जानिए क्या है धारा 376(E), जिसमें बार-बार रेप के दोषियों को मिलती है मौत की सजा

2012 के दिल्ली के निर्भया कांड के बाद संविधान संशोधन के जरिए आईपीसी की धारा 376 (ई) के तहत बार-बार बलात्कार के दोषियों को उम्रक़ैद या मौत की सज़ा का प्रावधान किया गया था।

Update: 2019-06-03 12:01 GMT

मुंबई: 2012 के दिल्ली के निर्भया कांड के बाद संविधान संशोधन के जरिए आईपीसी की धारा 376 (ई) के तहत बार-बार बलात्कार के दोषियों को उम्रक़ैद या मौत की सज़ा का प्रावधान किया गया था। बॉम्बे हाईकोर्ट ने बार-बार बलात्कार के दोषी को उम्रकैद या मौत की सजा देने के लिए आईपीसी की धारा में किए गए इस संशोधन की संवैधानिकता को बरकरार रखा।

जस्टिस बीपी. धर्माधिकारी और जस्टिस रेवती मोहिते डेरे ने शक्ति मिल्स सामूहिक बलात्कार कांड के तीन दोषियों की याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया। इस प्रावधान के तहत 2014 में मौत की सज़ा पाने वाले शक्ति मिल्स सामूहिक बलात्कार कांड के तीन दोषियों ने इस धारा की संवैधानिकता को चुनौती दी थी।

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भारतीय दंड सहिता की धारा 376 (ई) में संशोधन के तहत बार-बार बलात्कार का अपराध करने वाले दोषी को उम्रकैद या मौत की सजा हो सकती है। दिल्ली में 2012 में 23 वर्षीय छात्रा(निर्भया) के साथ हुए सामूहिक बलात्कार के बाद यह संशोधन हुआ था।

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अदालत ने कहा कि हमारा विचार है कि आईपीसी की धारा 376 (ई) संविधान के दायरे से बाहर नहीं है, इसलिए मौजूदा मामले में उसे खारिज नहीं किया जाएगा।

धारा 376(ई) कहती है कि पहले अगर धारा 376, 376(ए), 376(डी) के तहत आरोपियों को दोषी पाया जा चुका है और बाद में अगर फिर से उन्हें इनमें से किसी एक धारा में दोषी पाया जाता है तो सजा के तौर पर उन्हें उम्रकैद या मौत की सजा दी जाएगी।

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