नई दिल्ली: कहते हैं कि हर घड़ी अगर बॉस सिर पर चढ़ा हो तो काम करते नहीं बनता है, लेकिन यह बात भी उतनी ही सच है कि अगर बॉस ऑफिस से ज्यादातर बाहर रहता है तो आपके सामने कई तरह की चुनौतियां भी खड़ी हो जाती हैं। कई बार बॉस की सहमति जानने के लिए आपको इंतजार करना पड़ता है। ऐसे में आपका काम वक्त पर खत्म नहीं हो पाता है। ऐसी परिस्थितियों में कुछ खास बातों का ध्यान रखते हुए आप कई तरह की दिक्कतों से बच सकते हैं।
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तय करें प्राथमिकता : अगर आपके बॉस नियमित तौर से ऑफिस से बाहर रहते हैं तो आपको अपने काम को कई वर्गों में बांट लेना चाहिए। कोई काम आवश्यक हो सकता तो कोई अति आवश्यक। इस तरह उन सभी कार्यों की प्राथमिकता तय करनी चाहिए। बॉस के साथ बराबर संपर्क में बनें रहें और ऑफिस की हर परिस्थिति से उन्हें अपडेट रखें। जब किसी कार्य को लेकर मन में हिचक हो तो उसे बॉस से जरूर शेयर करें। इस तरह आप संभावित गलतियों में सुधार कर सकते हैं।
जिम्मेदारी लेना सीखें : बॉस की अनुपस्थिति में जिम्मेदारी लेना सीखें। एक प्रोएक्टिव कर्मचारी की तरह टीम को लीड करें। एक बात का विशेष ध्यान रखें कि किसी अधीनस्थ एम्प्लोई के मन में यह विचार न पनपें कि आप उन पर रौब दिखा रहे हैं। सबसे मिलकर रहें और विनम्रता के साथ किसी एम्प्लोई को कोई काम करने का निर्देश दें। ध्यान रखें कि अगर आप अपने जूनियर्स का दिल जीत लें तो बॉस का विश्वास स्वत: ही आपको मिल जाएगा। इस तरह आपको आगे बढऩे से कोई नहीं रोक पाएगा।
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संदेह होने पर करें सवाल : ऐसा नहीं है कि आपके बॉस आफिस से बाहर हों तो आप उनसे प्रोजेक्ट्स, प्रोग्रेस और की प्वाइंट्स के बारे में यह सोचकर न पूछें कि उनका वक्त खराब हो जाएगा। याद रखिए, आप ऑििफशियल काम के लिए उनसे बात करेंगे। इसलिए किसी भी प्रोजेक्ट या प्वाइंट को लेकर संदेह हो तो बॉस को फोन लगाएं और पूछ लें। यह जरूर है कि इसके लिए उनसे समय जरूर पूछ लें। हो सकता है आपके बॉस किसी आउटसाइड मीटिंग में हों और आपकी कॉल का रिस्पॉन्स न दें। इसलिए पहले एसएमएस दें और फिर इत्मीनान से बात करें। आपको ध्यान रखना चाहिए कि बॉस के सामने सूचनाओं की अधिकता न हो जाए। इससे वह कन्फ्यूज भी हो सकते हैं। आपको पता होना चाहिए कि बॉस को किस तरह की जानकारी की जरूरत है। इससे आप बेहतर ढंग से अपने सवालों के जवाब पा सकते हैं।
अनुशासित रहें : बॉस की अनुपस्थिति का मतलब कई बार इस बात से लगाया जाता है कि जब मन तब काम करना चाहिए। लेकिन वास्तव में इसका मतलब यह होता है कि बेशक वह ऑफिस में न हों लेकिन वर्कप्लेस की गतिविधियों से वह पूरी तरह अवगत हो रहे होंगे। इसलिए वर्क एथिक्स के अनुरूप अनुशासन का पालन करें। काम को लेकर टालू रवैया न अपनाएं। इससे आपकी आदत खराब हो जाएगी जिसका खामियाजा भी आपको ही उठाना पड़ सकता है। आपको बिना किसी थर्ड आई के अपने रोज के लक्ष्यों को पूरा करना चाहिए।
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सीनियर्स की मदद लें : जब आप कई प्रोजेक्ट्स पर एक साथ काम करने वाले कर्मचारी हों तो समय-समय पर गाइडेंस की जरूरत पड़ती ही है। अगर आपके बॉस बाहर हों तो किसी सीनियर से भी आप गाइडेंस ले सकते हैं। अपने काम को बेहतर और परफेक्ट बनाने के लिए यह टेक्निक सबसे अच्छी मानी जाती है।