युद्ध को तैयार चीनः कैसे रोकेगा भारत, एलएसी से 40 किमी दूर है भारी जमावड़ा

यह भी कहा गया है कि क्षेत्र में दिखाई देने वाली नई चौड़ी सड़कों का इस्तेमाल चीनी सैनिकों की अतिरिक्त तैनाती के लिए किया जा सकता है।

Update:2020-06-20 17:35 IST

भारत चीन सीमा पर लद्दाख के समीप जहां भारत और चीन के बीच झड़प हुई वहां और दूसरे मोर्चों पर वास्तविक नियंत्रण रेखा का मीडिया रिपोर्ट्स में जो सेटेलाइट डेटा आया है और वह जो हालात बयां कर रहा है वह बहुत ही खतरनाक है। और कम से कम भारत के लिए युद्ध की तैयारी का समय है। सेटेलाइट दृश्य चीन की ओर से सड़कें, पुल, भारी मशीनरी उसकी जबर्दस्त तैयारी को बयां कर रहे हैं।

सैटेलाइट इमेज विशेषज्ञों के अनुसार, चीनी सैनिकों की ये भारी तैनाती वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से लगभग 40 किमी दूर बतायी जा रही है, जहां 15 जून को हिंसक मुठभेड़ हुई थी।

चीनी सेना का भारी जमावड़ा

गलवान घाटी, जहां चीनी सेना के साथ हिंसक झड़प में भारत ने 20 बहादुर जवानों को खो दिया, वहां पर चीनी सैनिकों की ओर से न केवल सैनिकों, बल्कि भारी मशीनरी, शिविरों और वाहनों का कुछ विशाल निर्माण सेटेलाइट इमेज से देखा गया है।

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एक मीडिया ग्रुप द्वारा एक्सेस किए गए सैटेलाइट डेटा बताते हैं कि कैसे चीनी सेना आक्रामक तरीके से लद्दाख की गैलवान घाटी में गई है।

ऐसी रिपोर्टें भी आई हैं कि सेटेलाइट से प्राप्त डेटा का विश्लेषण जाने-माने उपग्रह इमेजरी विशेषज्ञ कर्नल (रिटायर्ड) विनायक भट ने किया, जिन्होंने चीन के कब्जे वाले इलाके में सड़क, पुल, पानी की चैनलाइजिंग मशीनरी, एयर डिफेंस कमांड और कई प्री-फैब्रिकेटेड झोपड़ियों के निर्माण की ओर इशारा किया है।

चीनी जमावड़ा एलएसी से 40 किमी दूर

उपग्रह इमेजरी विशेषज्ञ के अनुसार, चीनी सेना का भारी जमावड़ा वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) से लगभग 40 किमी दूर कहा जा रहा है, जहां 15 जून को हिंसक सामना हुआ था।

हाल ही में ली गई ये सेटेलाइट इमेज, चीनी सैनिकों द्वारा गलवान घाटी की यथास्थिति को बदलने की एक निश्चित योजना को दिखा रही हैं। चीन ने पहली बार इस क्षेत्र पर अपना दावा किया है।

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वास्तविक नियंत्रण रेखा से अत्यंत दुर्गम स्थान होने के कारण यहां के हालात पर किसी का ध्यान नहीं गया। हालाँकि इससे पहले खराब मौसम की वजह से उपग्रह चित्र स्पष्ट दिखाई नहीं दे रहे थे। लेकिन 11 जून को आई सेटेलाइट इमेज पीएलए की पूर्ण नियोजित तैनाती और निर्माण को दर्शा रही हैं।

यह भी कहा गया है कि क्षेत्र में दिखाई देने वाली नई चौड़ी सड़कों का इस्तेमाल चीनी सैनिकों की अतिरिक्त तैनाती के लिए किया जा सकता है।

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