सीमा विवाद: क्या चीन ने IND के आगे घुटने टेक दिए हैं? सरकार के इस बयान से समझें

भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच 8वीं कोर कमांडर स्तर की वार्ता 6 नवंबर को चुशूल में आयोजित की हुई थी। जिसमें चीन ने पैगोंग झील के दक्षिण हिस्से की चोटियों पर जमे भारतीय सैनिकों को वहां से हटाने की मांग भारत से की थी।

Update:2020-11-08 18:09 IST
मंगलवार को मंत्रालय की ओर से जारी किए परिपत्र में कहा है कि पहले की चौड़ाई मानक सामरिक सड़कों से संबंधित मुद्दे का समाधान नहीं करती।

लद्दाख: भारत और चीन में सीमा विवाद को लेकर चल रही तनातनी के बीच आज एक बड़ी खबर आ रही है। पूर्वी लद्दाख में सीमा पर जारी गतिरोध को बातचीत के जरिये सुलझाने पर भारत और चीन दोनों सहमत हो गये हैं।

जिसके बाद से अब दोनों देश सीमा विवाद का सर्वमान्य हल निकलने तक फ्रंटलाइन एरिया में अधिकतम संयम बनाए रखेंगे।केंद्र सरकार की तरफ से रविवार को एक बयान जारी किया गया।

जिसमें ये बताया गया कि दोनों देशों की बातचीत में विवाद को आपसी सहमति से सुलझाने की स्वीकृति बनी है। अब दोनों देशों ने मिलकर ये निर्णय किया है कि वे अपने शीर्ष नेताओं द्वारा तय की गई गाइलाइंस को सीमा पर लागू करेंगे।

आपस में बात करते हुए भारत और चीन के सैन्य अधिकारी (फोटो:सोशल मीडिया)

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चीन सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर बातचीत का दरवाजा खोले रखने पर हुआ राजी

इतना ही नहीं लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल(एलएसी) पर तैनात सैनिकों के बीच किसी भी तरह की भ्रांतियों को दूर करने का भी बन्दोबस्त किया जाएगा। दोनों देशों में कोर कमांडर स्तर की बातचीत का अगला दौर भी जल्द शुरू करने पर सहमति जताई है।

सरकार की तरफ से जारी बयान के अनुसार दोनों देशों ने यह भी निर्णय लिया है कि वे सीमा पर तनाव कम करने के लिए लिए सैन्य और कूटनीतिक स्तर पर आपसी बातचीत का दरवाजा भी खोले रखेंगे। इसके साथ भारत और चीन के बीच अन्य मुद्दों को सुलझाने के लिए भी बातचीत करते रहेंगे।

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एलएसी पर पहरा देता भारतीय जवान (फोटो:सोशल मीडिया)

6 नवंबर को चुशूल में हुई थी 8वें दौर की सैन्य वार्ता

गौरतलब है कि भारत और चीन के सैन्य अधिकारियों के बीच 8वीं कोर कमांडर स्तर की वार्ता 6 नवंबर को चुशूल में आयोजित की हुई थी। जिसमें चीन ने पैगोंग झील के दक्षिण हिस्से की चोटियों पर जमे भारतीय सैनिकों को वहां से हटाने की मांग भारत से की थी। जबकि भारत ने चीन से पूरे इलाके को डि-एस्कलेशन करने की मांग की थी। चीन ने अब भारत की ज्यादातर मांगों पर अपनी सहमति जताई है।

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