लखनऊ : बुंदेलखंड में जल संकट कोई नई बात नहीं है। गर्मी के मौसम में हर साल यहां के अधिकांश गांव पानी की समस्या से जूझते है। गांव में जो नलकूप लगे हुए है। उनमें से अधिकांश खराब पड़े है। लोगों के लिए खेती ही रोजगार का साधन है। लेकिन सूखे के कारण वह भी ठीक से नहीं हो पा रही है। पुरुष गांव छोड़कर शहर की तरफ पलायन करने को मजबूर है। ऐसे में घर पर अकेली बची महिलाओं को पीने का साफ पानी मुहैया कराने के लिए गांव की ही कुछ आदिवासी महिलाएं सामने आई है। वे गांव-गांव जाकर लोगों की प्यास बुझाने का काम कर रही है। लोग प्यार से इन्हें ‘ट्यूबबेल चाची’ के नाम से पुकारने लगे है।
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ये है पूरा मामला
बुंदेलखंड में यूपी के 7 और एमपी के 6 जिले आते है। हर साल गर्मी आने पर यहां के अधिकांश गांवों में लगे नलकूप खराब हो जाते हैं।
वैसे तो खराब नलकूपों को ठीक करने का काम सदियों से पुरुष करते है। लेकिन गांव में खेती करने योग्य भूमि बची नहीं है। पुरुष रोजगार की तलाश में शहर चले गए हैं।
ऐसे में यहीं की कुछ आदिवासी महिलाओं ने लोगों को हर बार की तरह इस बार भी गर्मी के मौसम में पानी मुहैया कराने के लिए तैयारी कर ली है।
आदिवासी महिलाएं ने 15 महिलाओं की एक खास टीम तैयार की है। जो एक गांव से दूसरे गांव जाकर वहां खराब पड़े नलकूपों को औजार लेकर खुद ही ठीक करने का काम कर रही है।
इस सीजन में इन महिलाओं ने करीब 100 नलकूपों को अभी तक ठीक भी कर दिया है। उनका ये काम आगे भी जारी है।
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अब नहीं जाना पड़ता पानी के लिए 8 से 10 किमी. दूर
छतरपुर के घवारा तहसील के छिरियाछोर गांव की ही महिलाओं ने बताया पहले गर्मी के मौसम में नलकूप खराब होने पर 8 से 10 किमी। तो कभी–कभी 20 से 25 किमी. दूर जाना पड़ता था। लेकिन जब से आदिवासी महिलाओं ने खराब नलकूप को ठीक करने का काम शुरू किया है। तब से उन्हें पानी के लिए अपने गांव से बाहर नहीं जाना पड़ रहा है।
अगर कभी नलकूप बिगड़ जाता है। तो गांव का कोई भी शख्स फोन कर आदिवासी महिलाओं को सूचना दे देता है। सूचना मिलने के थोड़ी देर बाद ही आदिवासी महिलाएं टोली बनाकर मौके पर पहुँच जाती है और कुछ ही देर में नलकूप को ठीक करके चली जाती है।
ये काम वे पिछले 7–8 सालों से लगातर कर रही है। वे खुद ही नलकूप को औजार लेकर रिपेयर कर देती है। धीरे–धीरे गांव के लोगों ने इन्हें ट्यूबबेल चाची का नाम दे दिया।
केंद्रीय मंत्री ने ट्वीट कर कही ये बातें
केंद्रीय मंत्री राजवर्धन राठौर ने ट्विटर हैंडल से एक ट्वीट किया है। उन्होंने लिखा है कि ट्यूबवेल चाची, सुनने में नाम भले ही अजीब लगे, पर बुंदेलखंड में ये नाम चेहरों पर मुस्कान ले आता है।
इस नाम के एक छोटे समूह से जुड़ी महिलाएं, घर-घर जाके खराब ट्यूबवेल और हैंडपंप सुधारने का काम कर रही हैं ताकि लोगों को गर्मी में प्यास न झेलनी पड़े। ट्यूबवेल चाची को मेरा प्रणाम!
मंत्री के ट्वीट के सामने आने के बाद से सोशल मीडिया में लोग इन आदिवासी महिलाओं की फोटो तेजी से शेयर कर रहे है। साथ ही उनके हौसले की तारीफ करते नहीं थक रहे है।