नई दिल्ली: एक मैनेजर के लिए गलत इम्प्लाई का चयन करना काफी नुकसानदायक होता है। यह न केवल कंपनी बल्कि उस मैनेजर के लिए भी परेशानी का सबब बन जाता है। इसमें काफी पैसा खर्च होता है और साथ ही समय भी खराब होता है। इस स्थिति में समय रहते सुधार के लिए कदम उठाना जरूरी है। तभी चीजें सही हो सकती हैं। जानते हैं कि आप किस तरह इस स्थिति से निपट सकते हैं। इसमें आपको धैर्य के साथ काम लेना होगा।
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. ज्यादा समय लेना ठीक नहीं : गलत हायरिंग को समझने के लिए ज्यादा समय लेना सही नहीं है। आप किसी इम्प्लाई को जांचने के लिए 90 से 120 दिनों का समय ले सकते हैं। इससे अधिक समय नहीं देना चाहिए। अगर इसके बाद भी आपको लगे कि कंपनी के लिए गलत व्यक्ति का चुनाव किया गया है तो आप समय रहते सही कदम उठा सकते हैं। इससे कंपनी को कोई नुकसान नहीं होगा और आप भविष्य की प्लानिंग भी कर सकते हैं। इसके साथ ही आगे की रणनीति बनाना शुरू कर दें।
. तथ्यों का पता करें : किसी के बारे में कोई भी धारणा बनाने से पहले आपको उसका कारण पता करना चाहिए। हो सकता है कि बतौर मैनेजर आप सही तरीके से चीजों का विश्लेषण न कर पा रहे हों। अगर कोई छोटी समस्या है तो आप इम्प्लाई को सुधार के लिए कह सकते हैं। कई बार वाकई चीजें गलत दिशा में जाने लगती हैं।
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ऐसे में आप कोई कठोर कदम भी उठा सकते हैं, लेकिन इस बात का ध्यान रखना होगा कि बिना कारण जानें किसी पर आरोप लगाना भी ठीक नहीं होता है। इससे बचना चाहिए।
. ठोस सबूत के साथ कार्रवाई करें : जब आपको लगता है कि गलत व्यक्ति का चुनाव किया गया है तो उससे संबंधित तथ्यों को जुटाने का प्रयास करना चाहिए। अगर आप किसी पर जुबानी आरोप लगाने के बजाय अगर आप आंकड़ों के माध्यम से अपनी बात को सही साबित करेंगे तो ज्यादा फायदा होगा।
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आपकी बात सुनी भी जाएगी। उदाहरण के तौर पर यौन उत्पीडऩ या फिर डॉक्यूमेंट्स के साथ छेड़छाड़ के मामले में आपको किसी भी कार्रवाई से पहले सबूत जुटाने होंगे। तभी आगे बढ़ पाएंगे। यही सही तरीका होता है।
. संबंधित व्यक्ति को मौका दें : कई बार गलत हायरिंग को फीडबैक देने से भी चीजों में सुधार आ सकता है। हो सकता है कि वह व्यक्ति कंपनी के कार्यों में रुचि लेने के बजाय अपने निजी स्वार्थों को पूरा करने में लगा हो। आपको उसे लगातार काम के बारे में फीडबैक देना चाहिए और उसे सुधार करने के लिए प्रेरित करना चाहिए। अगर आप उसके साथ लगातार संवाद करेंगे तो वह भी चीजों को सुधारने में मदद करेगा। यह संस्थान, मैनेजर और उस व्यक्ति तीनों के लिए फायदेमंद होगा।
. काउंसिलिंग कराएं : अगर समय रहते आपका काम सही नहीं होता है और गलत इम्प्लाई सुधरते नहीं हैं तो समय पर रिजल्ट्स न दे पाने वाले इम्प्लॉइज में सुधार किया जा सकता है। इसके अलावा धीरे-धीरे सीखने वाले इम्प्लॉइज के लिए भी काउंसिलिंग का प्रबंध किया जा सकता है।
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इससे फायदा हो सकता है। कई बार इम्प्लाई खुद चीजों में सुधार करना चाहता है। ऐसे में आपको आगे बढक़र उसकी मदद के लिए तैयार रहना चाहिए। कई बार देखा गया है कि काउंसिंलिंग के बाद अधिकतर कर्मचारियों की कार्यक्षमता में सुधार होता है।