Challenge To Places of Worship Act: सुप्रीम कोर्ट में कुछ ही देर में शुरू होगी सुनवाई, जानिये क्या है मामला
Challenge To Places of Worship Act: मुख्य याचिका अश्विनी कुमार उपाध्याय बनाम भारत संघ मामले में 2020 में दायर की गई थी, जिसमें कोर्ट ने मार्च 2021 में केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था।
Challenge To Places of Worship Act: उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना, न्यायमूर्ति संजय कुमार और न्यायमूर्ति केवी विश्वनाथन की एक विशेष पीठ आज दोपहर 3.30 बजे पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करेगी। यह अधिनियम पूजा स्थलों के धार्मिक चरित्र को उस स्थिति में बदलने पर रोक लगाता है जो वे 15 अगस्त, 1947 को थे।
इस संबंध में मुख्य याचिका अश्विनी कुमार उपाध्याय बनाम भारत संघ मामले में 2020 में दायर की गई थी, जिसमें कोर्ट ने मार्च 2021 में केंद्र सरकार को नोटिस जारी किया था। बाद में, क़ानून को चुनौती देते हुए इसी तरह की कुछ अन्य याचिकाएँ दायर की गईं।
केंद्र सरकार ने अपना जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया
न्यायालय द्वारा कई बार मोहलत दिए जाने के बावजूद केंद्र सरकार ने अभी तक इस मामले में अपना जवाबी हलफनामा दाखिल नहीं किया है। उत्तर प्रदेश हाल के दिनों में संभल जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के बाद हुई हिंसक घटनाओं, जौनपुर अटाला मस्जिद, बदायूं मस्जिद को लेकर उठे विवाद के मद्देनजर यह अधिनियम हाल ही में सार्वजनिक चर्चा का केंद्र बिंदु बन गया है।
वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद और मथुरा में शाही ईदगाह मस्जिद का प्रबंधन करने वाली कमेटियों ने भी इस अधिनियम का समर्थन करते हुए शीर्ष अदालत से हस्तक्षेप करने की मांग की है।
राजनीतिक दलों में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, एनसीपी (शरद पवार) विधायक जितेंद्र अवहाद, राजद सांसद मनोज कुमार झा, सांसद थोल थिरुमावलन ने भी इस पूजा स्थल अधिनियम का समर्थन करते हुए विवाद के बढ़ते मामलों के मद्देनजर हस्तक्षेप करने की मांग की है। उनका तर्क है कि यह अधिनियम सांप्रदायिक सद्भाव और राष्ट्र के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। उनका कहना है कि कानून को सख्ती से लागू करने से इस तरह की बढ़ती घटनाओं को रोका जा सकेगा।