Maharashtra: महाराष्ट्र में बीजेपी का होगा अगला मुख्यमंत्री, साइडलाइन होंगे एकनाथ शिंदे?

Maharashtra Political Crises: महाराष्ट्र के अभी तक के पॉलिटिकल घटनाक्रम को अगर आप पूरी पिक्चर मान रहे हैं तो गफलत में हैं। यह तो सिर्फ ट्रेलर है, पूरी पिक्चर अभी बाकी है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बीजेपी अभी फील्डिंग सजा रही है, मास्टर स्ट्रोक वह अंतिम समय में खेलेगी।

Update:2023-07-03 10:39 IST
फाइल फोटो- शरद पवार और अजित पवार (साभार- सोशल मीडिया)

Maharashtra Political Crises: मदारी के इशारे पर गजराज से लेकर जंगल का राजा शेर तक नाचता है। सर्कस में करतब भले ही कोई दिखाये लेकिन स्क्रिप्ट मदारी की होती है। कुछ ऐसा ही इन दिनों महाराष्ट्र की पॉलिटिक्स में होता दिख रहा है। राज्य में एक बार फिर सियासी घमासान चरम पर है। करीब छह महीने पहले हुए उलटफेर के केंद्र में तब एकनाथ शिंदे थे और अब अजित पवार हैं। तब शिवसेना टूटी थी और आज एनसीपी। उस वक्त भी मदारी की भूमिका में बीजेपी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह बताये जा रहे थे और आज भी वह चर्चा में हैं।

महाराष्ट्र में मचे सियासी उथल-पुथल के केंद्र में भले ही एनसीपी नेता अजित पवार हैं लेकिन, इस सियासी पिक्चर कई और किरदार हैं जिनमें सबसे ऊपर नाम केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का है। बताया जा रहा कि इस पूरे पॉलिटिकल ड्रामे की स्क्रिप्ट अमित शाह ने ही लिखी है। पिछले हफ्ते महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की केंद्रीय मंत्री अमित शाह के बीच लंबी बैठक हुई थी, जिसमें अजित पवार को लेकर मंथन हुआ था। राज्य के ताजा घटनाक्रम पर बीजेपी ने भले ही कोई औपचारिक बयान जारी नहीं किया है लेकिन अमित शाह की सक्रियता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता है।

बीजेपी ने एक तीर से साधे कई निशाने


राजनीतिक जानकारों की मानें तो भारतीय जनता पार्टी ने अजित पवार के लिए जरिये एक तीर से कई निशाने लगाये हैं। एक तो विपक्षी एकता के शिल्पकार माने जाने वाले शरद पवार को अब अपनी पार्टी बचाने की मुहिम को प्राथमिकता देनी होगी। वहीं, दूसरी ओर महाराष्ट्र में पहली बार हिंदुत्व के इतर मराठा और ग्रामीण क्षेत्र में राजग की स्थिति को मजबूत करने का अवसर होगा। इतना ही नहीं अब बीजेपी की एकनाथ शिंदे पर निर्भरता भी कम होगी।

2024 में होगा बीजेपी की मुख्यमंत्री?


महाराष्ट्र के अभी तक के पॉलिटिकल घटनाक्रम को अगर आप पूरी पिक्चर मान रहे हैं तो शायद जल्दबाजी में हैं। यह तो सिर्फ ट्रेलर है, पूरी पिक्चर अभी बाकी है। राजनीतिक जानकारों का कहना है कि बीजेपी अभी फील्डिंग सजा रही है, मास्टर स्ट्रोक वह अंतिम समय में खेलेगी। दरअसल, अब बीजेपी का पूरा फोकस राज्य में बड़ा भाई बनने पर है। मतलब नजर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है। अगले वर्ष अक्टूबर 2024 में राज्य की 288 विधानसभा सीटों पर चुनाव होने हैं। भाजपा हर हाल में रिमोट कंट्रोल अपने पास ही रखना चाहती है। सीटों के बंटवारे में अब न तो शिंदे आंख दिखा पाएंगे और न ही अजित पवार।

कम होगी शिंदे पर निर्भरता


अजित पवार के 40 विधायकों के साथ सरकार में शामिल होने से भाजपा की एकनाथ शिंदे पर निर्भरता कम होगी। अंदरूनी रिपोर्ट में कई बार सामने आया है कि शिवसेना समर्थक वर्ग में उद्धव ठाकरे गुट के मुकाबले शिंदे गुट का प्रभाव कम है। ऐसे में वोटों के बिखराव का खतरा था जो अजित के साथ होने से कम होगा। अब नई परिस्थिति में पार्टी न सिर्फ नये क्षेत्र में आधार मजबूत कर पाएगी, बल्कि शिंदे के साथ आसानी से संतुलन साध पाएगी। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि शिवसेना से अलग होने के बाद भाजपा को हिंदुत्व के वोटों में बिखराव का डर सता रहा था, लेकिन अब यह कमोबेश डैमेज कंट्रोल हो चुका है। पहले शिवसेना तोड़कर शिंदे का साथ आना और अब अजित पवार की बगावत के बाद भाजपा को उन वर्ग के वोटों के भी मिलने की उम्मीद है, जो पार्टी से दूरी बनाकर रखते थे।

2019 में सबसे बड़ी पार्टी थी बीजेपी


महाराष्ट्र में हुए 2019 के विधानसभा चुनाव में राज्य में बीजेपी ने 105 सीटें जीतकर सबसे बड़ी पार्टी बनी थी, लेकिन 56 सीटें जीतने वाली उद्धव ठाकरे की पार्टी ने कांग्रेस (44) और एनसीपी (54) के साथ मिलकर राज्य में सरकार बना ली थी। बगावत के बाद बीजेपी के समर्थन से एकनाथ शिंदे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री बने और उद्धव ठाकरे को न केवल अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी बल्कि शिवसेना भी छिन गई।

एनडीए के पास अब 185 विधायक


एकनाथ शिंदे के बाद अब अजित पवार का साथ मिलने के बाद एनडीए का कुनबा और मजूबत हो गया। भाजपा के पास अपने पहले 105 विधायक थे। बाद में एकनाथ शिंदे के साथ 40 विधायक आए तो संख्या 145 तक पहुंच गई थी और बहुमत का आंकड़ा पार हुआ। अब अगर अजित के दावे के मुताबिक चालीस विधायक उनके साथ एनडीए का दामन थामते हैं तो यह संख्या 185 हो जाएगी।

2024 पर भी नजर


सियासी लिहाज उत्तर प्रदेश के बाद महाराष्ट्र काफी अहम राज्य है। राज्य में 48 लोकसभा सीटें हैं। बीते चुनाव में बीजेपी ने शिवसेना के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था जिसमें राजग को 42 सीटें मिली थीं। इनमें भाजपा 23, शिवसेना 18 और दोनों दल समर्थित एक निर्दलीय प्रत्याशी जीते थे।

शरद पवार से छिनेगी एनसीपी?


अजित पवार की बगावत के बाद चर्चा-ए-आम है कि कहीं एनसीपी का हश्र शिवसेना जैसा न हो जाये। फिलहाल, मामला चुनाव आयोग की दहलीज पर है। महाराष्ट्र की 288 सदस्यों वाली विधानसभा में एनसीपी का 53 सदस्य हैं। लेकिन, उनके भतीजे अजित पवार का दावा है कि 40 विधायक उनके साथ हैं। यह संख्या कम नहीं होगी, बल्कि बढ़ सकती है। अजित पवार और उनके समर्थकों का अगर यह दावा सही साबित हुआ तो शरद पवार की हालत शिवसेना जैसी हो जाये तो आश्चर्य नहीं।

जनता की अदालत में जाएंगे शरद पवार


अजित पवार की बगावत से एनसीपी को कितना नुकसान हुआ है यह तो आने वाला वक्त भी बताएगा, लेकिन दोनों गुट अपने-अपने दावे कर रहे हैं। शरद पवार का कहना है कि वह पार्टी के अध्यक्ष हैं और पार्टी का चुनाव चिन्ह उनके पास ही रहेगा। इशके लिए कोर्ट नहीं बल्कि जनता की अदालत में जाऊंगा और पार्टी को फिर से खड़ा करूंगा। पूरी उम्मीद है कि हमेशा की तरह जनता साथ देगी। जल्द ही एक जनसभा को संबोधित करने की बात कही।

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