CAA Kya Hai Wikipedia: नागरिकता संशोधन अधिनियम आज ही के दिन हुआ था देश में लागू, जानें सीएए के लागू होने की कहानी

CAA Kya Hai Wikipedia in Hindi: नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) 11 दिसंबर, 2019 को भारतीय संसद में पारित हुआ। राष्ट्रपति ने इसे 12 दिसंबर 2019 को मंजूरी दी थी। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह कानून के रूप में लागू हुआ।;

Written By :  AKshita Pidiha
Update:2024-12-11 20:00 IST

CAA Kya Hai Wikipedia in Hindi (फोटो साभार- सोशल मीडिया)

CCAA Kya Hai Wikipedia in Hindi: केंद्रीय गृह मंत्रालय ने 11 मार्च, 2024 को नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) 2019 को अधिसूचित कर पूरे देश में लागू कर दिया। इसके तहत नागरिकता आवेदन की प्रक्रिया को संचालित करने के लिए एक अधिकार प्राप्त समिति और जिला स्तरीय समितियों का गठन भी किया गया है। इस अधिनियम को संसद ने 11 दिसंबर, 2019 को पारित किया था और 12 दिसंबर, 2019 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिली थी। हालांकि, इसे अधिसूचित अब जाकर किया गया है।

नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) 11 दिसंबर, 2019 को भारतीय संसद में पारित हुआ, जिसमें 125 वोट इसके पक्ष में और 105 वोट विरोध में पड़े। राष्ट्रपति ने इसे 12 दिसंबर 2019 को मंजूरी दी थी। CAA का पूर्ण रूप Citizenship Amendment Act है। संसद में पास होने से पहले इसे Citizenship Amendment Bill (CAB) के नाम से जाना जाता था। राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद यह कानून के रूप में लागू हुआ।

ये लोग होंगे नागरिकता के पात्र

CAA लागू होने के बाद नागरिकता प्रदान करने का अधिकार पूरी तरह केंद्र सरकार के पास रहेगा। पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी शरणार्थी, जो 31 दिसंबर, 2014 से पहले भारत में बस गए, नागरिकता के पात्र होंगे। वैध यात्रा दस्तावेज़ के बिना भारत में प्रवेश करने वाले, या वैध दस्तावेज़ के साथ आने के बाद तय अवधि से अधिक रुकने वालों को अवैध प्रवासी माना जाएगा।


नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) 2019, संसद के ऊपरी सदन में 125-105 के अंतर से पारित हुआ, जहां भाजपा के पास बहुमत नहीं है। इसने 1955 के भारतीय नागरिकता कानून में संशोधन किया, जो अवैध प्रवासियों को नागरिक बनने से रोकता है। अवैध प्रवासी वे हैं जो बिना वैध दस्तावेजों के भारत में प्रवेश करते हैं या निर्धारित समय से अधिक रुकते हैं। विधेयक ने नागरिकता आवेदन के लिए 11 वर्षों के निवास की आवश्यकता को भी संशोधित किया।

नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) 2019 भारत के नागरिकता कानून में एक महत्वपूर्ण बदलाव है, जिसे भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया। यह कानून पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को भारतीय नागरिकता देने का प्रावधान करता है। इसे भारत सरकार ने इन देशों में धार्मिक उत्पीड़न से बचने के लिए लाई है। यह विधेयक खासतौर पर हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी समुदायों को लक्षित करता है, लेकिन मुसलमानों को इसमें शामिल नहीं किया गया है।

इतिहास-नागरिकता संशोधन विधेयक (CAB) पहली बार जुलाई, 2016 में संसद में पेश किया गया। इसे भारतीय जनता पार्टी (BJP) की सरकार ने तैयार किया था, जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले अल्पसंख्यक समुदायों को नागरिकता देने का प्रस्ताव करता था। CAA के पारित होने से पहले, नागरिकता का प्रश्न भारतीय कानून में उन प्रवासियों के लिए था, जो 1950 के बाद भारतीय उपमहाद्वीप से आए थे। असम जैसे राज्यों में, जहां प्रवासी मुद्दा अधिक था, इस पर खास ध्यान दिया गया।

प्रमुख प्रावधान-CAA के तहत, 31 दिसंबर, 2014 तक पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आकर भारत में बसे हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, ईसाई और पारसी समुदायों को भारतीय नागरिकता मिल सकती है। इस कानून ने इन समुदायों के लिए नागरिकता प्राप्त करने की प्रक्रिया को सरल बनाया है। इसके तहत, इन समुदायों के सदस्य नागरिकता पाने के लिए भारत में केवल 6 साल तक निवास करने की शर्त रखी हैं, जबकि सामान्य नागरिकता प्राप्त करने के लिए 12 साल की शर्त होती है।

CAA और NRC का संबंध

CAA और राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) के बीच एक घनिष्ठ संबंध है। NRC का उद्देश्य असम में यह तय करना था कि कौन भारतीय नागरिक है और कौन नहीं। जहां NRC की प्रक्रिया के बाद लाखों लोगों के नाम सूची से बाहर थे, वहीं CAA ने उन अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने का प्रस्ताव किया, जो NRC में शामिल नहीं हो पाए। विशेष रूप से, यह कानून उन बंगाली हिंदुओं को नागरिकता देने के लिए था, जिनके नाम NRC में नहीं थे, और जिन्हें असम में शरणार्थी के रूप में रहना पड़ रहा था।

सीएए के खिलाफ विरोध (CAA Protest In India)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

CAA के पारित होने के बाद, इसे लेकर भारत के विभिन्न हिस्सों में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए। विरोधियों का कहना था कि यह कानून धार्मिक आधार पर भेदभाव करता है और यह भारतीय संविधान की धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत के खिलाफ है। विशेष रूप से मुसलमानों को नागरिकता देने के मामले में इसे नकारा गया, जिससे यह आलोचना का केंद्र बन गया।

सरकार का पक्ष

भारत सरकार का कहना है कि CAA अल्पसंख्यक समुदायों की रक्षा करने के लिए है और यह उन शरणार्थियों को नागरिकता देने का एक तरीका है जो पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं। सरकार ने यह स्पष्ट किया कि मुसलमानों को इससे बाहर रखा गया है क्योंकि इन देशों में मुसलमान बहुसंख्यक हैं और उन्हें उत्पीड़न का सामना नहीं करना पड़ता।

कानूनी चुनौतियां

CAA के खिलाफ कई न्यायिक चुनौतियां दी गई हैं और इसे लेकर सुप्रीम कोर्ट में मामले चल रहे हैं। आलोचकों का कहना है कि यह संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) का उल्लंघन करता है। इसके परिणामस्वरूप, सरकार ने कानून को लागू किया। लेकिन इसे कई कानूनी और सामाजिक विवादों का सामना करना पड़ा है।

सीएए के फायदे (CAA Benefits In India)

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

धार्मिक उत्पीड़न से मुक्ति- CAA पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के अल्पसंख्यक समुदायों, जो धार्मिक उत्पीड़न का शिकार हो रहे हैं, को नागरिकता प्रदान करता है।

समाज के लिए स्थिरता- यह कानून उन शरणार्थियों को सुरक्षा और स्थिरता प्रदान करता है,जो अपने धार्मिक उत्पीड़न के कारण भारत में आए थे।

सरकार का तर्क- सरकार का मानना है कि यह कानून उन अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा के लिए लाया गया है, जो पड़ोसी देशों में उत्पीड़न का सामना कर रहे हैं।

CAA के नुकसान (Disadvantages of CAA In Hindi)

धार्मिक भेदभाव- आलोचक इसे मुस्लिम समुदाय के खिलाफ भेदभावपूर्ण मानते हैं, क्योंकि यह मुसलमानों को बाहर करता है।

संविधान का उल्लंघन- विपक्ष का कहना है कि CAA संविधान के अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांत का उल्लंघन करता है।


सामाजिक तनाव- CAA के विरोध में देशभर में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हुए, जिनमें कई लोगों की जानें भी गईं। यह समाज में विभाजन और तनाव को बढ़ा सकता है।

सरकार की राय (Government Point Of View For CAA)

धार्मिक भेदभाव का आरोप खारिज- सरकार ने CAA का बचाव करते हुए कहा कि यह केवल धार्मिक उत्पीड़न से बचने के लिए एक उपाय है। इस कानून के तहत गैर-मुस्लिम अल्पसंख्यकों को नागरिकता देने की प्रक्रिया को सरल बनाना था, जबकि मुसलमानों को इस कानून से बाहर रखा गया है।

अल्पसंख्यकों की रक्षा- सरकार का कहना है कि यह कानून पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान में उत्पीड़ित अल्पसंख्यकों की मदद करता है।

विपक्ष की राय,संविधानिक चुनौती- विपक्ष ने इसे भारत की धर्मनिरपेक्षता और संविधान के खिलाफ बताया है। उनका कहना है कि यह मुसलमानों को नागरिकता से वंचित करता है और संविधान में समानता के अधिकार का उल्लंघन करता है।

सामाजिक और सांस्कृतिक प्रभाव- विपक्ष का मानना है कि यह कानून समाज में असहमति और विभाजन को बढ़ाएगा, विशेष रूप से मुस्लिम और गैर-मुस्लिम समुदायों के बीच।

नागरिकता (संशोधन) विधेयक, 2016 बनाम 2019

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

दोनों विधेयकों में पाकिस्तान, बांग्लादेश, और अफगानिस्तान से आए हिंदू, सिख, बौद्ध, जैन, पारसी, और ईसाई प्रवासियों को अवैध नहीं माना गया।2016 विधेयक में, इन समूहों के लिए 11 वर्षों की निवास अवधि को घटाकर 6 वर्ष कर दिया गया।दोनों विधेयकों ने ओसीआई पंजीकरण रद्द करने के नए प्रावधान जोड़े। 2019 विधेयक ने ओसीआई कार्डधारकों को सुनवाई का अवसर सुनिश्चित किया। 2016 और 2019 दोनों में प्रवासियों के खिलाफ लंबित कानूनी कार्यवाही समाप्त करने का प्रावधान था।

नागरिकता संशोधन विधेयक (CAA) पहली बार जुलाई 2016 में संसद में पेश हुआ और लोकसभा में पारित हो गया, लेकिन पूर्वोत्तर भारत में विरोध प्रदर्शनों के कारण राज्यसभा में अटक गया। असम में इसे राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) से जोड़ा गया, जो बांग्लादेश से अवैध प्रवासियों के मुद्दे पर आधारित था। NRC सूची में केवल उन लोगों को शामिल किया गया जो 24 मार्च 1971 से पहले राज्य में थे। हालांकि, अंतिम सूची पर भाजपा ने बाद में असहमति जताई।

संविधान सभी नागरिकों को कानून के समक्ष समानता का अधिकार देता है और धार्मिक भेदभाव का निषेध करता है। आलोचक CAA को धार्मिक भेदभाव का प्रयास बताते हैं, जिसमें मुसलमानों को बाहर रखा गया है। भाजपा नेताओं और समर्थकों का तर्क है कि यह कानून केवल धार्मिक उत्पीड़न से पीड़ित अल्पसंख्यकों को मदद करता है। वे इसे अवैध प्रवासियों पर नियंत्रण और नागरिकता नियमों का सुधार मानते हैं।

NRC और CAA के बीच संबंध

(फोटो साभार- सोशल मीडिया)

नागरिक रजिस्टर (NRC) और नागरिकता संशोधन विधेयक (CAA) आपस में जुड़े हैं, क्योंकि CAA उन गैर-मुस्लिमों को नागरिकता का सुरक्षा कवच प्रदान करता है जो NRC में शामिल नहीं हो सके और निर्वासन का सामना कर रहे हैं। इससे असम में रजिस्टर से बाहर बंगाली हिंदू प्रवासी नागरिकता प्राप्त कर सकते हैं। गृह मंत्री अमित शाह ने पूरे भारत में एक राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर (NRC) बनाने का प्रस्ताव रखा, ताकि 2024 तक सभी "अवैध प्रवासियों" की पहचान कर उन्हें देश से बाहर किया जा सके।

यह कानून कहाँ लागू नहीं होगा

अधिनियम के प्रावधान असम, मेघालय, मिजोरम और त्रिपुरा के स्वायत्त आदिवासी क्षेत्रों पर लागू नहीं होते हैं, जो संविधान की छठी अनुसूची में शामिल हैं।यह उन क्षेत्रों में भी लागू नहीं है जहां 'इनर लाइन परमिट' लागू है, जिसमें अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मिजोरम और मणिपुर शामिल हैं।इनर लाइन परमिट (आईएलपी) भारत सरकार द्वारा जारी एक आधिकारिक यात्रा दस्तावेज है जो भारतीय नागरिकों को सीमित अवधि के लिए संरक्षित क्षेत्र में यात्रा करने की अनुमति देता है।

आंतरिक परमिट लाइन क्षेत्र के बाहर रहने वाले भारत के किसी भी नागरिक को संरक्षित राज्य में प्रवेश करने के लिए परमिट प्राप्त करना पड़ता है। इसका मतलब है कि इन क्षेत्रों में रहने वाले कोई भी अवैध प्रवासी ,नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 के तहत भारतीय नागरिकता के हकदार नहीं हैं।नागरिकता संशोधन अधिनियम 2019 भारत में एक बेहद विवादास्पद कानून है जिसमे भारत में पहली बार धर्म के आधार पर नागरिकता दी जा रही है।कानून के आलोचकों का तर्क है कि यह देश के धर्मनिरपेक्ष चरित्र के खिलाफ है और मुसलमानों के साथ भेदभाव करता है।

नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) भारतीय राजनीति और समाज में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ है। यह कानून जहां कुछ के लिए सुरक्षा और आश्रय प्रदान करता है, वहीं दूसरों के लिए यह एक विभाजनकारी तत्व बनकर उभरा है। CAA का भविष्य अदालतों के फैसले और भारत में सामाजिक-राजनीतिक परिवर्तनों के साथ निर्धारित होगा।

Tags:    

Similar News