सीडीएस का नया रोडमैप: अब नहीं होगा कोई बड़ा रक्षा सौदा
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत ने कहा देश में अब कोई भी बड़ा रक्षा सौदा एक बार में नहीं होगा, आने वाले समय में सभी रक्षा सौदे इसी तरह से किए जाएंगे।
चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत का कहना है कि देश में अब कोई भी बड़ा रक्षा सौदा एक बार में नहीं होगा। अगर कोई बड़ा रक्षा सौदा होता भी है तो वो एक 'स्टेगर्ड डील' होगी ताकि रक्षा बजट का सही उपयोग हो सके और सेनाओं की ऑपरेशन्ल क्षमताओं पर भी असर ना पड़ सके।
सीडीएस ने तैयार किया नया रोडमैप....
पहली बार रक्षा खरीद प्रक्रिया संक्षेप में अपना रोडमैप साझा करते हुए जनरल बिपिन रावत ने कहा कि किसी हथियार या फिर लड़ाकू विमान को भारी मात्रा में एक साथ खरीदा जाता है तो उससे रक्षा बजट को तीनों सेनाओं में बेहतर तरीके से बांटने पर असर पड़ता है। अगर किसी एक अंग का बड़ा सौदा होता है तो उससे बाकी दो अंगों की तैयारियों पर असर पड़ता है। सीडीएस ने कहा कि इसके साथ ही इससे सेनाओं की ऑपरेशन्ल तैयारियों पर भी खासा असर पड़ता है।
अपनी बात को समझाते हुए जनरल रावत ने कहा कि अगर आज थलसेना एक साथ एक हजार टैंक खरीद ले तो कुछ साल बाद इन सभी टैंको को मेंटेनेंस या ओवरहालिंग की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में पूरा जंगी बेड़ा ही उस समय के लिए गैराज में चला जाएगा और कुछ समय के लिए बॉर्डर पर टैंकों की तैनाती नहीं हो पाएगी, जो सुरक्षा के हिसाब से सही कदम नहीं होगा।
साझा किया पूरा विवरण....
सीडीएस ने रफेल सौदे का ज़िक्र करते हुए कहा कि आने वाले समय में सभी रक्षा सौदे इसी तरह से किए जाएंगे। जानकारी हो कि मौजूदा सरकार ने अपने पहले कार्यकाल के दौरान फ्रांस से सीधे 36 लड़ाकू विमान खरीदने का फैसला लिया था जो कि 60 हजार करोड़ का सौदा था। जबकि वायुसेना 126 विमान खरीदना चाहती थी।
ऐसे में सीडीएस ने इस बात की तरफ भी इशारा किया कि वायुसेना का जो 114 लड़ाकू विमानों का नया प्रोजेक्ट है उसे भी अब 'स्टेगर्ड' तरीके से पूरा किया जाएगा। जनरल रावत ने 90 के दशक के आखिर में रूस से हुई सुखोई फाइटर जेट के सौदे की तारीफ करते हुए कहा कि उस वक्त 270 विमानों का सौदा हुआ था वो चरणबद्ध तरीके से हुआ था और इन लड़ाकू विमानों की डिलवरी अभी बीस साल बाद तक हो रही है।
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पन्डुब्बियों की है ज़रूरत....
नौसेना के तीसरे एयरक्राफ्ट कैरियर पर जनरल रावत ने कहा कि फिलहाल नौसेना को माइनस्वीपर और पनडुब्बियों की ज्यादा जरूरत है। जनरल रावत ने साफ शब्दों में कहा कि जब तक नौसेना का दूसरा विमानवाहक युद्धपोत, 'विक्रांत' बनकर तैयार नहीं हो जाता तब तक तीसरे के बारे में विचार नहीं किया जाएगा। फिलहाल, नौसेना के जंगी बेड़े में एक ही एयरक्राफ्ट कैरियर, 'विक्रमादित्य' ही है और विक्रांत अभी कोचीन शिपयार्ड में तैयार हो रहा है।
रक्षा बजट देखेगा डीएमए....
जनरल रावत ने कहा कि अब रक्षा बजट के तहत रिव्यु प्रोक्योरमेंट उनके अंतर्गत आने वाला नया विभाग, डिपार्टमेंट ऑफ मिलिट्री अफेयर्स (डीएमए) देखेगा, जबकि कैपिटल बजट पहले कीअखिलेश यादव का योगी सरकार पर जोरदार हमला, बजट को लेकर कही ये बड़ी बात तरह ही रक्षा सचिव देखेंगे, लेकिन इस कैपिटल बजट से सेनाओं के आधुनिकीकरण के लिए किस सौदे या फिर प्रोजेक्ट को किसे प्राथमिकता देनी होगी, ये डीएमए की जिम्मेदारी होगी।
आईडीएस के चीफ को अब डिप्टी सीडीएस के तौर पर जाना जाएगा जो एक सीनियर थ्री स्टार जनरल हैं और उन्हें डीएमए में सेक्रेटरी (ट्रांसफॉर्मेशन एंड कॉर्डिनेशन) के नाम से भी जाना जाएगा। इसके अलावा डीएमए में एक और थ्री स्टार जनरल होंगे जो एडिशनल सेक्रेटरी के नाम से जाने जाएगें। इसके साथ ही पांच ज्वाइंट सेक्रेटरी होंगे। जिनमें से तीन सेनाओं से होंगे और दो आईएएस अधिकारी होंगे। इन ज्वाइंट सेक्रेटरी के अंतर्गत 12 डायरेक्टर होंगे जो रक्षा मंत्रालय के अधिकारी हैं।
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आईडीएस के चीफ को अब डिप्टी सीडीएस के तौर पर जाना जाएगा जो एक सीनियर थ्री स्टार जनरल हैं और उन्हें डीएमए में सेक्रेटरी (ट्रांसफॉर्मेशन एंड कॉर्डिनेशन) के नाम से भी जाना जाएगा। इसके अलावा डीएमए में एक और थ्री स्टार जनरल होंगे जो एडिशनल सेक्रेटरी के नाम से जाने जाएगें। इसके साथ ही पांच ज्वाइंट सेक्रेटरी होंगे। जिनमें से तीन सेनाओं से होंगे और दो आईएएस अधिकारी होंगे। इन ज्वाइंट सेक्रेटरी के अंतर्गत 12 डायरेक्टर होंगे जो रक्षा मंत्रालय के अधिकारी हैं।