चीन का अवैध कब्जा, सरकार की तरफ से क्या की गई पहल
आरटीआई के तहत विदेश मंत्रालय के चीन प्रभाग से मिली जानकारी के मुताबिक चीन ने साल 1962 के बाद से ही जम्मू कश्मीर में भारत के करीब 38 हजार वर्ग किलोमीटर भूभाग पर कब्जा कर रखा है।
नई दिल्ली: लद्दाख में सीमा पर भारत और चीन के बीच तनाव जारी है। सीमा पर जारी हालात को सामान्य बनाने के लिए दोनों देशों के बीच बातचीत जारी है। हालांकि अभी भी चीन सीमा पर पीछे हटने को तैयार नहीं है। वहीं भारत ने भी सीमा पर इस घटना के बाद अपने सैनिकों का जमावड़ा बढ़ा दिया है।
चीन के कब्जे में है भारत का 43 हजार 180 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र
वहीं आपको बता दें कि चीन ने भारत के करीब 43 हजार 180 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर अवैध कब्जा किया हुआ है। आरटीआई के तहत विदेश मंत्रालय के चीन प्रभाग से मिली जानकारी के मुताबिक चीन ने साल 1962 के बाद से ही जम्मू कश्मीर में भारत के करीब 38 हजार वर्ग किलोमीटर भूभाग पर कब्जा कर रखा है। हालांकि सरकार द्वारा चीन को स्पष्ट कर दिया गया है कि जम्मू कश्मीर भारत का अभिन्न और अटूट हिस्सा है।
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पाकिस्तान ने चीन को दिया था 5,180 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र
जानकरी के मुताबिक इसके अलावा पाकिस्तान ने चीन को 2 मार्च 1963 को चीन के साथ हस्ताक्षरित तथाकथित चीन, पाकिस्तान 'सीमा करार' के तहत पाक अधिकृत कश्मीर के पांच हजार 180 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र को अवैध रूप से दे दिया था। इस तरह चीन के कब्जे में भारत के करीब 43 हजार 180 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र है।
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जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न और अटूट हिस्सा
विदेश मंत्रालय ने कहा कि जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न और अटूट हिस्सा है। ये बात उच्चतम स्तरों सहित कई अवसरों पर चीन को स्पष्ट भी कर दी गई है। मंत्रालय का बयान ऐसे समय में आया है, जब चीन के 'वन बेल्ट, वन रोड' को लेकर दोनों देशों के बीच रिश्ते काफी तनावपूर्ण हैं। बता दें कि यह गलियारा पाक अधिकृत कश्मीर से होकर गुजरता है। इसी वजह भारत चीन के 'वन बेल्ट, वन रोड' पर आयोजित सम्मेलन का बहिष्कार भी कर चुका है।
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इस पर कोई नतीजा नहीं आया सामने
बता दें कि सूचना के अधिकार के तहत विदेश मंत्रालय से पूछा गया था कि चीन के कब्जे में भारत का कितना क्षेत्र है और इसे लेकर सरकार की तरफ से क्या पहल की गई है। इस पर रक्षा मामलों के विशेषज्ञ राहुल के भोंसले ने कहा कि बीते 30 सालों से इस मामले पर चर्चा चल रही है। लेकिन इसका कोई नतीजा निकलकर सामने नहीं आया है। उन्होंने कहा कि अब बड़ा क्षेत्र अब भी चीन के कब्जे में है। वास्तविक नियंत्रण रेखा पर भारतीय क्षेत्र में अतिक्रमण की घटनाएं भी जारी है।
उन्होंने कहा कि चीन की ऐसी गतिविधियों सचेत होने की आवश्यकता है, उसका इरादा साफ तौर पर जाहिर है। अब हमें चीन के संदर्भ में 1962 के बाद की स्थिति में सामरिक परिपेक्ष में अपनी नीति को देखना होगा।
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