NDA से अलग स्टैंड अपना रहे हैं चिराग, अब जातिगत जनगणना पर राहुल की मांग का समर्थन करके BJP की मुश्किलें बढ़ाईं

Caste Census: चिराग पासवान ने राहुल गांधी के सुर में सुर मिलाते हुए जातिगत जनगणना कराने पर जोर दिया है।

Written By :  Anshuman Tiwari
Update: 2024-08-26 02:59 GMT

Rahul Gandhi , Chirag paswan  (photo: social media )

Caste Census: देश में जातिगत जनगणना कराने की मांग लगातार तेज होती जा रही है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी संसद से लेकर सड़क तक इस मांग को लेकर अपनी आवाज बुलंद करने में जुटे हुए हैं। वे जातिगत जनगणना की मांग के जरिए एससी,एसटी और ओबीसी वर्ग के लोगों को गोलबंद करने की कोशिश में जुटे हुए हैं। उनका कहना है कि मोदी सरकार को जातिगत जनगणना तो करानी ही होगी।

राहुल गांधी को इस मुहिम में लोक जनशक्ति पार्टी (रामविलास) के मुखिया और केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान का भी समर्थन हासिल हुआ है। चिराग पासवान ने राहुल गांधी के सुर में सुर मिलाते हुए जातिगत जनगणना कराने पर जोर दिया है। इससे पहले लेटरल एंट्री समेत कई अन्य मुद्दों पर भी चिराग पासवान का अलग सुर दिखा था। उन्होंने लेटरल एंट्री में भी आरक्षण के नियमों का पालन किए जाने की मांग की थी। चिराग पासवान का यह रुख भाजपा की मुश्किलें बढ़ाने वाला साबित हो रहा है।

देश में जातिगत जनगणना कराना जरूरी

केंद्रीय मंत्री चिराग पासवान ने कहा कि हमारी पार्टी जातिगत जनगणना की मांग का हमेशा समर्थन करती रही है। निश्चित रूप से केंद्र सरकार को इस दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए। मोदी सरकार से अलग रुख बनाते हुए चिराग पासवान ने कहा कि हमारी पार्टी की मांग है कि देश में जातिगत जनगणना कराई जानी चाहिए।

उन्होंने कहा कि कई बार केंद्र और राज्य सरकार की ओर से जाति को ध्यान में रखते हुए योजनाएं बनाई जाती हैं ताकि उस जाति को मुख्य धारा में लाया जा सके। ऐसे में सरकार के पास इस बात की पुख्ता जानकारी होनी चाहिए कि किस जाति के लोगों की कितनी आबादी है। सरकार उसी हिसाब से राशि का आवंटन कर सकती है।

आंकड़ों को सार्वजनिक करने की जरूरत नहीं

वैसे उन्होंने यह अभी कहा कि जातिगत जनगणना के आंकड़ों को सार्वजनिक करने की आवश्यकता नहीं है। सरकार को इसका आंकड़ा अपने पास रखना चाहिए। यदि आंकड़ों को सार्वजनिक किया गया तो सणाज में विभाजनकारी शक्तियां पैदा हो जाएंगी। वैसे कई बार कोर्ट की ओर से भी सरकार से जातिगत आबादी के बारे में जानकारी मांगी जा चुकी है।

चिराग ने कहा कि योजनाओं के क्रियान्वयन में सुधार लाने के लिए सरकार के पास जातिगत आंकड़े होने चाहिए। इन आंकड़ों से सरकारी योजनाओं के सही ढंग से क्रियान्वयन में काफी मदद मिलेगी। उन्होंने एक्स पर अपनी पोस्ट में कहा कि जातिगत जनगणना के आंकड़े के जरिए ही सरकार लोगों तक योजनाओं का लाभ सही ढंग से पहुंचा सकती है।

पहले भी अलग सुर अलाप चुके हैं चिराग

वैसे यह पहला मौका नहीं है जब चिराग पासवान ने भाजपा की नीतियों से अलग बयान दिया है। ऐसे में सवाल उठाया जा रहा है कि क्या चिराग पासवान भाजपा के लिए सिरदर्द बनते जा रहे हैं? उनके हाल में दिए गए बयानों से इस बात की पूरी झलक मिलती है। पिछले कुछ दिनों से चिराग पासवान बीजेपी,एनडीए और मोदी सरकार की लाइन से अलग हटकर अपनी राय दे रहे हैं।

मोदी कैबिनेट में शामिल होने के बाद सबसे पहले उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के एससी-एसटी के कोटे के अंदर कोटा के फैसले का विरोध किया। इसके बाद यूपीएससी के लेटरल एंट्री के विज्ञापन का विरोध किया। फिर विपक्ष के भारत बंद का समर्थन कर दिया। अब रांची में पार्टी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में जातिगत जनगणना के मुद्दे पर राहुल गांधी और अखिलेश यादव की मांग के समर्थन में खड़े हो गए। उनका यह अलग रुख भाजपा के लिए टेंशन बढ़ाने वाला साबित हो रहा है।

कांग्रेस ने बढ़ाया सरकार पर दबाव

इस बीच कांग्रेस ने जातिगत जनगणना को लेकर मोदी सरकार पर दबाव बढ़ा दिया है। कांग्रेस ने एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि देश में 100 में 74 लोग जातिगत जनगणना कराने के पक्ष में हैं। इस पोस्ट को रिपोस्ट करते हुए कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने कहा कि मूड ऑफ द नेशन सर्वे में देश के मन की बात सामने आई है। वक्त बीतने के साथ ही जातिगत जनगणना की मांग बढ़ती जा रही है।

कोई ताकत नहीं रोक सकती जातिगत जनगणना

उन्होंने कहा कि अब 74 फीसदी लोग जातिगत जनगणना के समर्थन में सामने आए हैं। समाज में किसकी कितनी आबादी है, इस सवाल के जवाब से ही सबकी भागीदारी सुनिश्चित की जा सकती है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरते हुए कहा कि यदि आप जातिगत जनगणना को रोकने की बात सोच रहे हैं तो आप सपना देख रहे हैं।

उन्होंने कहा कि अब कोई शक्ति इसे नहीं रोक सकती। ऑर्डर अभी लागू कीजिए या आप अगले प्रधानमंत्री को यह करते हुए देखेंगे। इसे पहले शनिवार को भी राहुल गांधी ने प्रयागराज में आयोजित एक सम्मेलन के दौरान जातिगत जनगणना के मुद्दे को जोरदार ढंग से उठाया था।

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