बाप बेटे को लड़ा कर भाजपा कर रही है आर्थिक मंदी की बचाव

दिवाली आने के ठीक पहले आर्थिक मंदी के तूफान को राजनीतिक प्रबंधन से किनारे लगाने के खेल में भाजपा अब बाप बेटे को ही लड़ा रही है। यशवंत सिन्हा द्वारा अर्थव्यवस्था की स्थिति पर

Update:2017-09-29 12:30 IST
बाप बेटे को लड़ा कर भाजपा कर रही है आर्थिक मंदी की बचावअर्थव्यवस्था पर 'यशवंत' वार से तिलमिलाई BJP, कांग्रेस खुश !

लखनऊ: दिवाली आने के ठीक पहले आर्थिक मंदी के तूफान को राजनीतिक प्रबंधन से किनारे लगाने के खेल में भाजपा अब बाप बेटे को ही लड़ा रही है। यशवंत सिन्हा द्वारा अर्थव्यवस्था की स्थिति पर उठाए गए सवालों से बुधवार(27 सितंबर) को मोदी सरकार बैकफुट पर थी। लेकिन यशवंत सिन्हा को जवाब देने के लिए सरकार की तरफ कोई और नहीं बल्कि उन्ही के बेटे जयंत सिन्हा ने मोर्चा संभाला। बाप बेटे के जुबानी जंग में यशवंत सिन्हा ने अपने जीवन उस को दर्द उजागर किया। जो शायद बहुत से राजनीतिज्ञों नहीं पता था।

 

इस भाजपा के अपने ही उसे आर्थिक मंदी के सवाल पर घेर रहें है। पाटी के अंदर चल रही इस कवायद का फायदा उठाने में कांग्रेस जोर शोर से लगी हुई है। कांग्रेस को बैठे बिठाए एक ऐसा मुद्दा मिल गया जिसे वह हाल में ही होने वालेे विधान सभ चुनावों में उछाल सकती है। राहुल गांधी अपने तीन दिवयीय दौरे के अंतिम दिन गुजरात से ट्वीट करके मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त किया था। भाजपा के लिए यह कोई नयी बात नहीं जब उनके अपने ही बागी हुए हो, और पार्टी और सरकार की नीतियों को कटघरें में खड़ा किया हो।

बाप बेटे को लड़ा कर भाजपा कर रही है आर्थिक मंदी की बचाव

अचानक से उठे इस नये विवाद को पार्टी किस तरह सुलझाएगी ये इस बक्त का बड़ा सवाल है।आर्थिक मंदी की इस बहस में जनता में इस बात का कौतुहल बना हुआ है कि सही बात है क्या।एक तरफ विश्व समुदाय के बड़े अर्थशास्त्रियों ने अपने आंकलन में भारतीय अर्थव्यवस्था पर चिंता जताई है, तो दूसरी तरफ देश के व्यवसायियों की चिंता साफ दिखई दे रही है।

जयंत सिन्हा ने अपने लेख ने लिखा है,कि ‘जीएसटी, नोटबंदी और डिजिटल पेमेंट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए गेम चेंजिंग प्रयास है। अभी तक टैक्स नहीं चुका रहे सैक्टर को टैक्स की श्रेणी में लाया जा रहा है। गेम चेंजिंग की बात आम लोगों को हजम नहीें हो रही है। दैनिक जीवन की जद्दोजहद में आर्थिक समस्यायें जटिल होती जा रहीं है। इसके किसी ठोस निराकरण के लिए जनता इंतजार में है। वह पार्टी की इस नूराकुश्ती हट कर इसका कोई ठोस उपाय चाहती है।

भ्रष्टाचार के खत्में के लिए नोटबंदी लाई गई थी, प्राइवेट इन्वेस्टमेंट, औद्योगिक उत्पादन,रोजगार,निर्यात काफी घट गया,जीएसटी, तिमाही दर तिमाही अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर घट रही है और चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह 5.7 प्रतिशत पर आ गिरी है जो तीन सालों में सबसे कम है। कृषि क्षेत्र संकट में है। कुछ ऐसे जलते सवालों का जबाब जनता भी जानना चाहती जो यशवंत सिन्हा ने उठाए हैं।

 

 

 

 

 

 

 

 

 

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