सफल हुआ मिशनः जानिए अब चंद्रयान-3 कैसे करेगा काम, भारत और आम लोगों को क्या-क्या होगा फायदा?
सफल हुआ मिशनः चांद पर उतरने के बाद अब चंद्रयान-3 क्या करेगा? केवल भारत को गौरव और सम्मान मिलेगा या फिर इस 615 करोड़ वाले मिशन से आम इंसानों को कोई फायदा भी होगा। यहां ये जानना जरूरी है कि चंद्रयान-3 मिशन से देश, इसरो और आम लोगों को किस तरह का फायदा अभी और भविष्य में होगा?
सफल हुआ मिशनः चंद्रयान-3 की चांद पर सफल लैंडिंग हो गई है। इससे भारत का दुनिया में मान बढ़ गया है तो वहीं दूसरी ओर इसरो का सम्मान भी बढ़ गया है। देश का हर नागरिक गर्व महसूस कर रहा है। लेकिन अब सबसे अहम सवाल यह है कि इससे क्या-क्या फायदा होगा। ये तो केवल फीलिंग वाली बात हो गई। इस सफलता से देश, इसरो और आम लोगों को क्या फायदा होगा और उन लोगों को इससे क्या लाभ होगा जो रोजमर्रा मेहनत करते हैं। दो जून की रोटी के लिए दिनभर अपना खून-पसीना एक कर देते हैं। 14 जुलाई 2023 को देश के सबसे भारी रॉकेट एलवीएम-3 से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया गया। करीब 42 दिन की यात्रा करके उसकी चांद पर आज सफलतापूर्वक लैंडिंग हो गई। अब चंद्रयान-3 चांद पर लैंड कर गया है।
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आइए जानते हैं कि अब क्या काम करेगा वो?-
विक्रम लैंडर पर चार पेलोड्स क्या काम करेंगे?
1. रंभा-यह चांद की सतह पर सूरज से आने वाले प्लाज्मा कणों के घनत्व, मात्रा और बदलाव की जांच करेगा।
2. चास्टे-यह चांद की सतह की गर्मी यानी तापमान की जांच करेगा।
3. इल्सा- यह लैंडिंग साइट के आसपास भूकंपीय गतिविधियों की जांच करेगा।
4. लेजर रेट्रोरिफ्लेक्टर एरे- यह चांद के डायनेमिक्स को समझने का प्रयास करेगा।
प्रज्ञान रोवर पर दो पेलोड्स, वो क्या करेंगे?-
लेजर इंड्यूस्ड ब्रेकडाउन स्पेक्ट्रोस्कोप-
यह चांद की सतह पर मौजूद केमिकल्स यानी रसायनों की मात्रा और गुणवत्ता का अध्ययन करेगा। साथ ही खनिजों की खोज करेगा।
अल्फा पार्टिकल एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर-
यह एलिमेंट कंपोजिशन की स्टडी करेगा। जैसे- मैग्नीशियम, अल्यूमिनियम, सिलिकन, पोटैशियम, कैल्सियम, टिन और लोहा। इनकी खोज लैंडिंग साइट के आसपास चांद की सतह पर की जाएगी।
वैज्ञानिकों के लिए क्या है फायदा...
कुल मिलाकर देखा जाए तो विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर मिलकर चांद के वायुमंडल, सतह, रसायन, भूकंप, खनिज आदि की जांच करेंगे। इससे इसरो समेत दुनियाभर के वैज्ञानिकों को भविष्य की स्टडी के लिए जानकारी मिलेगी और रिसर्च करने में काफी आसानी होगी। अब ये तो हो गई वैज्ञानिकों के लिए फायदे की बात।
अब देश को क्या फायदा...
दुनिया में अब तक चांद पर केवल तीन देश ही सफलतापूर्वक उतर पाए हैं। अमेरिका, रूस (तब सोवियत संघ) और चीन। अब भारत के चंद्रयान-3 को सॉफ्ट लैंडिंग में सफलता मिल गई है, तो भारत ऐसा करने वाला दुनिया का चैथा देश बन गया है। तो वहीं दक्षिणी ध्रुव के इलाके में लैंडिंग कराने वाला भारत दुनिया का पहला देश बन जाएगा।
अब इसरो को क्या होगा फायदा...
इसके सफल लैंडिंग से इसरो का सिर गर्व से उठ गया है। इसरो दुनिया में अपने किफायती कॉमर्शियल लॉन्चिंग के लिए जाना जाता है। अब तक 34 देशों के 424 विदेशी सैटेलाइट्स को छोड़ चुका है। 104 सैटेलाइट एकसाथ छोड़ चुका है। वह भी एक ही रॉकेट से। चंद्रयान-1 ने चांद पर पानी खोजा। चंद्रयान-2 का ऑर्बिटर आज भी काम कर रहा है। उसी ने चंद्रयान-3 के लिए लैंडिंग साइट खोजी। मंगलयान का परचम तो पूरी दुनिया देख चुकी है। चंद्रयान-3 की सफलता इसरो का नाम दुनिया की सबसे बड़ी स्पेस एजेसियों में शामिल कर दिया है।
आम आदमी को ये होगा फायदा...
चंद्रयान और मंगलयान जैसे स्पेसक्राफ्ट्स में लगे पेलोड्स यानी यंत्रों का इस्तेमाल बाद में मौसम और संचार संबंधी सैटेलाइट्स में होता है। रक्षा संबंधी सैटेलाइट्स में होता है। नक्शा बनाने वाले सैटेलाइट्स में होता है। इन यंत्रों से देश में मौजूद लोगों की भलाई का काम होता है। संचार व्यवस्थाएं विकसित करने में मदद मिलती है। निगरानी आसान हो जाती है।