नई दिल्ली: अगर आप युवा हैं और मेडिकल के क्षेत्र में आगे बढऩा चाहते हैं तो कार्डियक केयर टेक्नीशियन बन सकते हैं। इन्हें कार्डियोवैस्कुलर टेक्नोलॉजिस्ट भी कह सकते हैं। कार्डियक टेक्नीशियन पूर्ण रूप से नर्स या पूर्ण रूप से डॉक्टर नहीं होते हैं, लेकिन ये दोनों के बीच होते हैं। कार्डियक केयर टेक्नीशियन मेडिकल प्रोफेशनल्स की तरह काम करते हैं। वे मरीजों के विभिन्न तरह के टेस्ट्स करते हैं और मरीजों की डायग्नोसिस में डॉक्टर की मदद करते हैं। ये मरीजों की रिपोट्र्स के विश्लेषण से लेकर उनके दिल की देखभाल का ख्याल रखते हैं। ज्यादातर कार्डियक टेक्नीशियन अस्पताल में बीमारियों की पहचान के लिए प्रक्रिया, वैस्कुलर समस्याओं और हृदय रोगों के निदान में फिजिशियन की सहायता करते हैं। यह काम प्रशिक्षण और अनुभव के स्तर पर निर्भर करता है। यह एक जिम्मेदारी और चुनौती भरा कॅरियर है। इसमें अच्छे युवा आ सकते हैं। इसमें सरकारी और प्राइवेट दोनों ही हॉस्पिटल्स में अच्छी सैलरी मिलती हैं। इनकी मांग भी अधिक रहती है।
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अनिवार्य योग्यता : कार्डियक टेक्नीशियन बनने के लिए कैंडिडेट का किसी भी मान्यता प्राप्त बोर्ड से साइंस स्ट्रीम से 12वीं पास होना आवश्यक है। इसके अलावा कई कॉलेज इस फील्ड में सर्टिफिकेट कोर्सेज भी उपलब्ध कराते हैं। इससे मान्यता प्राप्त बोर्ड से 10वीं पास कैंडिडेट भी इस फील्ड में अपना कॅ रियर बना सकते हैं। अगर उम्मीदवार इस फील्ड में निपुणता हासिल करना चाहता है तो वह 12वीं के बाद बीएससी इन कार्डियक केयर टेक्नोलॉजी की पढ़ाई कर सकता है और अपने कॅरियर को एक बेहतर रूप दे सकता है। इसमें कई कोर्स होते हैं। अगर आप बीएससी बायो से हैं तो भी इस क्षेत्र में आगे बढ़ सकते हैं। इस फील्ड में कॅरियर बनाने के लिए कई सर्टिफिकेट, डिप्लोमा और डिग्री प्रोग्राम्स उपलब्ध हैं।
कार्डियक टेक्नीशियन की जॉब प्रोफाइल : कार्डियक केयर टेक्नीशियन का काम अस्पताल में रहकर मरीजों के दिल और रक्त वाहिकाओं के रोगों के निदान और कार्डियक सर्जन की सहायता करता है। यह जिम्मेदारी भरा काम होता है। यहां भर्ती होने वाले मरीज अति गंभीर श्रेणी में आते हैं। इसलिए उनकी नियमित निगरानी जरूरी रहती है। दिल और वाहिकाओं के उपचारात्मक उपायों के निष्पादन में मदद, इनवेसिव और गैर-इनवेसिव नैदानिक परीक्षाओं के निष्पादन में मदद भी टेक्नीशियन ही करते हैं। इसके साथ ही उन पर कई और महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां भी होती हैं।
अवसर और आय : पैरामेडिकल के साथ कार्डियक टेक्नीशियन की बढ़ती मांग को देखते हुए देश में ही नहीं बल्कि विदेशों में भी इनकी डिमांड बहुत अधिक रहती है। देश भर के सरकारी अस्तपालों के अलावा प्राइवेट अस्पतालों में बढ़ती कतारों को देखते हुए आसानी से अनुमान लगाया जा सकता है कि इस फील्ड में नौकरियों की भरमार सी हो गई है। वेतन की बात करें तो शुरुआती तौर पर एक कार्डियक केयर टेक्नीशियन मासिक 20 से 30 हजार रुपए तक कमा सकता है। विदेशों में इसकी शुरुआती सैलेरी करीब एक लाख रुपए के आसपास होती है, लेकिन जैसे-जैसे अनुभव बढ़ता है वैसे-वैसे इसमें इजाफा होता जाता है। सैलेरी भी बढ़ती जाती है। इसके अलावा आप चाहें तो सरकारी अस्पतालों में आयोजित होने वाली परीक्षा देकर भी आसानी से नौकरी पा सकते हैं। जो न केवल अच्छी सैलेरी देती है बल्कि इसमें सम्मान भी आपको बहुत मिलेगा।
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जरूरी स्किल्स : इसके टेक्नीशियन को बीपी मॉनीटर और रिकॉर्डर में तार जोडऩे, बेहतर कनेक्शन सुनिश्चित करने के लिए रिद्म स्ट्रीप या लीड ट्रेसिंग रिकॉर्ड करने, ईसीजी वेब फॉर्म की पहचान करने, आर्टफैक्ट फ्री ट्रेनिंग व सही लीड सुनिश्चित करने, लीड हटाने और सेंसर साइट्स को साफ करने, ड्रेसिंग साधनों में सहायता करने में निपुण होना चाहिए। ऐसा नहीं है कि शुरू में ही इसके एक्सपर्ट को ये सभी काम आ जाएंगे। लगातार अभ्यास से इन सब कामों में विशेषज्ञ बना जा सकता है, लेकिन इसमें गंभीरता जरूरी है।
यहां से कर सकते हैं पढ़ाई
. दिल्ली पैरामेडिकल एंड मैनेजमेंट इंस्टीट्यूट, नई दिल्ली
. क्रिश्चियन मेडिकल कॉलेज, वेल्लोर
. राजीव गांधी पैरामेडिकल कॉलेज, नई दिल्ली
. महर्षि मर्केंडेश्वर यूनिवर्सिटी, अंबाला
. शिवालिक इंस्टीट्यूट ऑफ पैरामेडिकल टेक्नोलॉजी, चंडीगढ़
. इंडियन मेडिकल इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिंग, जालंधर, पंजाब