Jammu Kashmir: 2021 में आतंकी हमलों में 42 जवान शहीद हुए, लोकसभा में सरकार का बयान

Jammu Kashmir: मंगलवार को एक प्रश्न के जवाब में केंद्र सरकार ने बताया कि 2021 यानी बीते साल जम्मू कश्मीर में 42 जवान वीरगति को प्राप्त हुए। इस दौरान 117 सैनिक घायल भी हुए।

Written By :  Krishna Chaudhary
Update: 2022-07-19 09:59 GMT

2021 में आतंकी हमलों में 42 जवान शहीद हुए। (Social Media)

Jammu Kashmir: संसद का अभी मॉनसून सत्र चल रहा है। मंगलवार को एक प्रश्न के जवाब में केंद्र सरकार (Central Government) ने बताया कि 2021 यानी बीते साल जम्मू कश्मीर में 42 जवान वीरगति को प्राप्त हुए। इस दौरान 117 सैनिक घायल भी हुए। हालांकि, ये आंकड़े 2020 के आंकड़े के मुकाबले राहत पहुंचाने वाले हैं।

इससे पहले इस साल संसद के शीत सत्र के दौरान केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय (Union Minister of State for Home Nityanand Rai) ने लोकसभा (Lok Sabha) में एक प्रश्न का लिखित उत्तर देते हुए कहा था कि साल 2020 में जम्मू कश्मीर में आतंकवादी हिंसा (terrorist violence in jammu kashmir) में 62 सुरक्षाकर्मियों को जान गंवानी पड़ी और 106 जवान घायल हो गए। अपने उत्तर में उन्होंने आगे बताया था कि पिछले दो सालों में जम्मू कश्मीर में सीमापार से घुसपैठ के 176 प्रयास हुए जिनमें 31 आतंकवादी मारे गए।

धारा 370 हटाने के बाद कम हुए हमले

पिछले पांच वर्षों में 177 नागरिकों और 406 सुरक्षा कर्मियों की तुलना में 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद से जम्मू-कश्मीर में 87 नागरिक और 99 सुरक्षाकर्मी मारे गए हैं। उन्होंने आगे कहा कि केंद्र सरकार की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति है और आतंकवादी हमलों में 2018 में 417 से 2019 में 255, 2020 में 244 और 2021 में 229 में पर्याप्त गिरावट आई है। जम्मू-कश्मीर में मई 2014 से 4 अगस्त, 2019 तक 177 नागरिक और 406 सुरक्षाकर्मी मारे गए, जबकि 5 अगस्त, 2019 से नवंबर 2021 तक 87 नागरिक और 99 सुरक्षाकर्मी मारे गए।

बता दें कि मोदी सरकार (Modi Government) जम्मू कश्मीर में हुई टारगेटेड किलिंग्स (Target Killing IN Jammu Kashmir) को लेकर विपक्ष के निशाने पर है। घाटी में अल्पसंख्यक हिंदुओं को जिस प्रकार से चुन चुन कर निशाना बनाया जाने लगा, उसने 1990 के उस त्रासदी भरे दौर की यादें ताजा कर दीं, जब बड़ी संख्या में वहां से कश्मीरी पंडितों का पलायन हुआ था। इससे मोदी सरकार की कश्मीर पॉलिसी पर सवाल उठने लगे थे।

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