क्या सस्ता और मंहगा: जानें आपकी जेब पर कितना होगा असर, पेश हुआ आम बजट

आम बजट में क्या सस्ता किया गया है क्या मंहगा किया गया है, इस बारे में जानकारी दी गई है। ऐसे में इस बार आए बजट के अनुसार, इलेक्ट्रानिक सामान मंहगा हो सकता है। इसके साथ ही मोबाइल फोन के दामों में भी तेजी से बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है।

Update:2021-02-01 13:27 IST
आम बजट में कॉपर और स्टील में ड्यूटी को घटाया गया है। साथ ही सोने-चांदी की कस्टम ड्यूटी को घटाया गया। वहीं विदेश से कपड़ों का इंपोर्ट महंगा होगा।

नई दिल्ली। वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने आम बजट पेश करते हुए कई बड़े ऐलान किये हैं। वित्त मंत्रालय ने एक एप लॉन्च की है जिसके तहत सभी देशवासी और संसद के सदस्य बजट के दस्तावेजों को देख सकते हैं। वित्त मंत्री बजट पेश करते हुए कहा कि ये बजट मुश्किल हालातों में तैयार किया गया है। आम बजट में क्या सस्ता किया गया है क्या मंहगा किया गया है, इस बारे में जानकारी दी गई है। ऐसे में इस बार आए बजट के अनुसार, इलेक्ट्रानिक सामान मंहगा हो सकता है। इसके साथ ही मोबाइल फोन के दामों में भी तेजी से बढ़ोत्तरी होने की उम्मीद है।

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कपड़ों का इंपोर्ट महंगा

ऐसे में आम बजट में कॉपर और स्टील में ड्यूटी को घटाया गया है। साथ ही सोने-चांदी की कस्टम ड्यूटी को घटाया गया। वहीं विदेश से कपड़ों का इंपोर्ट महंगा होगा। क्योंकि कॉटन पर 10 प्रतिशत ड्यूटी बढ़ी। हालाकिं कुछ लेदर उत्पाद कस्टम ड्यूटी से बाहर।

इसके साथ ही बजट में इनकम टैक्स के सेक्शन 80EA के तहत अब छूट को 31 मार्च, 2022 तक लिए गए लोन पर लागू किया जाएगा। अब इलेक्ट्रॉनिक सामान महंगा होगें। इसके अलावा मोबाइल और उसके चार्जर महंगे होंगे। वहीं स्टील और लोहे उत्पाद सस्ते होंगे। बता दें, मोबाइल उपकरण पर कस्टम ड्यूटी का 2.5 प्रतिशत लगेगा।

फोटो-सोशल मीडिया

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ये चीजें सस्ती होंगी

जूते सस्ते होंगे।

नाइलॉन के कपड़े सस्ते होंगे।

तांबे का सामान सस्ता होगा।

चमड़े के उत्पाद सस्ते होंगे।

मोबाइल पार्ट्स पर 2.5 फीसदी कस्टम ड्यूटी लगाया गया।

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करदाता को टैक्स में कोई नई छूट नहीं

ऐसे में आम करदाता को टैक्स में कोई नई छूट नहीं है। वैसे तो जीएसटी अब चार साल पुरानी हो गई है। जिस पर जीएसटीएन सिस्टम की क्षमता भी बढ़ाई गई है। इसमें फेक बिलर्स की पहचान हो रही है। बीते कुछ महीनों में रेकॉर्ड जीएसटी कलेक्शन हुआ है।

साथ ही टैक्स ऑडिट की क्षमता को 5 करोड़ से बढ़ाकर 10 करोड़ करने का प्रस्ताव रखा गया है। इस तरह सरकार ने टैक्सेशन सिस्टम की जटिलता को खत्म करने का प्रयास किया।

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