सुप्रीम कोर्ट में CAA : केंद्र सरकार को राहत, चार हफ्ते के बाद होगी सुनवाई
CAA पर सुप्रीमकोर्ट में हो रही सुनवाई पर चीफ जस्टिस ने कहा है कि वह नई याचिकाओं पर रोक नहीं लगा सकते हैं, इसके अलावा हर केस के लिए एक वकील को ही मौका मिलेगा। याचिकाओं पर जवाब देने के लिए केंद्र को चार हफ्ते का वक्त मिला है और अब पांचवें हफ्ते में सुनवाई होगी।
नई दिल्ली: भारतीय जनता पार्टी की की केंद्र सरकार द्वारा लागू किये गए नागरिकता संशोधन कानून को लेकर देशभर में हो रहे विरोध के बीच आज सुप्रीमकोर्ट में बड़ी सुनवाई है। सुप्रीम कोर्ट में CAA के समर्थन से लेकर विरोध सम्बंधित 144 से अधिक याचिकाएं दाखिल की गई हैं, जिनपर आज सुनवाई हुई। इनमें 141 कानून के खिलाफ, 1 कानून के समर्थन में और एक याचिका केंद्र सरकार की ओर से दाखिल की गई थी।
अब चार हफ्ते के लिए टाली गयी सुनवाई
CAA पर सुप्रीमकोर्ट में हो रही सुनवाई पर चीफ जस्टिस ने कहा है कि वह नई याचिकाओं पर रोक नहीं लगा सकते हैं, इसके अलावा हर केस के लिए एक वकील को ही मौका मिलेगा। याचिकाओं पर जवाब देने के लिए केंद्र को चार हफ्ते का वक्त मिला है और अब पांचवें हफ्ते में सुनवाई होगी। वहीं दूसरी ओर असम से जुड़ी याचिकाओं पर केंद्र सरकार को दो हफ्ते में जवाब देना होगा।
CAA पर दायर याचिकाओं को अलग-अलग कैटेगरी में बांटा गया
अलग-अलग कैटेगरी के तहत सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने नागरिकता संशोधन एक्ट पर दायर याचिकाओं को अलग-अलग कैटेगरी में बांट दिया है। इसके तहत असम, नॉर्थईस्ट के मसले पर अलग सुनवाई की जाएगी। वहीं, उत्तर प्रदेश में जो CAA की प्रक्रिया को शुरू कर दिया गया है उसको लेकर भी अलग से सुनवाई की जाएगी। अदालत ने सभी याचिकाओं की लिस्ट जोन के हिसाब से मांगी है, जो भी बाकी याचिकाएं हैं उनपर केंद्र को नोटिस जारी किया जाएगा।
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अलग किया जा सकता है असम का मसला
चीफ जस्टिस ने वकीलों से असम और नॉर्थ ईस्ट से दाखिल याचिकाओं पर आंकड़ा मांगा है। कोर्ट का कहना है कि असम का मसला अलग भी किया जा सकता है। इसको लेकर अलग सुनवाई भी की जा सकती है। कोर्ट ने पूछा है कि असम के मसले पर सरकार कबतक जवाब देगी?
अभी कोई भी आदेश जारी नहीं होगा
CJI सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस एस. ए. बोबडे ने कहा है कि हम अभी कोई भी आदेश जारी नहीं कर सकते हैं, क्योंकि काफी याचिकाओं को सुनना बाकी है। ऐसे में सभी याचिकाओं को सुनना जरूरी है। अटॉर्नी जनरल ने अपील की है कि कोर्ट को आदेश जारी करना चाहिए कि अब कोई नई याचिका दायर नहीं होनी चाहिए।
SC में वकील वैद्यनाथन ने कहा है कि बाहर ऐसा मुस्लिम और हिंदुओं में डर है कि NPR की प्रक्रिया होती है तो उनकी नागरिकता पर सवाल होगा। अभी NPR को लेकर कोई साफ गाइडलाइंस नहीं हैं।
संविधान पीठ की मांग पर जजों की ओर से कहा गया है कि संविधान पीठ अभी सबरीमाला, महिलाओं की बराबरी पर सुनवाई कर रही है। वकील राजीव धवन ने मांग की है कि कौन कब बहस करेगा, ये अभी तय होना चाहिए।
चीफ जस्टिस ने इसपर कहा है कि मुझे नहीं लगता है कि कोई भी प्रक्रिया वापस ली जा सकती है। हम ऐसा आदेश लागू कर सकते हैं, जो मौजूदा स्थिति के अनुरूप होगा।
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तीन महीने के लिए टाल दी जाए प्रक्रिया
अदालत में वकील विकास सिंह, इंदिरा जयसिंह ने कहा है कि असम से 10 से अधिक याचिकाएं हैं, वहां पर मामला पूरी तरह से अलग है। असम को लेकर अलग आदेश जारी होना चाहिए। कपिल सिब्बल की ओर से अपील की गई है कि अगर इस मामले पर स्टे नहीं लगता है तो चीन महीने के लिए इसे टाल दिया जाए।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई शुरू
सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन एक्ट पर दायर याचिकाओं की सुनवाई में अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट को बताया कि उन्हें अभी तक 144 में से 60 याचिकाओं की ही कॉपी मिली है। इसपर कपिल सिब्बल ने कहा कि मुद्दा अभी ये है कि क्या मामले को संवैधानिक बेंच को भेजना चाहिए। साथ ही उन्होंने NPR की प्रक्रिया पर सवाल खड़े किए, जो कि अप्रैल में शुरू होगी।
अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि यूपी में 40 हजार लोगों को नागरिकता देने की बात कही जा रही है, अगर ऐसा हुआ तो फिर कानून वापस कैसे होगा।
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सुप्रीम कोर्ट में भारी भीड़
सुप्रीम कोर्ट में नागरिकता संशोधन एक्ट को लेकर सुनवाई शुरू होने वाली है। चीफ जस्टिस एस। ए। बोबडे ने सुनवाई से पहले कोर्ट रूम में एकत्रित भीड़ पर आपत्ति जताई है। CJI ने कहा कि इतनी भीड़ में हम वकीलों को भी सुन पा रहे हैं।
कुछ महिलाएं पोस्टर, बैनर लेकर पहुंचीं
बता दें कि पूरे देश में लागू किये गए नागरिकता संशोधन कानून को लेकर सुनवाई से पहले सुप्रीम कोर्ट के बाहर कुछ महिलाओं ने CAA का विरोध भी किया। मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट के बाहर कुछ महिलाएं पोस्टर, बैनर लेकर पहुंचीं। हालांकि, कुछ समय के बाद उन्हें वहां से हटा दिया गया था। लेकिन देश के कई हिस्सों में अभी भी विरोध प्रदर्शन जारी है।
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एक याचिका केंद्र सरकार की भी जिस पर होगी सुनवाई
सिर्फ इस कानून के खिलाफ ही नहीं बल्कि समर्थन में भी याचिका दायर की गई है। अदालत में एक याचिका कानून के समर्थन में दायर की गई है, जबकि एक याचिका केंद्र सरकार की है। केंद्र सरकार ने अपनी याचिका में अपील की है कि देश की जितनी हाई कोर्ट में इस कानून को लेकर याचिका दायर की गई हैं, उन्हें सभी को सुप्रीम कोर्ट में लाया जाए।
याचिकाओं में कानून को भारत की मूल भावनाओं के खिलाफ बताया गया
मोदी सरकार के द्वारा नागरिकता संशोधन कानून पेश करने के बाद से ही इस पर बवाल चल रहा है। विपक्षी पार्टियों से लेकर आम जनता तक सड़क पर कानून का विरोध हो रहा है। वहीं अदालत में कानून के खिलाफ 141 याचिकाएं दायर की गई हैं, जिनपर सुनवाई होनी है। याचिकाओं में कानून को संविधान के खिलाफ, भारत की मूल भावनाओं के खिलाफ बताया गया है। असदुद्दीन ओवैसी, महुआ मोइत्रा, कई राजनीतिक दल, मुस्लिम संगठन समेत अन्य लोगों की ओर से अदालत में याचिका दायर की गई है।
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