अब काशी-मथुरा के जरिए समीकरण साधने की तैयारी, 2024 के लिए भाजपा को मिली संजीवनी
Kashi Mathura temple issue: ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने की खबर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के जरिए चंद घंटों में ही पूरे देश-दुनिया में वायरल हो गई।
Kashi Mathura temple issue: अयोध्या का मुद्दा सुलझने के बाद अब काशी और मथुरा की सियासी पिच पर बैटिंग की तैयारियां तेज हो गई हैं। 2024 में होने वाले लोकसभा चुनाव (Lok Sabha elections 2024) से पहले गरमाए काशी और मथुरा के मुद्दों (Kashi Mathura temple issue) ने हिंदुत्व के एजेंडे को धार देने की सियासी जमीन तैयार कर दी है। भाजपा (BJP) और उसके अनुषांगिक संगठन काशी और मथुरा को लेकर सियासी अखाड़े में कूद चुके हैं। अयोध्या विवाद का अंत होने के बाद अभी तक लगभग खामोश बैठी विहिप की गतिविधियां भी तेज हो गई हैं और ज्ञानवापी मुद्दे को लेकर मार्गदर्शक मंडल की बैठक बुला ली गई है।
हिंदुत्व की पिच पर बैटिंग के मामले में भाजपा हमेशा कांग्रेस और दूसरे सियासी दलों पर अभी तक भारी पड़ती रही है और यही कारण है कि ज्ञानवापी मस्जिद में शिवलिंग मिलने की खबर सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों के जरिए चंद घंटों में ही पूरे देश-दुनिया में वायरल हो गई। मजे की बात यह है कि भाजपा ने जहां इस मुद्दे को लेकर खुलकर बैटिंग शुरू कर दी है वहीं दूसरे सियासी दल अभी तक ऊहापोह की स्थिति में फंसे हुए दिख रहे हैं। भाजपा इसी का फायदा उठाकर सियासी अखाड़े में एक बार फिर दूसरे दलों को पटखनी देने की कोशिश में जुट गई है
संघ परिवार और संत समाज उत्साहित
काशी की ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि से जुड़े हुए मसले को लेकर देश की विभिन्न अदालतों में तमाम याचिकाएं लंबित हैं। लंबे समय से काशी और मथुरा की गूंज भी सुनाई देती रही है मगर हाल के दिनों में इन दोनों मुद्दों को लेकर अदालती कार्यवाही तेज हो गई है। ज्ञानवापी मस्जिद में अदालती आदेश पर सर्वे का काम पूरा होने के बाद संघ परिवार और संत समाज उत्साहित दिख रहा है।
दरअसल मस्जिद परिसर में बड़ा शिवलिंग मिलने और हिंदू धर्म से जुड़ी अन्य सामग्रियों के मिलने का बड़ा दावा किए जाने के बाद अब भाजपा और संघ से जुड़े नेता इस मुद्दे को लेकर माहौल गरमाने में जुट गए हैं। संघ परिवार की बैठकों में पहले भी काशी और मथुरा के मुद्दों को लेकर मंथन होता रहा है मगर अब इन दोनों मुद्दों को लेकर माहौल गरमाने की तैयारी है।
विहिप की गतिविधियां भी हुईं तेज
विश्व हिंदू परिषद ने भी ज्ञानवापी मामले को लेकर अपनी गतिविधियां तेज कर दी हैं। इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए हरिद्वार में केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की दो दिवसीय बैठक बुलाई गई है। 11 और 12 जून को होने वाली इस बैठक में मार्गदर्शक मंडल में शामिल प्रमुख संतों को आमंत्रित किया गया है। इस बैठक के महत्व को इसी बात से समझा जा सकता है कि 2019 के बाद विहिप केंद्रीय मार्गदर्शक मंडल की पहली बार बैठक बुलाई गई है।
इस बैठक में देश भर से 300 से अधिक संतों के भाग लेने की संभावना है। बैठक में ज्ञानवापी मस्जिद में किए गए सर्वे और सर्वे में मिली चीजों को लेकर गहराई से मंथन किया जाएगा। माना जा रहा है कि अयोध्या मुद्दा सुलझने के बाद अभी तक शांत बैठी विहिप भी इस मुद्दे को लेकर बड़ा आंदोलन छेड़ने की तैयारी में जुट गई है।
2024 के लिए सियासी पिच तैयार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में 2014 और 2019 का लोकसभा चुनाव जीतने के बाद भाजपा को दो साल बाद लोकसभा चुनाव की बड़ी सियासी जंग लड़नी है। ऐसे में काशी और मथुरा का मामला गरमाना भाजपा के लिए बड़ी संजीवनी मिलने जैसा है। सियासी जानकारों का मानना है कि भाजपा से जुड़े नेता काशी और मथुरा के बहाने हिंदुत्व के एजेंडे को एक बार फिर धार देने की कोशिश में जुट गए हैं। काशी और मथुरा के सामने दूसरे महत्वपूर्ण मुद्दों की धार कुंद हो जाने की उम्मीद जताई जा रही है।
उत्तर प्रदेश में पिछले दिनों हुए विधानसभा चुनाव में योगी आदित्यनाथ ने लगातार दूसरी बार अपनी ताकत दिखाते हुए प्रदेश में सरकार बनाने में कामयाबी हासिल की है। योगी आदित्यनाथ को देशभर में हिंदुत्व का बड़ा चेहरा माना जाता रहा है और अब भाजपा मोदी और योगी का दम दिखाकर 2024 के चुनाव जीत हासिल करने की कोशिशों में जुट गई है।
सियासी हथियार बनेगा काशी-मथुरा का मुद्दा
ज्ञानवापी मस्जिद के प्रकरण को लेकर मुस्लिम समाज की ओर से तीखी प्रतिक्रिया जताई गई है और इसे 1991 के पूजा अधिनियम का खुला उल्लंघन बताया जा रहा है। कांग्रेस समेत दूसरे सियासी दल अभी तक इस मुद्दे पर खुलकर बोलने से बचने की कोशिश में लगे हुए हैं। हालांकि कांग्रेस के नेता प्रमोद कृष्णन ने यह सवाल जरूर उठाया है कि शिवलिंग को अभी तक क्यों छिपाया गया और किसने छिपाया। उन्होंने यह भी कहा है कि ज्ञानवापी का मुद्दा आस्था और भारत की जन भावनाओं से जुड़ा हुआ है। दूसरे सियासी दल धार्मिक मुद्दों को अदालतों के जरिए सुलझाने पर जोर देते रहे हैं और अब ज्ञानवापी का मुद्दा अदालती आदेश के बाद ही हिंदुत्व के एजेंडे को धार देता हुआ दिख रहा है।
ऐसे में भाजपा की सियासी जमीन मजबूत होती दिख रही है जबकि दूसरे सियासी दल अभी तक इस मुद्दे पर कुछ भी बोलने से कतरा रहे हैं। राजनीतिक जानकारों का मानना है कि 2024 की जंग में काशी और मथुरा का मुद्दा बड़ा सियासी हथियार बनेगा और इस अखाड़े में निश्चित रूप से भाजपा दूसरे दलों पर भारी पड़ती हुई दिख रही है।