय की गई थी।
कहा जाता है कि इस युद्ध के दौरान देश में अन्न की कमी हो गई, भुखमरी के दौरान उस संकट की घड़ी में प्रधानमंत्री ने अनोखा कदम उठाया
जो आज भी सराहा जाता है, उन्होंने तब अपनी तनख्वाह उठानी बंद कर दी थी। ये ही नहीं उन्होंने अपने घर में घरेलू सहायकों का खर्च बचाने के लिए अपना काम खुद करने लगे थे।
उस समय देश की स्थिती यह हो गई थी कि देश खाद्यान्न की कमी से जूझ रहा था, अमेरिका ने भी भारत को खाद्यान्न के निर्यात रोकने की धमकी दे दी, देश में मुश्किल हालात आ गए थे।
बताया जाता है उस दौर में लाल बहादुर शास्त्री देश से रूबरू हुए, उन्होंने जनता के सामने आकर लोगों से अपील की कि लोग हफ्ते में एक दिन एक वक्त का खाना छोड़ दें, जल्द ही ये दौर गुजर जाएगा, तब तक जनता से सहयोग की उम्मीद है।
शास्त्री जी का यह आह्वान देश की जनता पर गहरा प्रभाव छोड़ा, लोगों ने कहा कि अब एक हफ्ते घर का चूल्हा नहीं जलेगा, ये असर दूरगामी गांवों से लेकर होटल और रेस्तरां तक साफ नजर आ रहा था।
बता दें कि अमेरिका ने उस समय भारत को अपनी शर्तों पर अनाज देने की पेशकश की थी, लाल बहादुर शास्त्री जानते थे कि अमेरिका से अनाज लिया तो देश का स्वाभिमान खत्म हो जाएगा। शास्त्री जी ने खूद भी सपरिवार इस अन्न यज्ञ में कुछ न खाकर आहुति दी थी।