चिल्ड्रंस डे खतरे में बच्चे, हर घंटे मौत या हो रही तस्करी, लड़कियां शिकार ज्यादा

राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (एनएफएचएस) के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो सरकारी स्तर पर सुधार की रफ्तार इतनी धीमी है कि भारत को बच्चों की स्टंटेड ग्रोथ (उम्र के हिसाब से कद में कमी) की समस्या को खत्म करने में अभी कम से कम 40 साल लगेंगे।

Update:2020-11-14 10:48 IST
चिल्ड्रंस डे खतरे में बच्चे, हर घंटे मौत या हो रही तस्करी, लड़कियां शिकार ज्यादा (PC: Social media)

रामकृष्ण वाजपेयी

नई दिल्ली: आज चिल्ड्रंस डे है। बच्चों के नाम पर संभव है कुछ नई घोषणाएं हों लेकिन अफसोस की बात ये हैं कि मासूमों की जान खतरे में है। हर घंटे दस बच्चे गायब हो रहे हैं। हर चार मिनट में एक बच्चे की मौत हो रही है। बच्चे हर दिन, हर साल बेचे जा रहे हैं। मरने वाले बच्चों की कोई गिनती नहीं हो रही। यौन शोषण की शिकार सबसे अधिक नाबालिग और आदिवासी बच्चियां हो रही हैं। इस मसले पर सरकार योजनाएं तो बनाती है, पर सिस्टम की हीला-हवाली के चक्कर में न जानें कितने और बच्चे मानव तस्करी के शिकार होते जा रहे हैं। ये सिलसिला थमना चाहिए, इस पर लगाम लगनी ही चाहिए।

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राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे (एनएफएचएस) के आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो सरकारी स्तर पर सुधार की रफ्तार इतनी धीमी है कि भारत को बच्चों की स्टंटेड ग्रोथ (उम्र के हिसाब से कद में कमी) की समस्या को खत्म करने में अभी कम से कम 40 साल लगेंगे। मोटे तौर पर जब तक कुपोषण और गरीबी से मुक्ति नहीं मिलेगी बच्चों का शोषित और शापित जीवन जारी रहेगा।

भारत की अर्थव्यवस्था का आकार 1991 से अब तक दोगुना हो गया है

भारत की अर्थव्यवस्था का आकार 1991 से अब तक दोगुना हो गया है। पिछले 45 सालों से देश में आंगनबाड़ी कार्यक्रम भी चल रहा है लेकिन भुखमरी और कुपोषण के आंकड़ों में विरोधाभास दिखता है। दुनिया में भुखमरी के शिकार लोगों की संख्या करीब एक अरब है जिनमें 50 करोड़ से अधिक एशिया में हैं। भारत में 20 करोड़ लोगों को पर्याप्त पोषण नहीं मिल रहा और 5 साल से कम उम्र के करीब तीन करोड़ बच्चों का वजन सामान्य से कम है।

माता पिता के प्रलोभनों का शिकार हो कर कुचक्र में फंसना आसान हो जाता है

ऐसे में इन बच्चों और इनके माता पिता के प्रलोभनों का शिकार हो कर कुचक्र में फंसना आसान हो जाता है। रही सही कमी सड़ा गला प्रशासनिक सिस्टम पूरी कर देता है। एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक देशभर में 2016-18 तक कुल 1,93,890 बच्चे गायब हुए हैं। वहीं स्टेट ऑफ वर्ल्ड पॉपुलेशन रिपोर्ट 2020 के मुताबिक भारत में अब तक 4.6 करोड़ लड़कियां लापता हैं। जबकि दुनियाभर में 14.2 करोड़ लड़कियों का पता नहीं। पिछले 45 सालों से देश में आंगनबाड़ी कार्यक्रम भी चल रहा है लेकिन भुखमरी और कुपोषण के आंकड़ों में विरोधाभास दिखता है।

Children's Day (PC: Social media)

कोर्ट ने कहा था 'दो लाख बच्चे गायब, ये क्या हो रहा है?

हालात ये हैं कि चाइल्ड केयर सेंटर के बच्चों की संख्या में राज्यों और केंद्र के डेटा में अंतर पर सुप्रीम कोर्ट ने भी पिछले दिनों नाराजगी जताई थी। कोर्ट ने कहा था 'दो लाख बच्चे गायब, ये क्या हो रहा है?' सवाल दो लाख बच्चे का है। क्या आप (सरकार) स्थिति से अवगत हैं। ये क्या हो रहा है। कृपया हमें बताएं। हमें ये दुखद लग रहा है कि बच्चों को नंबर की तरह गिना जा रहा है। बच्चों का जीवन है, दिल है, आत्मा हैं, ये कैसे चलेगा।........ लेकिन अफसोस किसी के कान पर जूं नहीं रेंगी।

सुझाव दिया था

SC ने सुझाव दिया था कि केंद्र और राज्य सरकार के लेवल पर कमेटी का गठन किया जाए ताकि शेल्टर होम में रहने वाले बच्चों को यौन उत्पीड़न से बचाया जा सके और उन पर नजर रखी जा सके। एक मामले में जो डेटा केंद्र सरकार ने उपलब्ध करवाया और जो चाइल्ड केयर ने सर्वे कराया उसमें दो लाख बच्चों का अंतर सामने आया इससे लगता है शेल्टर होम से दो लाख बच्चे गायब हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने डेटा देखने के बाद गहरी नाराजगी जताई

सुप्रीम कोर्ट ने डेटा देखने के बाद गहरी नाराजगी जताई और टिप्पणी की कि सवाल दो लाख बच्चे का है। क्या आप (सरकार) स्थिति से अवगत हैं। ये क्या हो रहा है। कृपया हमें बताएं। हमें ये दुखद लग रहा है कि बच्चों को नंबर की तरह गिना जा रहा है। बच्चों का जीवन है, दिल है, आत्मा हैं, ये कैसे चलेगा। लेकिन इस मामले पर बाद में पूरी तरह पर्दा डाल दिया गया।

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ग्लोबल हंगर इंडेक्स 2020 की रिपोर्ट जारी हो गई है. ग्लोबल हंगर इंडेक्स में भारत की रैंकिंग सुधरी है, लेकिन अब भी भारत कई पड़ोसी देशों से पीछे चल रहा है. इन देशों में नेपाल, श्रीलंका, म्यामांर, पाकिस्तान, बांग्लादेश, इंडोनेशिया जैसे देश शामिल हैं. भारत 107 देशों की लिस्ट में 94 पायदान पर आया है. सिर्फ 13 देश ही ऐसे हैं जिनसे भारत आगे हैं. ये देश हैं- रवांडा, नाइजीरिया, अफगानिस्तान, लीबिया, मोजाम्बिक और चाड. ग्लोबल हंगर इंडेक्स की रिपोर्ट के अनुसार, 27.2 स्कोर के साथ भारत में भूख के मामले में स्थिति 'गंभीर' है. रिपोर्ट की मानें, तो भारत की करीब 14% जनसंख्या कुपोषण का शिकार है।

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