Bihar: चिराग पासवान की चुप्पी पर उठने लगे सवाल, NDA में नीतीश की वापसी से नाराज, बात नहीं बनी तो उठा सकते हैं बड़ा कदम

Bihar Politics: चिराग और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के बीच टकराव अभी तक खत्म नहीं हो सका है और इसे लेकर भाजपा भी असमंजस में फंसी दिख रही है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2024-03-06 04:10 GMT

Nitish Kumar Chirag Paswan (photo: social media )

Bihar Politics: लोकसभा चुनाव से पहले बिहार की सियासत में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के मुखिया चिराग पासवान के भावी कदमों को लेकर तमाम सवाल उठाए जा रहे हैं। बिहार एनडीए में अभी तक सीट बंटवारे को अंतिम रूप नहीं दिया जा चुका है और चिराग पासवान ने पूरी तरह चुप्पी साथ रखी है। जानकार सूत्रों का कहना है कि चिराग एनडीए में नीतीश कुमार की वापसी से नाराज हैं। उनका मानना है कि नीतीश के चलते उनकी अनदेखी की जा रही है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सभाओं से उनकी दूरी को लेकर भी सवाल उठाए जा रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि यदि सीट बंटवारे को लेकर उनकी मुराद पूरी नहीं हो सकी तो वे लोकसभा के सियासी जंग में अकेले भी कूदने का फैसला ले सकते हैं। चिराग और उनके चाचा पशुपति कुमार पारस के बीच टकराव अभी तक खत्म नहीं हो सका है और इसे लेकर भाजपा भी असमंजस में फंसी दिख रही है।

पीएम मोदी की जनसभाओं से चिराग की दूरी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अभी हाल में 2 मार्च को औरंगाबाद और बेगूसराय में जनसभाएं की थीं। इन सभाओं में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और हम के मुखिया जीतन राम मांझी समेत एनडीए के अन्य नेता मौजूद थे मगर चिराग पासवान ने दोनों जनसभाओं से दूरी बनाए रखी। अब प्रधानमंत्री मोदी 6 मार्च को बेतिया में जनसभा के लिए पहुंचने वाले हैं और चिराग के करीबी सूत्रों का कहना है कि वे इस जनसभा में भी शामिल नहीं होंगे।

चिराग पासवान के इस कदम को उनकी नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा है। एनडीए में नीतीश कुमार की वापसी से बिहार के सियासी समीकरण पूरी तरह बदल गए हैं और इसे लेकर चिराग पासवान नाराज बताए जा रहे हैं। उनका मानना है कि नीतीश की वापसी के बाद उनकी अनदेखी की जा रही है।

इसलिए उलझा सीट बंटवारे का मामला

जानकारों के मुताबिक चिराग पासवान 2019 के फॉर्मूले की तरह इस बार भी बिहार में छह लोकसभा सीटों की डिमांड कर रहे हैं। भाजपा की ओर से इस डिमांड को पूरा किया जाना मुश्किल माना जा रहा है क्योंकि लोजपा में टूट होने के बाद पार्टी के पांच सांसद पशुपति पारस के साथ चले गए थे और चिराग पासवान अकेले रह गए थे। इस कारण लोजपा को दी जाने वाली सीटों का मामला उलझ गया है।

चिराग पासवान और पशुपति पारस दोनों की ओर से 6-6 सीटों की डिमांड की गई है और इस मांग का पूरा होना मुश्किल है।

सूत्रों का कहना है कि भाजपा दोनों गुटों को मिलाकर 6 सीटें दे सकती है मगर दोनों गुटों में एक होना मुश्किल माना जा रहा है। दरअसल एनडीए में नीतीश कुमार के साथ ही जीतन राम मांझी और उपेंद्र कुशवाहा की भी एंट्री हो चुकी है जिससे सीट बंटवारे का मामला उलझा हुआ है।

हाजीपुर सीट को लेकर चाचा-भतीजा में भिड़ंत

रामविलास पासवान की विरासत मानी जाने वाली हाजीपुर लोकसभा सीट को लेकर भी चाचा-भतीजा दोनों में खींचतान बनी हुई है। इस लोकसभा सीट पर पिछले लोकसभा चुनाव में पशुपति पारस ने जीत हासिल की थी और वे इस बार भी सीट पर दावेदारी कर रहे हैं। दूसरी ओर चिराग पासवान इसे अपने पिता की परंपरागत सीट बताकर छोड़ने के लिए तैयार नहीं हैं। इसे लेकर चाचा और भतीजा के बीच तीखी बयानबाजी हो चुकी है।

अब चिराग के अगले कदम पर निगाहें

सियासी जानकारों का मानना है कि अगर एनडीए में सीट बंटवारे को लेकर चिराग पासवान की बात नहीं बनी तो उनके पास महागठबंधन में जाने और अकेले चुनाव लड़ने का दो ही विकल्प बचेगा। अगर चिराग पासवान ने विपक्षी महागठबंधन में जाने का कदम नहीं उठाया तो ऐसी स्थिति में वे अकेले लोकसभा चुनाव की सियासी जंग में कूद सकते हैं।

यदि भाजपा और जदयू दोनों दलों ने 17-17 सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया तो चिराग पासवान जदयू की और कुछ अन्य सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारने का फैसला कर सकते हैं। ऐसी सीटों की संख्या 23 तक हो सकती है।

2020 के विधानसभा चुनाव के दौरान भी चिराग पासवान ने जदयू की सीटों पर अपने प्रत्याशी उतार कर नीतीश कुमार को बड़ा झटका दिया था। चिराग के प्रत्याशियों के कारण कई सीटों पर जदयू प्रत्याशियों की हार हुई थी। हालांकि उस समय चिराग पासवान भी अपनी ताकत दिखाने में कामयाब नहीं हो सके थे और उन्हें सिर्फ एक सीट हासिल हुई थी। ऐसे में अब सबकी निगाहें चिराग पासवान के अगले कदम पर लगी हुई हैं।

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