Chhatrapati Shivaji Maharaj: जानिए शिवाजी महाराज की शौर्य गाथा, जो इतिहास के पन्नों में है दर्ज
Chhatrapati Shivaji Maharaj: छत्रपति शिवाजी भारत के वीर सपूतों में से एक हैं, जिनकी शौर्यगाथा इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। शिवाजी महाराज एक देशभक्त के साथ ही एक कुशल प्रशासन और साहसी योद्धा थे। उन्होंने मुगलों को परास्त किया था।
Chhatrapati Shivaji Maharaj: आज छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती है और आज का दिन देश भर में, खासकर महाराष्ट्र में पूरे धूमधाम से मनाया जाता है। शिवाजी महाराज का जन्म साल 1630 की 19 फरवरी को हुआ था। इस साल उनका 394वीं जयंती है।
शिवाजी का जन्म पुणे के शिवनेरी किले में एक मराठा परिवार में हुआ था। उनकी माता का नाम जीजाबाई और पिता का नाम शिवाजी भोंषले था. लोक कथाओं के अनुसार शिवाजी महाराज के जन्म से पहले उनकी माता ने भगवान शिव से बेटे की प्रार्थना की थी इसलिए उनके नाम पर ही शिवाजी नाम रख दिया।
शिवाजी भारत के वीर सपूतों में से एक हैं, जिनकी शौर्यगाथा इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। शिवाजी महाराज एक देशभक्त के साथ ही एक कुशल प्रशासन और साहसी योद्धा थे। उन्होंने मुगलों को परास्त किया था। राष्ट्र को मुगलों के चंगुल से आजाद कराने के लिए उन्होंने मराठा साम्राज्य की नींव रखी।
शिवाजी का पहला युद्ध
छत्रपति शिवाजी महाराज ने मुगलों के खिलाफ पहला आक्रमण तब किया जब वे केवल 15 वर्ष के थे। यह आक्रमण हिंदू साम्राज्य स्थापित करने के लिए था। इसे गोरिल्ला युद्ध की नीति कहा गया। शिवाजी ने युद्ध की इस नई शैली को विकसित किया। गोरिल्ला युद्ध का सिद्धांत होता है- मारो और भाग जाओ।
आदिलशाह ने एक षड्यंत्र के तहत उन्हें गिरफ्तार करने की योजना बनाई। इसमें शिवाजी तो बच गए, लेकिन उनके पिता शाहाजी भोसले को आदिलशाह ने बंदी बना लिया। शिवाजी ने हमला करके पहले अपने पिता को मुक्त कराया। फिर पुरंदर और जावेली के किलों पर भी अपना अधिकार कर लिया।
मराठा साम्राज्य की रखी नींव
छत्रपति शिवाजी महाराज ने 1674 में पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींख रखी। इस समय शिवाजी को औपचारिक रूप से मराठा साम्राज्य के सम्राट का ताज पहनाया गया। छत्रपति शिवाजी को मराठा गौराव कहा गया. गंभीर बीमारी के कारण 3 अप्रैल 1680 को शिवाजी की मृत्यु हो गई। लेकिन उनके योगदान हमेशा याद किए जाते रहेंगे। शिवाजी के बाद इनके पुत्र संभाजी ने राज्य की कमान संभाली।
छत्रपति की उपाधि
शिवाजी को कई उपाधियां मिली थीं। 6 जून, 1674 को रायगढ़ में उन्हें किंग ऑफ मराठा से नवाजा गया। इसके अलावा छत्रपति, क्षत्रियकुलवंतस, हिन्दवा धर्मोद्धारक जैसी उपाधियां उनकी वीरता के कारण दी गईं।
- उन्होंने मुगलों के खिलाफ कई जंग लड़ी और जीतीं।
- उनकी गुरिल्ला युद्ध कला दुश्मनों पर भारी पड़ती थी।
- उनकी नीतियों, सैन्य योजनाओं और युद्ध प्रतिभा की वजह से सब उनका लोहा मानते थे।
- उनकी शक्तिशाली सेना की वजह से वे महाराष्ट्र के स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख नेता बने।
- औरंगजेब ने शिवाजी को धोखे से कैद कर लिया था। लेकिन अपनी अक्लमंदी और चतुराई से वे कैद से छूट गए और फिर औरंगजेब की सेना के खिलाफ युद्ध किया। पुरंदर संधि के तहत दिए हुए 24 किलों को वापस जीत लिया।
सीएम योगी ने छत्रपति शिवाजी महाराज को जयंती पर दी श्रद्धांजलि
सीएम योगी आदित्यनाथ ने छत्रपति शिवाजी महाराज को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होने सोशल मीडिया प्लेटफार्म एक्स पर लिखा कि मातृभूमि के अनन्य साधक, अद्वितीय योद्धा, महान रणनीतिकार व प्रशासक, 'हिंदवी स्वराज' के संस्थापक, छत्रपति शिवाजी महाराज की जयंती पर उन्हें विनम्र श्रद्धांजलि! उनकी शौर्य-गाथा हम सभी को सदैव राष्ट्र सेवा के लिए प्रेरित करती रहेगी।