G20 Summit 2023: जी20 में भारत को मिली कामयाबी पर भड़का चीन, अपना एजेंडा थोपने का आरोप, ड्रैगन को सताने लगी छवि की चिंता
G20 Summit 2023: भारत की इस कामयाबी से भड़के चीन इंस्टिट्यूट ऑफ़ कंटेंपरेरी इंटरनेशनल रिलेशंस का कहना है कि एक वैश्विक प्लेटफॉर्म पर भारत अपना निजी फायदा तलाशने की कोशिश में जुटा हुआ है।
G20 Summit 2023: जी 20 शिखर सम्मेलन के जरिए भारत ने जिस तरह अंतरराष्ट्रीय जगत में अपनी धमक दिखाई है, उसे लेकर चीन चिढ़ा हुआ है। सम्मेलन की शुरुआत से पहले ही चीन का रवैया साफ हो गया था। जी-20 शिखर सम्मेलन से पूर्व दक्षिण अफ्रीका में आयोजित ब्रिक्स की बैठक में चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग हिस्सा लेने के लिए पहुंचे थे मगर वे जी-20 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए दिल्ली नहीं आए। अब भारत ने जी-20 सम्मेलन के दौरान घोषणा पत्र पर सभी सदस्य देशों की सहमति बनाने में कामयाबी हासिल की है।
इससे अंतरराष्ट्रीय जगत में भारत की धमक बढ़ी है। इसके साथ ही भारत ने अफ्रीकी संघ को भी जी-20 में शामिल कराने में कामयाबी हासिल की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले साल बाली सम्मेलन के दौरान अफ्रीकी संघ से इस बात का वादा किया था और दिल्ली सम्मेलन में वे अपने इस वादे को पूरा करने में कामयाब रहे हैं। इन सब बातों को लेकर चीन की त्योरियां चढ़ गई हैं और चीनी थिंक टैंक का मानना है कि भारत अपना एजेंडा थोपने और चीन को नुकसान पहुंचाने की कोशिश में जुटा हुआ है।
शिखर सम्मेलन में भारत को मिली बड़ी कामयाबी
दिल्ली में आयोजित जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान भारत ने इतिहास रचते हुए आम सहमति से नई दिल्ली घोषणा पत्र को मंजूर कराने में कामयाबी हासिल की है इस घोषणा पत्र में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चर्चित उध्दरण को भी जगह दी गई है जिसमें उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन से कहा था कि यह युद्ध का युग नहीं है।
घोषणा पत्र में चार बार यूक्रेन की चर्चा की गई है मगर रूस का नाम लेने से परहेज किया गया है। उल्लेखनीय बात यह है कि घोषणा पत्र में यूक्रेन युद्ध की चर्चा होने के बावजूद रूस और चीन ने भी इसे मंजूरी दी है।
चीनी थिंक टैंक ने लगाया भारत पर आरोप
भारत की इस कामयाबी से भड़के चीन इंस्टिट्यूट ऑफ़ कंटेंपरेरी इंटरनेशनल रिलेशंस का कहना है कि एक वैश्विक प्लेटफॉर्म पर भारत अपना निजी फायदा तलाशने की कोशिश में जुटा हुआ है। चीनी थिंक टैंक का कहना है कि जी-20 को लेकर भारत अपनी जिम्मेदारी को निभाने में कामयाब नहीं हो सका है। भारत की ओर से उठाए गए कदमों से आने वाले समय में हालात और खराब होंगे।
चीनी थिंक टैंक का कहना है कि भारत ने रणनीतिक और वैचारिक स्तर पर गड़बड़ी की है। इसके अलावा विवादित इलाके में भी जी-20 की बैठक आयोजित करके लाइमलाइट लेने का प्रयास भी किया है। उल्लेखनीय के श्रीनगर में जी-20 की बैठक आयोजित करने पर चीन पहले भी आपत्ति जता चुका है।
चीन की छवि खराब करने की साजिश
चीनी थिंक टैंक का कहना है कि भारत अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीन की छवि खराब करने में जुटा हुआ है। उसकी कोशिश है कि चीन की छवि दूसरे देशों को कर्ज के जाल में फंसाने वाले देश की बन जाए। बयान में यह भी कहा गया है कि भारत अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों के साथ नजदीकी बढ़ाकर आने वाले दिनों में पूरी दुनिया को मुसीबत में डालने की कोशिश में लगा हुआ है।
जानकारों का मानना है कि जी-20 शिखर सम्मेलन के दौरान मिली बड़ी कूटनीतिक कामयाबी चीन को नहीं पच पा रही है और यही कारण है कि चीन की ओर से जी-20 को लेकर भारत को घेरने का प्रयास किया गया है।
घोषणा पत्र को चीन और रूस की भी मंजूरी
दिल्ली में आयोजित शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग नहीं पहुंचे और इसे लेकर भारत की ओर से सवाल उठाए गए थे। जी-20 शिखर सम्मेलन में चीन का प्रतिनिधित्व प्रधानमंत्री ली कियांग ने किया। मजे की बात यह है कि नई दिल्ली घोषणा पत्र को चीन और रूस ने भी मंजूरी दी है और इसी के बाद इस घोषणा पत्र को सर्वसम्मति से पारित किया गया है।। इसे प्रधानमंत्री मोदी और भारत की बड़ी कामयाबी माना जा रहा है।
भारत और चीन के बीच लंबे समय से सीमा विवाद रहा है और गलवान में हुई घटना के बाद दोनों देशों के बीच टकराव चरम पर पहुंच गया था। पिछले दिनों चीन की ओर से जारी विवादित नक्शे में अरुणाचल प्रदेश को अपने हिस्से में दिखाया गया था जिस पर भारत ने तीखी आपत्ति जताई थी। भारत और चीन के बीच लंबे समय से तनातनी का रिश्ता रहा है और इसी कारण जी-20 के जरिए भारत को मिली कामयाबी चीन को नहीं पच रही है।