Gujarat-Himachal Election 2022: गुजरात में भाजपा की सुनामी, हिमाचल प्रदेश ने थामा हाथ
Gujarat-Himachal Election 2022: गुजरात के विधानसभा चुनाव के नतीजों में भाजपा ने ऐतिहासिक जीत हासिल की है तो हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल करते हुए भाजपा को बैकफुट पर धकेल दिया है।
Gujarat-Himachal Election 2022: गुजरात और हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव के नतीजों पर सभी की निगाहें लगी हुई थीं। गुजरात के विधानसभा चुनाव के नतीजों में भाजपा ने ऐतिहासिक जीत हासिल की है तो हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने जीत हासिल करते हुए भाजपा को बैकफुट पर धकेल दिया है। गुजरात में इस बार के विधानसभा चुनाव में भाजपा आज तक के सभी रिकॉर्ड तोड़ते हुए 156 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही है। कांग्रेस को 17 और आप को सिर्फ 5 सीटें मिली हैं। भाजपा की इस ऐतिहासिक कामयाबी का सबसे बड़ा श्रेय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह की जोड़ी को दिया जा रहा है। गुजरात के विधानसभा चुनाव में भाजपा पीएम मोदी के चेहरे पर ही उतरी थी जबकि शाह ने रणनीति बनाने का मोर्चा संभाल रखा था। इसी का नतीजा था कि पार्टी ने 1985 के कांग्रेस के 149 सीटों के सबसे बड़े रिकॉर्ड को भी ध्वस्त कर दिया।
दूसरी ओर हिमाचल प्रदेश में हर पांच साल में सत्ता बदलने का सिलसिला इस बार भी कायम रहा। हिमाचल प्रदेश में भाजपा और कांग्रेस के बीच काफी कड़ा मुकाबला माना जा रहा था मगर कांग्रेस ने 40 सीटों पर जीत हासिल करते हुए सत्ता में वापसी कर ली है। हिमाचल प्रदेश में भाजपा 25 सीटों पर ही सिमट गई है जबकि तीन सीटों पर भाजपा के बागी उम्मीदवारों को जीत हासिल हुई है। हालांकि भाजपा और कांग्रेस के वोट शेयर में एक फ़ीसदी से भी कम का अंतर है और इस अंतर ने ही कांग्रेस को हिमाचल प्रदेश में बड़ी जीत दिला दी है।
सीएम मोदी से आगे निकले पीएम मोदी
गुजरात के पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा को 99 सीटों पर जीत हासिल हुई थी मगर इस बार पार्टी ने अपनी सीटों का आंकड़ा बढ़ाकर 156 पर पहुंचा लिया है। इसरो पार्टी को पिछले चुनाव की अपेक्षा 57 सीटों का फायदा हुआ है। भाजपा ने पिछले चुनाव में 99 सीटों पर जीत हासिल की थी। दूसरी और कांग्रेस सिर्फ 17 सीटों पर सिमट गई है। 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 77 सीटों पर जीत हासिल की थी और इस तरह कांग्रेस को 60 सीटों का नुकसान हुआ है।
भाजपा ने अभी तक गुजरात में सबसे बड़ी जीत 2002 के विधानसभा चुनाव में हासिल की थी। उस समय नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री थे और उनकी अगुवाई में ही पार्टी चुनाव मैदान में उतरी थी। पार्टी ने 2002 के विधानसभा चुनाव में 127 सीटों पर जीत हासिल की थी मगर इस बार के विधानसभा चुनाव में पार्टी उस आंकड़े से काफी आगे निकल गई है। गुजरात में विधानसभा की 182 सीटें हैं और इनमें 156 सीटों पर जीत हासिल करना भाजपा की ऐतिहासिक उपलब्धि माना जा रहा है। भाजपा इस बार भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चेहरे पर चुनाव मैदान में उतरी थी और इसे दूसरे रूप में देखा जाए तो पीएम मोदी सीएम मोदी से आगे निकल गए हैं।
भाजपा ने तोड़ा सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड
गुजरात के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 1985 में कांग्रेस को मिली सबसे बड़ी जीत का रिकॉर्ड भी ध्वस्त कर दिया है। 1985 में माधव सिंह सोलंकी की अगुवाई में कांग्रेस पार्टी ने 149 सीटों पर जीत हासिल की थी और इसे अभी तक गुजरात के विधानसभा चुनाव की सबसे बड़ी जीत माना जाता रहा है।
इस बार कई एग्जिट पोल में इस बात का पूर्वानुमान लगाया गया था कि भाजपा इस रिकॉर्ड को तोड़ सकती है। यह पूर्वानुमान बिल्कुल सही साबित हुआ है क्योंकि भाजपा 149 के आंकड़े से सात सीटें ज्यादा जीतते हुए 156 के आंकड़े पर पहुंच गई है। इसे भाजपा की ऐतिहासिक और रिकॉर्डतोड़ जीत माना जा रहा है। भाजपा की इस बड़ी जीत के बाद पूरे गुजरात में भाजपा कार्यकर्ता बड़ा जश्न मनाने में जुटे हुए हैं।
मोदी को पहले ही था गुजरात पर भरोसा
गुजरात में 1995 से ही भाजपा सत्ता में बनी हुई है और इस तरह पार्टी ने लगातार सातवीं बार गुजरात के विधानसभा चुनाव में जीत हासिल की है। गुजरात के विधानसभा चुनाव में भाजपा को पहले ही मजबूत दावेदार माना जा रहा था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनाव की घोषणा से पूर्व ही राज्य में अपनी सक्रियता काफी बढ़ा दी थी। वे लगातार राज्य का दौरा करने में जुटे हुए थे और इस दौरान उन्होंने राज्य को कई बड़ी विकास परियोजनाओं की सौगात भी दी।
पीएम मोदी ने मतदान से पहले ही गुजरात में मतदाताओं का समर्थन मिलने की उम्मीद जताई थी। उनका कहना था कि पिछले कुछ दिनों के दौरान मैंने पूरे गुजरात की यात्रा की है और इस दौरान मुझे हर स्थान पर हर वर्ग का प्यार और समर्थन मिला है। उनका यह भी कहना था कि मैं आज जो कुछ भी हूं उसके पीछे गुजरात और देश की जनता का प्यार ही सबसे बड़ा कारण है। गुजरात के लोगों ने मोदी के इस भरोसे को कायम रखते हुए भाजपा की झोली सीटों से भर दी है।
शाह की रणनीति ने दिखाया असर
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने दीपावली के समय से ही अपना अधिकांश समय गुजरात में ही बिताया है। उन्हें इस बात का बखूबी एहसास था कि गुजरात के चुनावी नतीजे बड़ा सियासी संदेश देने वाले साबित होंगे। वे लगातार गुजरात में विभिन्न क्षेत्रों के पार्टी पदाधिकारियों और कार्यकर्ताओं से संपर्क बनाए हुए थे और उन्हें चुनाव को लेकर आवश्यक दिशा निर्देश दे रहे थे।
टिकट बंटवारे के दौरान भी भाजपा ने काफी सतर्कता बरती और एंटी इनकंबेंसी की आशंका से बड़ी संख्या में विधायकों का टिकट काटने से परहेज नहीं किया। टिकट कटने की आशंका से भाजपा के कई बड़े चेहरों ने पहले ही चुनाव न लड़ने का ऐलान कर दिया था। भाजपा की पूरी रणनीति के पीछे अमित शाह का दिमाग ही माना जा रहा है जिसके चलते पार्टी को इतनी बड़ी जीत हासिल हुई है।
हिमाचल में कांग्रेस को 21 सीटों का फायदा
दूसरी ओर हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस ने जोरदार प्रदर्शन करते हुए भाजपा को बैकफुट पर ढकेल दिया है। कांग्रेस राज्य की 40 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रही है। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस ने 19 सीटों पर जीत हासिल की थी और इस तरह 2022 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 21 सीटों का फायदा हुआ है। हिमाचल प्रदेश के चुनाव में भाजपा को बड़ा झटका लगा है। भाजपा की जीत का सिलसिला 25 सीटों पर जाकर सिमट गया है। 2017 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 44 सीटों पर जीत हासिल की थी और इस तरह पार्टी को 19 सीटों का सियासी नुकसान उठाना पड़ा है। तीन सीटों पर भाजपा के बागी उम्मीदवार जीतने में कामयाब रहे हैं।
प्रियंका की प्रचार में सक्रिय भूमिका
हिमाचल प्रदेश के चुनाव में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी ने सक्रिय भूमिका निभाई थी। भारत जोड़ो यात्रा में व्यस्त रहने के कारण राहुल गांधी तो हिमाचल प्रदेश में प्रचार के लिए नहीं पहुंचे मगर प्रियंका ने हिमाचल के प्रचार में लगातार सक्रियता बनाए रखी। पार्टी प्रत्याशियों की स्थिति मजबूत बनाने में प्रियंका की भी बड़ी भूमिका मानी जा रही है।
दिल्ली नगर निगम के चुनाव में विजय पताका फहराने वाली आम आदमी पार्टी का हिमाचल प्रदेश में खाता भी नहीं खुल सका है। हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह के निधन के बाद राज्य में कांग्रेस के पास कोई बड़ा चेहरा नहीं था। इसके बावजूद पार्टी की जीत को बड़ी कामयाबी माना जा रहा है।
एक फीसदी से कम वोटों का कमाल
हिमाचल प्रदेश के विधानसभा चुनाव में भाजपा के आठ मंत्रियों को हार का मुंह देखना पड़ा है। हालांकि मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर चुनाव जीतने में कामयाब रहे हैं मगर उनके 8 सहयोगी मंत्रियों को हार झेलनी पड़ी है। वैसे हिमाचल प्रदेश के चुनाव में एक दिलचस्प तथ्य यह भी है कि एक फ़ीसदी से भी कम वोटों के अंतर ने भाजपा को हार झेलने के लिए मजबूर कर दिया है।
शुरुआती आंकड़ों के मुताबिक भाजपा को इस बार के चुनाव में 43 फ़ीसदी वोट मिले हैं जबकि कांग्रेस को 43.9 फीसदी मत हासिल हुए हैं। इसका मतलब है कि यदि भाजपा एक फ़ीसदी वोट और पा जाती तो हिमाचल प्रदेश की पूरी चुनावी बाजी पलट सकती थी। एक फीसदी से कम वोटों के अंतर ने हिमाचल प्रदेश की सत्ता में कांग्रेस की वापसी करा दी है जबकि भाजपा अगले 5 वर्ष फिर विपक्ष में बैठने को मजबूर हो गई है।
बागी बने भाजपा की हार का कारण
हिमाचल प्रदेश के चुनाव में उतरे बागी प्रत्याशियों ने भी भाजपा की हार में बड़ी भूमिका निभाई है। कई सीटों पर टिकट वितरण में गड़बड़ी के बाद बागी भाजपा के बागी प्रत्याशी पार्टी के लिए बड़ी मुसीबत बन गए थे और उन्होंने पार्टी को कई सीटों पर हार के लिए मजबूर कर दिया। हिमाचल प्रदेश की तीन सीटों पर भाजपा के बागी प्रत्याशियों ने जीत हासिल की है। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने भी इस बात को स्वीकार किया कि कई सीटों पर बागियों के चलते पार्टी को शिकस्त झेलनी पड़ी है। इसके साथ कई सीटों पर हार-जीत का अंतर भी काफी कम रहा है।
हिमाचल में सीएम पद को लेकर महाभारत
हिमाचल प्रदेश में मुख्यमंत्री पद का फैसला करना भी कांग्रेस नेतृत्व के लिए आसान काम नहीं होगा। पार्टी में मुख्यमंत्री पद को लेकर महाभारत शुरू हो गई है। हिमाचल प्रदेश में कांग्रेस की राजनीति को नजदीक से जानने वालों का मानना है कि राज्य में कांग्रेस के सात नेता मुख्यमंत्री पद को लेकर अपनी दावेदारी मजबूत बनाने की कोशिश में जुटे हुए हैं। इनमें सबसे मजबूत दावेदारी मंडी के वरिष्ठ कांग्रेस नेता कौल सिंह ठाकुर की मानी जा रही है। 1977 में अपना पहला चुनाव जीतने वाले कौल सिंह ठाकुर 8 बार विधायक रह चुके हैं।
उनके अलावा रामलाल ठाकुर, मुकेश अग्निहोत्री, सुखविंदर सिंह सुक्खू, आशा कुमारी और प्रतिभा सिंह को भी मुख्यमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा है। प्रतिभा सिंह ने तो खुलकर मुख्यमंत्री पद के लिए दावेदारी जता दी है। उन्होंने खुलकर कहा है कि हमारे परिवार की अनदेखी नहीं की जा सकती है।