Chhath Puja 2023: छठव्रतियों ने डूबते हुए सूर्य को दिया अर्घ्य, दिल्ली से पटना तक ऐसा दिखा नजारा, CM योगी और नीतीश ने दिया अर्घ्य

Chhath Puja 2023: बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाई जाती है। छठ व्रतियां घाटों और तालाब किनारे डुबते सूरज को अर्घ्य देती नजर आईं।

Update: 2023-11-19 13:21 GMT

Chhath Puja 2023 (Photo: Newstrack/Social Media)

Chhath Puja 2023: देश-दुनिया में आस्था का महापर्व बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जा रहा है। आज यानी रविवार को डूबते हुए सूर्य को अर्घ्य देने के साथ छठ महापर्व का तीसरा दिन संपन्न हुआ। कल यानी सोमवार 20 नवंबर को उगते हुए सूरज को अर्घ्य देने के साथ इस महापर्व का समापन होगा। इसी के साथ व्रतियों का 36 घंटों का निर्जला उपवास भी खत्म होगा।

वैसे तो छठ मुख्य रूप से बिहार, झारखंड और पूर्वी उत्तर प्रदेश में मनाई जाती है। लेकिन वैश्वीकरण के इस दौर में जब इस हिस्से के लोग रोजी-रोजगार को लेकर देश के अन्य हिस्सों में ही नहीं बल्कि दुनियाभर में अलग-अलग जगहों पर जाकर बसे तो अपने साथ इस त्योहार को ले गए। यही वजह है कि आज दिल्ली से लेकर पटना तक और विदेशों में भी छठ व्रतियां घाटों और तालाब किनारे डुबते सूरज को अर्घ्य देती नजर आईं।

बिहार में कैसा रहा छठ ?

छठ महापर्व के मौके पर समूचे बिहार में उत्सव का माहौल रहता है। इस बार का भी नजारा कुछ ऐसा ही था। राजधानी पटना में गंगा किनारे बने अलग-अलग घाटों पर हजारों की संख्या में छठव्रतियों ने डुबते सूरज को अर्घ्य दिया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया।



सीएम योगी और डिप्टी सीएम पाठक ने दिया अर्घ्य

राजधानी लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने भगवान सूर्य को अर्घ्य दिया। सीएम योगी ने इसके बाद अखिल भारतीय भोजपुरी समाज द्वारा आयोजित कार्यक्रम में हिस्सा लिया और सबको आस्था के महापर्व की शुभकामनाएं दीं। इस मौके पर उन्होंने कहा, हमारा देश आस्था का देश है और यह आस्था हमारे देश को एकता के सूत्र में बांधती है।


झारखंड सीएम ने भी दिया अर्घ्य

झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी छठ पूजा करते नजर आए। उन्होंने रांची स्थित हटनिया तालाब में डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया। इस दौरान उनकी पत्नी और बच्चे भी मौजूद थे। छठ को लेकर राज्य भर में लोगों में भारी उत्साह नजर आया।

दिल्ली में प्रवासियों ने मनाया छठ

राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में बड़ी संख्या में यूपी, बिहार और झारखंड से आए लोग रहते हैं। दिल्ली सरकार की ओर से छठ पर्व को लेकर घाटों पर विशेष इंतजाम किए गए हैं। यमुना किनारे लाखों की संख्या में छठव्रतियों ने डुबते सूरज को अर्घ्य दिया। दिल्ली सरकार में परिवहन मंत्री गोपाल राय स्वयं पूर्वी बाबरपुर में छठ पूजा देखने पहुंचे।


पश्चिम बंगाल और असम में भी मना छठ

पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में लाल मोहन मल्लिक निरंजन घाट पर लोगों ने संध्या अर्घ्य दिया। राजधानी कोलकाता स्थित नेताजी स्पोर्टिंग क्लब में भी हर साल की तरह इस बार छठ पर्व मनाया गया। मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद वहां पहुंची। उन्होंने कहा, छठ पूजा के लिए हमने 2 दिन की छुट्टी दी है, दिल्ली भले छट पूजा के लिए कोई छुट्टी नहीं देती लेकिन हम हर पूजा में छुट्टी देते हैं। इसके अलावा असम के सबसे बड़े शहर गुवाहटी में भी छठ पर्व को लेकर चहल-पहल दिखी। यहां ब्रह्मपुत्र नदी में लोगों ने संध्या अर्घ्य दिया। 


कुशीनगर: उमड़े श्रद्धालु, छठ व्रतियों ने डूबते हुए सूर्य को दिया अर्घ्य

जनपद में छठ महापर्व की धूम है। छठ पर्व पर शाम होते ही नदियाें, पोखरों और तालाबों के छठ घाटों पर महिला श्रद्धालुओं का रेला उमड़ पड़ा। व्रती महिलाएं पानी में खड़ा होकर डूबते भगवान भास्कर को प्रथम अर्घ्य दिया। पडरौना छठ घाट, हाटा पोखरे, खड्डा पोखरे, तमकुहीराज, छितौनी घाट, रामकोला, छोटी गंडक नदी के विभिन्न घाटों, नारायणी नदी के घाटों सहित गांव क्षेत्र के सभी घाटों पर काफी भीड़ रही। नगरों के घाटों को खूब सजाया गया है और सभासद अपने अपने स्वागत का बैनर लगाये है। घाटों पर मेले जैसा दृश्य था। छठ घाटों को दुल्हन के तरह सजाया गया है। बहुत से श्रद्धालु गाजे बाजे के साथ छठ घाट पर पहुंचे।

रात भर शहर और देहात में छठ मईया के गीत गूंजते रहे। छठ व्रत रखने वाली महिलाएं सोमवार सुबह से ही तैयारी में लग गईं। विविध प्रकार के पकवान बनाए गए। इसे एक बड़े पात्र में रखा गया। सुबह से ही निर्जल रहकर स्नानादि और श्रृंगार कर महिलाएं परिवार के लोगों के साथ छठ घाटों पर पहुंची। दीप प्रज्वलित कर छठ मईया की पूजा की गई। इसके बाद एक दीप गंगा मईया और एक दीप भगवान भास्कर को अर्पित किया गया। यह सब करने के बाद महिलाएं नदी, तालाब और पोखरों में कमर भर पानी में जाकर खड़ी हो गईं।



चंदौली: डूबते सूर्य को दिया गया अ‌र्घ्य,कल उगते सूर्य की होगी पूजा

हाथो में जल, सूर्य पर नजरें,भक्ति का प्रभाव!नजारा रविवार की शाम नगर सहित जिले के सभी छठ घाट पर था। जहां सैकड़ों छठ व्रती अस्ताचलगामी सूर्य देव को अर्घ्य देकर देश,समाज और परिवार के सुख शांति व समृद्धि तथा पुत्र प्राप्ति की मंगलकामना कर रहे थे।सभी व्रती भगवान सूर्य को अर्घ्य देकर पुनः छठ गीत गाते,सर पर टोकरी लेकर वापस घर की तरफ चले।कल यानी सोमवार की सुबह उदयाचल सूर्य को अ‌र्घ्य देकर छठी व्रती 36घंटे के कठिन निर्जला व्रत का पारण करेंगे।रविवार को छठ व्रतियों ने हर्षोल्लास के साथ डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया।इससे पूर्व सुबह स्नान ध्यान के बाद छठ व्रती महिलाएं छठ पूजा की तैयारी में जुट गई।छठ गीत गुनगुनाते हुए मिट्टी के चूल्हे में आम की लकड़ी जलाकर गेहूं, गुड़ व खजूर से ठेकुआ एवं चावल के आटे गुड़ व नारियल की गरी से कचौनी तैयार की गई।भोग सामग्री तैयार होने के बाद पूजा सामग्री से बांस की टोकरी सजाई गई और दोपहर बाद साज श्रृंगार के साथ मुख्य आयोजन स्थल छठ घाट पहुंची।बैंड बाजे के साथ आगे परिवार के पुरुष सदस्य सिर पर पूजा की टोकरी लेकर छठ मैया का जयकारा लगाते हुए चल रहे थे।तो उसके पीछे-पीछे छठ व्रती महिलाएं छठ मैया के गीत केलवा जे फरेला घवद से,ओह पर सुगा मेड़राय, उ जे खबरी जनइबो अदिक से सुगा देले जुठियाए....,कांच ही बांस के बहंगिया, बंहगी लचकति जाए....बात जे पुछेले बटोहिया बहंगी केकरा के जाय? ... गीत गाते हुए चल रही थी।हर छठ घाट पर आस्था का सैलाब नज़र आया।



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