Census 2025: जनगणना में संप्रदायों का भी जुटाया जाएगा आंकड़ा, लोकसभा क्षेत्रों का होगा नए सिरे से परिसीमन
Census 2025: जनगणना के बाद लोकसभा क्षेत्रों का परिसीमन नए सिरे से किए जाने की तैयारी है। इस काम को 2029 के आम चुनाव से पहले 2028 तक पूरा कर लिया जाएगा।
Census 2025: केंद्र सरकार की ओर से अगले साल की शुरुआत में जनगणना का काम शुरू कराए जाने की संभावना है। इस जनगणना के आंकड़े 2026 तक घोषित किए जाएंगे। आम तौर पर जनगणना में धर्म, वर्ग, जाति अनुसूचित जाति-जनजाति आदि के बारे में ब्योरा इकट्ठा किया जाता है मगर इस बार संप्रदायों के बारे में भी आंकड़े जुटाए जाने का प्रावधान किया जा सकता है।
वैसे अभी तक इस बारे में कोई फैसला नहीं लिया गया है कि जाति आधारित जनगणना भी की जाएगी या नहीं। जनगणना के बाद लोकसभा क्षेत्रों का परिसीमन नए सिरे से किए जाने की तैयारी है। इस काम को 2029 के आम चुनाव से पहले 2028 तक पूरा कर लिया जाएगा।
जनगणना की प्रक्रिया जल्द शुरू होने की संभावना
देश के महापंजीयक व जनगणना आयुक्त मृत्युंजय कुमार नारायण की केंद्रीय प्रतिनियुक्ति लगभग दो साल बढ़ाए जाने के बाद जनगणना की प्रक्रिया जल्द शुरू किए जाने की संभावना बढ़ गई है। नियुक्ति से संबंधित मंत्रिमंडलीय समिति ने उनकी प्रतिनियुक्ति को 4 अगस्त 2026 तक बढ़ा दिया है। माना जा रहा है कि 2025 में जनगणना कर्मियों की ट्रेनिंग के साथ बाद जनगणना की प्रक्रिया शुरू कर दी जाएगी।
उत्तर प्रदेश कैडर के 1995 बैच के आईएएस अफसर मृत्युंजय कुमार ने नवंबर 2022 में वर्तमान पदभार संभाला था। उनका कार्यकाल बढ़ाए जाने के बाद इस बात की अटकलें तेज हो गई हैं कि उनके नेतृत्व में ही आगामी जनगणना का काम शुरू किया जाएगा। अगले बजट में इसके लिए जरूरी धनराशि का आवंटन किए जाने की संभावना है।
संप्रदायों की होगी अलग गणना
जनगणना में आमतौर पर धर्म, वर्ग, एससी-एसटी आदि से जुड़े ब्योरे को इकट्ठा किया जाता है मगर इस बार संप्रदायों की गणना करने पर भी गंभीरता से विचार किया जा रहा है। देश में कई वर्ग और जातियां ऐसी हैं जो अब अपने को अलग संप्रदाय मानती हैं। यदि अनुसूचित जाति की बात की जाए तो इसमें वाल्मीकि और रविदासी अलग संप्रदाय हैं। सामान्य वर्ग में आने वाले लिंगायत भी खुद को अलग संप्रदाय मानते रहे हैं। ऐसे में माना जा रहा है कि इस बार संप्रदायों की भी गणना की जाएगी।
लोकसभा क्षेत्रों का होगा नया परिसीमन
आजाद भारत में 1951 में पहली बार जनगणना हुई थी और उसके बाद हर 10 साल पर इस प्रक्रिया को दोहराया जाता रहा है। इस क्रम को आगे बढ़ाते हुए 2021 में जनगणना होने वाली थी मगर कोरोना का व्यापक प्रकोप होने के कारण उस वर्ष जनगणना का काम नहीं हो सका था।
जनगणना के बाद लोकसभा क्षेत्रों का परिसीमन नए सिरे से करने की तैयारी है। देश में अगला आम चुनाव 2019 में होने वाला है और उससे पहले 2028 तक लोकसभा क्षेत्र के नए परिसीमन को अंतिम रूप दिया जा सकता है। जानकारों का कहना है कि जनगणना के बाद लोकसभा सीटों की संख्या बढ़ाकर महिलाओं को 33 फ़ीसदी आरक्षण का लाभ दिया जाएगा।
आजादी के बाद अगले साल होने वाली जनगणना पहली ऐसी जनगणना होगी जिसमें डिजिटल तरीके से आंकड़े इकट्ठा किए जाएंगे। डिजिटल तरीके से आंकड़े जुटाने के लिए अलग पोर्टल बनाया गया है।