Mohalla Clinic Scam : आबकारी नीति घोटाले में घिरी केजरीवाल सरकार की बढ़ी टेंशन, एक और मामले की जांच करेगी सीबीआई
Delhi: आबकारी नीति, नकली दवाओं की आपूर्ति के बाद अब मोहल्ला क्लनीनिक्स में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा करने का मामला सामने आया है।
Delhi News: दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार की मुश्किलें कम होती नजर नहीं आ रही हैं। साफ और स्वच्छ सरकार का वादा कर राजनीति बदलने की बात करने वाली आम आदमी पार्टी सरकार पर एक के बाद एक गंभीर आरोप लग रहे हैं। आबकारी नीति, नकली दवाओं की आपूर्ति के बाद अब मोहल्ला क्लनीनिक्स में बड़े पैमाने पर फर्जीवाड़ा करने का मामला सामने आया है। उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने इस मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं।
चर्चित आबकारी नीति में कथित घोटाले की जांच सीबीआई पहले से ही कर रही है। एजेंसी ने इस मामले को लेकर बीते साल अप्रैल में सीएम अरविंद केजरीवाल से 9 घंटे से अधिक पूछताछ भी की थी। इससे पहले 2022 में तत्कालीन डिप्टी सीएम और आबाकारी मंत्री मनीष सिसोदिया से घंटों पूछताछ करने के बाद उन्हें अरेस्ट कर लिया था। दूसरा, दिल्ली के सरकारी अस्पतालों में नकली दवाओं की आपूर्ति का मामला सामने आया था। जिसकी पिछले दिनों ही एलजी सक्सेना ने सीबीआई जांच के आदेश दिए थे।
क्या है मोहल्ला क्लीनिक के फर्जीवाड़े का मामला ?
सीएम अरविंद केजरीवाल दिल्ली में अपनी सरकार द्वारा स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में किए गए कार्यों का उल्लेख अक्सर अन्य राज्यों में करते रहते हैं और विपक्षी नेताओं को उनमें खामी निकालने की चुनौती देते हैं। केजरीवाल सरकार दिल्ली की मोहल्ला क्लीनिक योजना का भी जमकर प्रचार-प्रसार करती है। अब सामने आया है कि इसमें बड़े पैमाने धांधली हुई है।
मोहल्ला क्लीनिक में आने वाले मरीजों की जांच का ठेका दिल्ली सरकार ने दो निजी लैब को दिया है। ये हैं - M/s Agilus Diagnostics Ltd और M/s Metropolis Health Care Ltd। जुलाई से सितंबर 2023 के बीच लैब के द्वारा जो टेस्ट किए गए थे, उसके रिकॉर्ड चेक किए तो सात मोहल्ला क्लीनिकों में फर्जीवाड़ा सामने आया। यहां फेक और गलत मोबाइल नंबर दर्ज कर मरीजों का रजिस्ट्रेशन किया गया और उनकी लैब जांच कराने के लिए कहा गया। कई मोबाइल नंबर को एक से ज्यादा मरीजों के लिए इस्तेमाल किया गया।
एलजी कार्यालय की ओर से जारी बयान में विजिलेंस विभाग के रिपोर्ट के हवाले से बताया गया कि इस तरह के लाखों फर्जी टेस्ट के बदले प्राइवेट लैब्स को भुगतान किया गया है। इनमें कई सौ करोड़ रूपये के घोटाले की आशंका है। औचक निरीक्षण पर क्लीनिक में डॉक्टर भी नहीं मिले थे। वे पहले से रिकॉर्ड किए गए वीडियो के माध्यम से अपना अटेंडेंस दर्ज कर रहे थे। अनुभवहीन स्टाफ मरीजों को दवा और टेस्ट लिख रहे थे। उपरोक्त आरोपों के आधार पर एलजी विनय कुमार सक्सेना ने सीबीआई जांच की सिफारिश की।