Buddha Purnima 2022: आज वैशाख पूर्णिमा को लगा साल का पहला चंद्रग्रहण, जानें पूजन विधि

Buddha Purnima 2022: बुद्ध पूर्णिमा आज सोमवार 16 मई को मनाई जाएगी। हिन्दू परंपरा के मुताबिक इस दिन का बेहद खास महत्व माना जाता है।

Report :  Rajat Verma
Published By :  Vidushi Mishra
Update:2022-05-16 07:53 IST

बुद्ध पूर्णिमा (फोटो-सोशल मीडिया)

Buddha Purnima 2022: वैशाख पूर्णिमा (Vaishakh Purnima) अथवा बुद्ध पूर्णिमा आज यानी सोमवार 16 मई को मनाई जाएगी। हिन्दू परंपरा के मुताबिक इस दिन का बेहद खास महत्व माना जाता है। वैशाख माह (month of Vaishakh) में आने वाले इस पूर्णिमा के दिन ही भगवान विष्णु (Lord Vishnu) के अवतार गौतम बुद्ध (Gautam Buddha) का जन्म हुआ था, इसलिए इस दिन को वैशाख पूर्णिमा के अलावा बुद्ध पूर्णिमा तथा बुद्ध जयंती (Buddha Jayanti) भी कहा जाता है।

आपको बता दें कि इसी दिन साल का पहला चंद्रग्रहण (Chandra Grahan Ka Samay) लगेगा, जिसे कि जानकारी के आधार पर भारत के हिस्से में अनुभव नहीं किया जा सकेगा। कहा जाता है कि इस दिन विशेष विधि से पूजन करने से सुख-समृद्धि और संपन्नता का वास होता है तथा लोगों की मनचाही इच्छाएं भी पूर्ण होती हैं।

भगवान सूर्य और भगवान विष्णु की आराधना और पूजा

वैशाख पूर्णिमा के अवसर पर पूजन की विधि (Buddh Purnima Puja Vidhi) के अनुसार,  यह पूजा भी समस्त पूर्णिमा के अवसर पर होने वाले पूजा-पाठ के लगभग समान ही है। वैशाख पूर्णिमा अथवा बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर शुभ मुहूर्त (Buddh Purnima Shubh Muhurat) की शुरुआत 16 मई 12:45 AM से शुरू होकर 16 मई रात्रि करीब 9:45 PM तक रहेगा। इस दौरान वैशाख पूर्णिमा के अवसर पर इस अवधि के दौरान पूजन क्रिया पूर्ण करने पर विशेष लाभ और संपन्नता का योग है।

बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर इस दिन सर्वप्रथम सुबह उठकर पवित्र मन से स्नान करें और यदि संभव हो सके तो किसी पवित्र नदी में जाकर स्नान करें। स्नान के पश्चात साफ-सुथरे कपड़े पहनकर भगवान सूर्य और भगवान विष्णु की आराधना और पूजा करें। भगवान को भोग लगाने के पश्चात ही स्वयं भोजन ग्रहण करें तथा यथासंभव सामान्य और सादे आहार ही ग्रहण करें।

भगवान विष्णु की पूजा (worship of lord vishnu) और भोग के दौरान विशेष तौर से भगवान की पसंद का विशेष ध्यान रखें, जैसे प्राप्त जानकारी के मुताबिक भगवान विष्णु को तुलसी(Tulsi) प्रिय है तथा इसी मद्देनज़र पूजा और भोज में तुलसी का प्रयोग करें। 

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